चैनसिंह रावत "ग्रामीण पर्यटन" को बढ़ावा देने के लिए कर रहे हैं काम
० प्रेम पंचोली ०
उत्तरकाशी जनपद पर प्राकृतिक सौंदर्य कि अमित छटा बिखरी हुई है। बशर्ते प्राकृतिक सौंदर्य से रूबरू करवाने के लिए स्थानीय युवाओं में जुनून का होना जरूरी है। इसी जनपद के जुनूनी चैनसिंह रावत ने अपने मूल गांव सौड़ सांकरी में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए साहसिक पर्यटन, ट्रैकिंग आदि कार्य को आरंभ किया। यह कार्य ऐसे वक्त शुरू किया गया जब इंटरनेट का कोई खास विकास नहीं हुआ था। और ना ही उत्तरकाशी जनपद के सौड़ साकरी गांव तक मोटर मार्ग की कोई व्यवस्थित सुविधा थी। ऐसी विषम परिस्थिति में चैन सिंह रावत ने "ग्रामीण पर्यटन" को अपना स्वरोजगार का कार्य बना डाला
वर्ष 1997 में सुदूर सौड़ संकरी गांव निवासी चैन सिंह रावत ने अपनी पढ़ाई के दौरान नेहरू पर्वतारोहण इंस्टिट्यूट में साहसिक पर्यटन और पर्वतारोहण का प्रशिक्षण लिbया है। इसके बाद वे लगातार पहाड़ों में "ग्रामीण पर्यटन" को बढ़ावा देने के लिए काम करते रहे है। युवा अवस्था में ही चैनसिंह रावत ने यह तय कर लिया था कि वह स्वाबलंबन की दिशा में एक आदर्श काम करके रहेंगे। हुआ ऐसा ही और आज सौड सांकरी गांव पर्यटन के क्षेत्र में दुनिया के मानचित्र पर अपनी अलग पहचान बनाए हुए है।रावत ने अपने मूल घर को ही होमस्टे का रूप दे दिया। यह गांव का पहला नौजवान था जो इस कार्य में लीन था। आसपास के लोग चैनसिंह के कार्य पर पहले पहल विश्वास नही कर पा रहे थे। किंतु उनकी उत्सुकता को देखते हुए उनके चाचा भगत सिंह रावत ने उन्हें संपूर्ण सहयोग देने को कह दिया। बस फिर तो दोनों चाचा भतीजे ने मिलकर के क्षेत्र में साहसिक पर्यटन, पर्वतारोहण जैसे कार्य को बढ़ावा दिया। आज चैन सिंह रावत राज्य का वह नौजवान है जो होमस्टे के लिए ब्रांड एम्बेस्डर माने जाते है।
चैन सिंह रावत हिमालयन हाइकर्स के सह-संस्थापक हैं। साथ ही रावत का प्रकृति से गहरा नाता है।जबकि वे जिस तरह से क्षेत्र में पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा दे रहे है इसी तरह वह क्षेत्र की लोगो की समस्या के प्रति सरकार को समय समय चेताया करते है। फलस्वरूप चैन सिंह रावत का यहां सभी लोगों पर खास प्रभाव है। यही वजह है की आज सौड़ गांव के सभी 90 परिवार होमस्टे का कार्य करते है।
हालांकि उन्हें इस कार्य में सफलता पाने में वर्षो लग गए हो, मगर वे जीवन की कठिन परिस्थितियों से भी गुजरे हैं। यही कारण है कि आज वह खुद एक कुशल पर्वतारोही है तो गांव के अन्य युवाओं को भी जागरूक कर रहे है। चैन सिंह ने कहा कि उत्तरकाशी के मोरी क्षेत्र के पहले कुशल पर्वतारोही उनके चाचा भगत सिंह रावत है। उन्होंने 1995 में नीम से अपना बेसिक कोर्स किया था। उन्ही की प्रेरणा से वे इस कार्य में आगे बढ़े है।
इन दोनों पर्वतारोहियों की बदौलत सुदूरवर्ती गांव सौड़ सांकरी ने पर्यटन व्यवसाय में अपनी अलग पहचान बनाई है। वर्तमान में सौड़ सांकरी गांव पर्यटकों की पहली पसंद बन गई है। दुनिया के सुंदर ट्रैकिंग स्थलों में से एक हरकीदून का यह बेस कैंप भी है। यहां वर्षभर पर्यटकों का तांता लगा रहता है।गांव के 90 परिवार इस व्यवसाय से जुड़े है। वर्षभर पर्यटकों की अग्रिम बुकिंग रहती है। यही नहीं चैन सिंह रावत व्यवसाय से हटकर सामाजिक जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभाते है।
सांकरी में ही वे गरीब, निसाह बच्चो के लिए एक स्कूल भी चलाते है। उनके ग्रामीण पर्यटन व्यवसाय से आज सैकड़ों लोग उन्हें स्वरोजगार पा रहे है, जबकि हजारों लोग अपरोक्ष रूप से यहां स्वरोजगार से जुड़े है। कुलमिलाकर चैनसिंह रावत ने ग्रामीण पर्यटन की पहाड़ों में एक खास प्रकार की मिशाल कायम की है।
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