उपन्यास याज्ञसेनीपर पर राष्ट्रीय महिला संगोष्ठी का आयोजन होगा

० योगेश भट्ट ० 
 नयी दिल्ली - केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय तथा संगीत नाटक अकादमी तथा महिला-20 के संयुक्त तत्त्वाधान में विदुषी प्रतिभा राय रचित बहुचर्चित उपन्यास याज्ञसेनी को लेकर एक राष्ट्रीय महिला संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है । इसमें याज्ञसेनी अर्थात विश्व प्रसिद्ध नारी द्रौपदी के विविध चारित्रिक वैशिष्ट्य का जो भारतीय साहित्य में अंकन किया गया उनको लेकर देश के अनेक विद्वान विशेष कर के विदुषी अपने अपने साहित्य से जुड़े विचारों को रखेंगी ।
इस उद्घाटन समारोह पर शिक्षा मन्त्री धर्मेन्द्र प्रधान करेंगे और इसके समापन में मन्त्री निर्मला सीतारमण ,वित्त एवं कंप्लेंट अफ्येर्स की उपस्थिति होगी । यह द्विदिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन जो 27-28 जुलाई को कमानी तथा श्रीराम ऑडिटोरियम में होना सुनिश्चित हुआ है जिसका मुख्यतया आयोजन का वागडोर स्त्री समूह को ही सौंपा गया है , ताकि दुनिया की यह आधी आबादी अपने मनोनुकूल इसका भव्य आयोजन कर सकें । ताकि पुरुष समाज की अपेक्षा स्वयं स्त्री समाज इस पर विचार कर सकें कि याज्ञसेनी अर्थात द्रौपदी के विषय में अन्तत: क्या सोचती समझती हैं ? 

 मन्त्री निर्मला सीतारमण तथा संगीत नाटक अकादमी तथा जी 20 के अन्तर्गत वुमेन्-20 की अध्यक्षा डा संगीता पुरेचा की विशेष उपस्थिति भी इस भारतीय स्त्री विषयक विमर्श को ऊर्जस्वी बनाएगा । डा पुरेजा न केवल आचार्य भरत के नाट्यशास्त्र की लब्धप्रतिष्ठ विदुषी हैं ,बल्कि नृत्त और नृत्य की मर्मज्ञा विशेष कर भरतनाट्यम के माध्यम से मथुरा-वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण जी की लीलाओं के जीवन्त प्रस्तुति के लिए विश्व विख्यात हैं ।  इस सम्मेलन में बहुचर्चित कलाविद् निरुपमा - राजेन्द्रन की लोकप्रिय रंग प्रयोग जो भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी के चरित्रों पर आधृत है

 उसका मंचन डा पुरेचा के सानिध्य में बड़ा ही ललित तथा मनभावन होगा । निरुपमा- राजेन्द्रन ने अपने कला के माध्यम विशेष कर बालक- बालिकाअओं तथा किशोर -किशोरियों के बीच कला के अध्यात्म तथा दर्शन से भारतीय संस्कार तथा संस्कृति को पूरी तरह से प्रस्फूटित करने की दिशा में श्लाघ्य प्रयास किया है । अत: स्त्री शक्ति से जुड़े यह महत्त्वपूर्ण सम्मेलन न केवल बौद्धिक अपितु नयनाभिरामी महोत्सव से भी भरा होगा ।  विश्व के स्त्री विमर्श के इतिहास में यह मान्यता रही है कि फेमेनिज़्म की अवधारणा पाश्चात्य देश की देन है ,उस पर भारतीय परिप्रेक्ष्य में एक अभिनव विमर्श का श्रीगणेश हो और ऑपनिवैशिक विचारधारा का पटाक्षेप भी ।

 इस द्विदिवसीय सम्मेलन के प्रथम दिवस में मुख्य अतिथि शिक्षा मन्त्री तथा केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलाधिपति तथा शिक्षा मन्त्री धर्मेन्द्र प्रधान करेंगे जिसमें सारस्वत अतिथि के रुप में याज्ञसेनी चर्चित रचना की लेखिका पद्मविभूषण तथा पद्मश्री डा प्रतिभा राय सभा को सुशोभित करेंगी । इस सत्र में प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी , कुलपति केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली तथा डा सन्ध्या पुरेचा , संगीत नाटक अकादेमी तथा वुमेन्-20 ( जी-20 अन्तर्गत ) के अध्यक्ष के साथ साथ याज्ञसेनी के चर्चित संस्कृत अनुवादक और संस्कृत शास्त्र के मर्मज्ञ विद्वान प्रो भागीरथी नन्द भी समुपस्थित रहेंगे ।

 समापन समारोह में पद्मविभूषण तथा सांसद , राज्य सभा, डा सोनल मानसिंह ,श्रीमति धारित्री पटनायक ,मुख्य संयोजक , वुमेन्-20 ,श्रीमति नीता प्रसाद , संयुक्त सचिव (पी एंड आईसीसी ) मोओई, भारत सरकार ,सुश्री हेमा जायसवाल ,डीडीजी, डिपार्टमेंट औफ एक्सपेडिचर,वित्त मन्त्रालय समुपस्थित रहेंगे । इस सत्र की अध्यक्षता डा सन्ध्या पुरेचा करेंगी जिसमें पद्मविभूषण प्रतिभा राय और प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी भी उपस्थित रहेंगे और रोमासा शुक्ला को मोडेरेटर का कार्य संपादित करेंगी।

इसके अतिरिक्त प्रो हरे कृष्ण सतपथी , पूर्व कुलपति ,प्रो मालती माथुर,, इग्नू,प्रो चूड़ामणि नन्दगोपाल ,जैन विश्वविद्यालय , बंगलूरू, श्रीमती नन्दीनी रमाणी , चेन्नई,डा अहल्या , कुलपति,कर्णाटक संस्कृत विश्वविद्यालय ,बंगलूरू ,प्रो नीता इनामदार , मणिपुर सेंटर फार यूरोपियन स्टडीज, मणिपुर की अध्यक्षता में पैनल्स के अन्तर्गत अनेक महत्त्वपूर्ण शोध पत्रों की प्रस्तुति की जाएगी ।

प्रो कुमुद शर्मा, उपाध्यक्षा, साहित्य अकादेमी , दिल्ली उद्घाटन पूर्व सत्र की मुख्य अतिथि तथा सारस्वत अतिथि के रुप में डा शामिका रवि , मेम्बर, इकोनोमिक एडभाईजरी कौंसिल टू द प्राईम मिनिस्टर ,एंड सेक्रेटरी टू गवर्नमेंट आफ़ इन्डिया तथा साध्वी देप्रियाजी ,डीन एवं विभागाध्यक्ष, दर्शन विभाग , पतंजलि विश्वविद्यालय की उपस्थिति का होना तय हुआ है और प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी , कुलपति , केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली, इस सभा के अध्यक्ष होंगे । साथ ही साथ पद्मविभूषण डा प्रतिभा राय , डा सन्ध्या पुरेचा और प्रो रणजित कुमार वर्मन्, कुलसचिव, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली की गरिमामय उपस्थिति रहेगी और डा अमृता कौर इस सत्र का मोडरेटर रहेंगी ।

इस द्विदिवसीय राष्ट्रीय महिला सम्मेलन के विषय में प्रकाशन एवं शोध के निदेशक आचार्य मधुकेश्वर भट्ट ने कहा है कि इस तरह का नारी विमर्शात्मक राष्ट्रीय सम्मेलन अपने आप में बहुत ही महत्त्वपूर्ण माना जा सकता है । इसका बहुत बड़ा कारण यह भी है कि इसमें भरसक प्रयास किया है कि देश के जाने माने विशेष कर विदुषियों को एक मंच पर लाकर उनके विचारों तथा अनुभवों को समझा जा सके और जेंडर जस्टिस की दृष्टि से मूल भारतीय चिन्तन को प्रकाश में लाया जा सके और स्त्री को जो हाऊस वाइफ या नये नाम होम मेकर में प्रयोग किया जा रहा है ,

 उससे और अधिक विस्तारित और श्रेष्ठ अर्थवत्ता उजागर हो सके । प्रो बनमाली विश्बाल ,डीन, एकेडमी तथा छात्र कल्याण ने भी आशा जताते कहा है कि इस तरह के महत्त्व संगोष्ठियों से चिन्तन के नये आयामों के साथ स्त्री विमर्श को लेकर बौद्धिक जागृति आएगी । इस सम्मेलन के भव्य आयोजन के लिए केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली,संगीत नाटक अकादमी, दिल्ली तथा वुमेन्-20 एक जूट होकर संलग्न हैं ।

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