सरकार के लिए यूनिफार्म सिविल कोड की राह आसान नही

० विनोद तकियावाला ० 
 नयी दिल्ली -प्रकृति में परिवर्तन का सैदव स्वागत होता है तभी तो किसी ने कहा कि परिवर्तन प्रकृति का अपरिहार्य नियम है।आजकल आसमान में उमढ़ते घुमढ़ते बादल व रिमझिम बारिश का हम सभी लोग आनंद ले रहे है क्योकि कुछ दिन पूर्व सूर्य की उषमा से घरती - आसमान जल रहा है।वही दुसरी ओर भारतीय राजनीति के पंडितओं के लिए आषाढ-सावन के बरसती रिमझिन फुहार भी ठंडक नही दे रही है।क्योंकि भारतीय राजनीति मे उष्मा की उफान आई है।आज हम आप को कोई पहेली नही बुझा रहे है ब्लकि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की राजनीति गतिविधियों से अवगत कराने की चेष्टा कर रहे है।

सर्व विदित रहे कि यह वर्ष प्रजातंत्र के महापर्व या23 - 24 चुनावी वर्ष है।इस साल पाँच राज्यों के विधान सभा चुनाव व अगले वर्ष 24 में लोक सभा का आम चुनाव होने वाली है।जिसके कारण सता पक्ष व विपक्ष में अपनी राजनीति को चमकाना व सता के सिंघासन पर आसीन होने के अपनी सारी शक्ति लगा देते है।चाहे इसके लिए उन्हें कुछ भी करना पड़े। ऐसी घटना विगत दिनों मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में घटी ,जहाँ प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी नें पार्टी कार्यकताओं को संबोधित करते कहा है एक देश में दो कानुन होगा तो देश कैसे चलेगा।यानि एक देश में सभी के लिए एक समान कानुन होना चाहिए।
सुनने में तो ये बाते छोटी सी लगती है लेकिन भारतीय राजनीति में एक भुचाल साबित हो रहा है।सत्ता के सिघासन पर काबिज भाजापा व विपक्ष के सभी राजनीति दल आमने- समाने ताल ठोकने लगा है।आप को याद दिलाना चाहुँगा कि विगत दिनों देश में समान नागरिक सहिंता यानी यू सी सी को लेकर भारत के विधि आयोग ने नॉटिफिकेशन जारी करके देश के लोगों से 15 जुलाई से पहले तक अपने लिखित सुझाव देने को कहा गया है।ऐसे में इस पर देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस का क्या रुख होगा इस पर कयास लगाए जा रहे थे. ऐसे में कांग्रेस की संसदीय समिति शनिवार 1जुलाई को10जनपथ पर शाम पांच बजे सोनिया गांधी की अध्यक्षता में बैठक हुई।

इस बैठक में कांग्रेस संसद में उठाए जाने वाले मुद्दों पर चर्चा के अलावा यूसीसी पर भी अपने रुख को लेकर चर्चा करने वाली है। इसके साथ ही कांग्रेस पार्टी यूसीसी को लेकर3जुलाई के अपने सभी नेताओं के साथ बैठक करने वाली है।कांग्रेस के विश्वस्त सूत्रों का कहना है किआज होने वाली बैठक समान नागरिक संहिता पर 3 जुलाई को होने वाली बैठक की रुपरेखा निर्धारित करेगी। वहीं बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि आगामी मानसून सत्र में बीजेपी यूसीसी का ड्राफ्ट देश की संसद में पेश कर सकती है।जहाँ अकेले भाजपा व उनके सहयोगी पार्टीयो कोअपने बल पर बिल पास करवाने के लिए इतना आसान नही होगा।सता पक्ष इस बिल को लोक सभा अपने संख्या बल पर आसानी से पास करवा लेगा लेकिन इसके विपरीत विपक्ष के मदद लिए यह बिल संसद के उच्च सदन राज्य सभा पास नही हो सकती है।आए हम इस पर विन्दुओं पर करते है।

आप को बता दे राज्यसभा में कुल 245 सदस्य होते हैं।जिनमें से फिलहाल 8 सीटें खाली हैं।इसका मतलब है कि वर्तमान में संसद के उच्च सदन में कुल 237 सदस्य हैं।इस सदन मे कानून को पारित कराने के लिए भाजपा को कम से कम 119 राज्यसभा सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होगी। फिलहाल संसद के उच्च सदन में बीजेपी के 92 सदस्य हैं।अगर केंद्र सरकार संसद में समान नागरिक संहिता से संबंधित विधेयक पेश करती है,तो राज्यसभा से इस बिल को पास कराने में आम आदमी पार्टी की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होगी ।
विगत दिनो मध्य प्रदेश के जन सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने उद्बोधन में भारत में समान नागरिक संहिता के लिए सार्वजनिक रूप से वकालत की है।एक देश में दो कानून होगा,तो देश कैसे चलेगा।तब से चहुं दिशाओ मे इस बात की गरमा गर्म बहस शुरू हो गई है कि केंद्र की भाजपा सरकार इस प्रस्ताव को 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले अमलीजामा पहनाने की कोशिश कर सकती है।कई वर्षों से भाजपा के चुनावी घोषणापत्र का यू सी सी प्रमुख मुद्दा रहा है। आपके मन में शक,शंका व संसय के त्रिशंकु कई सबाल उठने लगे होगें कि आखिर युनिफार्म सिविल कोड़ क्या है। इसे लागु करना सरकार की क्या मजबूरी है।तो

इस विषय पर हमने सुप्रीम कोर्ट के जाने माने कानूनविद एवं संविधान के जानकार व कई चर्चित केस के पैरवीकार वकील डा. ए पी सिंह के सम्पर्क कर यु सी सी की बारीकी समझे की कोशिश की है। डा ए पी सिंह के मुताबिक़ समान नागरिक संहिता भारत एक देश और एक कानून की विचारधारा पर पूरी तरह से आधारित है।समान नागरिक सहिता के अंतर्गत भारत देश के सभी धर्मों,जातियों और समुदायों के लिए एक ही कानून पूरे देश में लागू किए जाने का प्रावधान बन रहा है।समान नागरिक संहिता यानि यूनिफॉर्म सिविल कोड में संपत्ति के अधिग्रहण और संचालन,विवाह,तलाक और गोद लेना आदि को लेकर सभी के लिए एक समान रूप से कानून बनाया जाना है।हमारे भारत के संविधान के मुताबिक भी भारत देश पूरी तरह से एक धर्म निरपेक्ष देश है,जिसमें सभी धर्मों,जातियो व संप्रदायों को मानने वालों को अपने अपने धर्म से सम्बन्धित कानून बनाने का अधिकार है।

भारत में दो प्रकार के पर्सनल लॉ हैं।पहला है हिंदू मैरिज एक्ट 1956 जो है।दूसरा,मुस्लिम धर्म को मानने वालों के लिए लागू होने वाला मुस्लिम पर्सनल लॉ है। समान नागरिक संहिता का पालन भारत में अब लागू होने जा रहा है लेकिन और भी कई संपन्न देशों में यह क़ानून पहले से ही चल रहा है,इसलिए इस पर विपक्षी पार्टियों को सिर्फ़ विरोध करने के लिए विरोध एवं हाय तौबा मचाने का कोई भी तुक नहीं बनता है।

मै अपने पाठकों अवगत करा दें कि इसे अखिल भारतीय कानून बनने से पहले संसद मे पास करना होगा| संसद के निचले सदन लोक सभा में उसके पास भारी बहुमत है।ऐसे में सभी की निगाहें राज्यसभा पर होंगी,जहां बीजेपी अपने सहयोगी दलों के साथ बहुमत के आंकड़े से कुछ कदम ही पीछे है।यहां ध्यान देने वाली बात है कि आम आदमी पार्टी(आप)ने बीजेपी को एक बड़ी उम्मीद दी है,क्योंकि उसने यू सी सी को सैद्धांतिक तौर पर अपना समर्थन दिया है।लेकिन क्या राज्यसभा से यू सी सी बिल को पास कराने के लिए(आप)का समर्थन काफी होगा?

वर्तमान मे राज्यसभा की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक उच्च सदन अथार्त राज्य सभा में कुल 245 सदस्य संख्या में से फिलहाल 8 सीटें रिक्त हैं। इसका अर्थ यह है कि वर्तमान में उच्च सदन में कुल 237सदस्य हैं।इस कानून को पारित कराने के लिए भाजपा को कम से कम 119 राज्यसभा सदस्यों के समर्थन कीआवश्यकता होगी।फिलहाल उच्च सदन में बीजेपी के 92 सदस्य हैं।पिछले सप्ताह उसे एक सीट का नुकसान हुआ, जब उत्तर प्रदेश से उसके राज्यसभा सदस्य हरद्वार दुबे का निधन हो गया था।भाजपा व उनके सहयोगी एनडीए की कुल ताकत राज्य सभा में109 सदस्यों की है।इसका अर्थ यह हुआ कि समान नागरिक संहिता विधेयक को उच्च सदन में सफलतापूर्वक पारित कराने के लिए उसे10और सदस्यों के समर्थन की जरूरत पड़ेगी।

जहाँ तक तटस्थ दलों की बात आती है।तो बीजद और वाईएसआर कांग्रेस दोनों के पास राज्यसभा में 9-9 सदस्य हैं।यदि वे दोनों यूसीसी पर भाजपा का समर्थन करने का निर्णय लेते हैं,तो उसे राज्यसभा में यूसीसी बिल को पास कराने के लिए आवश्यक बहुमत आसानी से मिल जाएगी।हालॉकि एक महशुर दैनिक समाचार पत्र की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है किआंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की पार्टी अपने अल्पसंख्यक वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए राज्यसभा में यूसीसी बिल का समर्थन नहीं करेगी।जिस के कारण बीजेपी को1वोट की कमी हो जायेगी।भले ही बीजेडी सदन में उसका समर्थन करे।यही कारण है कि आमआदमी पार्टी राज्यसभा में यू सी सी बिल पास कराने में तुरुप का इक्कासाबित हो सकती है।

आप को बता दें किआमआदमी पार्टी का राज्यसभा दिल्ली से 3 पंजाब से 7 के साथ कुल10 सांसद है।अगरअरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी का समर्थन भाजपा को संसद में यूसीसी को मंजूरी दिलाने में मदद कर सकता है।संसद का मानसून सत्र संभवत जुलाई के तीसरे सप्ताह में शुरू होगाऔरअगस्त के मध्य तक चलेगा।इस सत्र के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर और तृणमूल के डेरेक ओ’ब्रायन सहित 10 राज्यसभा सीटों के लिए भी मतदान होगा।जिसकी तारीख 24 जुलाई र्निधारित की गई है।इससे 237 सदस्यीय सदय मे ज्यादा बदलाव की संभावना नहीं है।क्योंकि भाजपा और टीएमसी के पास संबंधित विधान सभाओं पश्चिम

बंगाल,गुजरात और गोवा में अपनी सीटें बरकरार रखने के लिए पर्याप्त ताकत है।हालांकि एकमात्र बदलाव यह होगा कि भाजपा को पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की कीमत पर एक सीट हासिल होगी।यदि ऐसा होता है,तो संयुक्त एनडीए की ताकत फिर से110 हो जाएगी।उस स्थिति में,बीजेडी या आम आदमी पार्टी का समर्थन केंद्र सरकार को संसद के माध्यम से यू सी सी पारित करने में मदद कर सकता है।इस तरह यूसीसी की राह में एकमात्र रोड़ा बीजेपी के सहयोगी दल या तटस्थ बीजेडी ही बन सकते हैं।यदि इनमें से किसी ने बिल का समर्थन करने से परहेज किया,तो राज्यसभा से समान नागरिक संहिता संबंधित विधेयक पास कराना भाजपा के लिए मुश्किल हो जाएगा।हालांकि इसकी संभावना बहुत कम है।

भारतीय राजनीति के पंडितो की चिन्ता है कि यह समय भारतीय राजनीति व भारत के लोकतंत्र के लिए उथल पुथल रहने वाला है क्योकि जुलाई के तीसरे सप्ताहे में संसद के मानसुन सत्र काफी ही हगामेदार रहने की प्रबल संभावना है।संसद के मानसून सत्र जो कि 20 जुलाई से11अगस्त में 17 बैठक होगी।जिसमे कई विधेयक,कई संविधान संसोधन बिल व केद्र सरकार द्वारा कई आध्यादेश को संसद के पेश कर उनकी मंजुरी आवश्यक है।इस संदर्भ में स्पष्ट रूप कुछ कहना उचित नही होगा।

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