आलोक धन्वा को 'आँसू और रौशनी : आलोकधन्वा से संवाद' की पहली प्रति भेंट
पटना. प्रतिष्ठित कवि आलोक धन्वा को उनके 76वें जन्मदिन पर चर्चित कवि-आलोचक पकंज चतुर्वेदी के साथ उनके संवादों की किताब 'आँसू और रौशनी : आलोकधन्वा से संवाद' की पहली प्रति भेंट की गई। इस मौके पर राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी, संपादकीय निदेशक सत्यानंद निरुपम और राधाकृष्ण प्रकाशन के कमीशनिंग एडिटर धर्मेंद्र सुशान्त ने आलोक धन्वा के निवास पर जाकर जन्मदिन की शुभकामनाएँ प्रेषित की साथ ही उनके दीर्घायु होने की प्रार्थना की।
‘आँसू और रौशनी’ दो रचनाकारों की एक रचनात्मक संवादधर्मिता का उत्कृष्ट उदाहरण है। दो पीढ़ियों के दो रचनाकारों के बीच का यह संवाद दो अलग-अलग पीढ़ियों को और उस समय के पूरे सामाजिक-सांस्कृतिक परिदृश्य को भी समझने में मदद करता है। यह पुस्तक प्रतिष्ठित कवि आलोकधन्वा की रचना यात्रा, उनकी रचनाधर्मिता के साथ-साथ उनके जीवन दर्शन, परिवेश, वैचारिकी और नज़रिए को भी पाठकों के सामने लाती है। साहित्यिक-सामाजिक स्तर पर ऐतिहासिक उपस्थिति दर्ज करने वाली यह बेहद गम्भीर और रोचक बातचीत, पठनीय होने के साथ ही एक दस्तावेज के रूप में संग्रहणीय भी है।
नई किताब के बारे में जानकारी देते हुए राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी ने कहा, ‘आँसू और रौशनी’ किताब आधुनिक कविता को सिर्फ हिन्दी साहित्य या भारतीय साहित्य के ही नहीं बल्कि वैश्विक परिप्रेक्ष्य में देखने-समझने के लिए एक जरुरी किताब है। आलोकधन्वा हमारे समय के एक ऐसे कवि हैं जिनकी अधिक संख्या में किताबें प्रकाशित नहीं हुई है लेकिन साहित्यिक क्षेत्र में उन्होंने असाधारण लोकप्रियता हासिल की है। वे विशेष रूप से युवाओं के प्रिय कवि हैं।"
‘आँसू और रौशनी’ दो रचनाकारों की एक रचनात्मक संवादधर्मिता का उत्कृष्ट उदाहरण है। दो पीढ़ियों के दो रचनाकारों के बीच का यह संवाद दो अलग-अलग पीढ़ियों को और उस समय के पूरे सामाजिक-सांस्कृतिक परिदृश्य को भी समझने में मदद करता है। यह पुस्तक प्रतिष्ठित कवि आलोकधन्वा की रचना यात्रा, उनकी रचनाधर्मिता के साथ-साथ उनके जीवन दर्शन, परिवेश, वैचारिकी और नज़रिए को भी पाठकों के सामने लाती है। साहित्यिक-सामाजिक स्तर पर ऐतिहासिक उपस्थिति दर्ज करने वाली यह बेहद गम्भीर और रोचक बातचीत, पठनीय होने के साथ ही एक दस्तावेज के रूप में संग्रहणीय भी है।
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