इज्मा के प्रतिनिधिमंडल ने जामिया मिलिया इस्लामिया, लॉ फैकल्टी की नवनियुक्त डीन प्रोफेसर डॉ. कहकशां दानियाल को बधाई दी

० संवाददाता द्वारा ० 
नई दिल्ली:"इज्मा" (एनजीओ) इंटेलेक्चुअल ज्यूरिस्ट मुस्लिम एसोसिएशन के एक प्रतिनिधिमंडल ने जामिया मिलिया इस्लामिया के विधि विभाग की डीन के रूप में उनकी नियुक्ति पर प्रोफेसर डॉ. कहकशां दानियाल से मुलाकात की और उन्हें बधाई दी। इज्मा के इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व इज्मा के महासचिव एडवोकेट तारिक फारूकी ने किया और एडवोकेट मसरूरुल हसन सिद्दीकी (उपाध्यक्ष), एडवोकेट असलम अहमद (संयुक्त सचिव) और एडवोकेट रईस अहमद (संयुक्त सचिव), मोहम्मद सफदर इमाम और शेहज़ाद खान(कार्यकारी सदस्य) उपस्थित थे।

 इज्मा के प्रतिनिधिमंडल ने कहा, "यह एक बड़ा अवसर है कि इज्मा के एक प्रमुख सदस्य प्रोफेसर डॉ. कहकशां दानियाल को विधि विभाग के डीन के महत्वपूर्ण पद को संभालने का अवसर दिया गया है और उन्होंने आशा व्यक्त की है।" प्रोफेसर के प्रयासों से जामिया मिलिया इस्लामिया के विधि विभाग का नाम और अधिक रोशन होगा और यहां के डिग्री हासिल करने वाले छात्र वकालत के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सफलता हासिल करेंगे। गौरतलब है कि प्रोफेसर कहकशां दानियाल इज्मा के एक महत्वपूर्ण सदस्य होने के साथ-साथ महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों और हाशिये पर मौजूद लोगों के अधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण और बुलंद आवाज रही हैं।

 प्रोफेसर कहकशां दानियाल ने ऐसे महत्वपूर्ण समय में विधि विभाग के डीन की जिम्मेदारी संभाली है जब वर्तमान परिवेश में क़ानून और क़ानूनी बचाव के तरीके और क़ानूनी जागरूकता आवश्यक है। 1992 में जामिया मिलिया इस्लामिया में शामिल होने के बाद से, उन्होंने एक शिक्षक के रूप में अच्छा प्रदर्शन किया है और छात्रों को बेहद उम्दा मार्गदर्शन किया है। दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य के रूप में, उन्होंने गरीबों, निर्धनों और जरूरतमंदों को समय पर मुफ्त क़ानूनी सहायता प्रदान करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 

प्रोफेसर दानियाल ने महिलाओं के अधिकारों, क़ानूनी सहायता, विशेष रूप से वक़्फ़ के महत्वपूर्ण मुद्दों, जैसे व्यक्तिगत कानून, बंदोब क़ानून, विरासत आदि के विषय पर कई किताबें और पत्र लिखे हैं। उन्होंने महत्वपूर्ण विषय पर भी विस्तार से लिखा है और क़ानूनी विशेषज्ञता हासिल कर ली है. इस अवसर पर इज्मा के प्रतिनिधिमंडल ने प्रोफेसर कहकशां दानियाल को बधाई दी और यह इच्छा भी व्यक्त की, कि वह 

अपने महत्वपूर्ण पद और जिम्मेदारियों के बावजूद इज्मा के लिए समय निकालेंगी और इज्मा के कार्यक्रमों और प्रयासों में शामिल होंगी। वह अपनी महत्वपूर्ण अनुभव के आधार पर सलाह और कोशिशों से समाज को प्रेरित करती रहेंगी। इजमा की अध्यक्षा राणा परवीन सिद्दीकी ने स्वास्थ्य ठीक न होने के चलते उन्होंने अपनी शुभकामनाएं भेजी।

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