संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत को वीटो पावर से मिलेगा ?
वैश्विक राजनीतिक के पटल पर जी 20 सम्मेलन के सफल आयोजन की अध्यक्ष के रूप में भारत की भुमिका की चर्चा इन दिनों चहुँ दिशाओं में हो रही है। यहाँ तक वामपंथी विचार धारा के पक्ष धर देश रूस व चीन राष्ट्राध्यक्ष जो स्वयं इस सम्मेलन शिरकत नही थी,उन्होनें भी स्वंय रूस के राष्ट्रपति पुतिन व चीन के राष्ट्रपति सी जिनपिंग ने भी जी - 20 सम्मेलन में जारी दिल्ली घोषणा पत्र पर सदस्य देशों की सहमति पर खुशी जताई है। कार्यक्रम के आयोजक भारत को बधाई दी।इस सम्मेलन में शामिल हुए राष्ट्राध्यक्षों नें भारत के वैश्विक पटल पर उभरते महाशक्ति के रूप देख रहा है।चाहे वह चन्द्रयान 3 सफल प्रक्षेपण,सुर्य का आदित्या एल1मिशन हो,जी-20 सम्मेलन का सफल आयोजन आदि!इसके बाद राष्ट्रीय व
अन्तराष्ट्रीय राजनीति पंडितों के मध्य चर्चा होने लगी है विश्व के बड़े लोकतंत्र भारत को विश्व के सबसे शक्तिशाली अर्न्तराष्ट्रीय संगठन संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद में पूर्ण रूपेण स्थाई सदस्यता मिल पायेंगी?आप को बता दे कि इससे पहले भी इस तरह की चर्चा समय-समय पर होती रही है।इस संदर्भ में विगत दिनों विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ऐलान किया कि 'भारत जल्द ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बन जाएगा।पश्चिमी देश भारत के लिए अपने दरवाजे ज्यादा वक्त तक बंद नहीं रख सकते।प्रधान मंत्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद मे के स्थाई सदस्यों की संख्या में वुद्धि का प्रस्ताव रखा है।दुनिया के अधिकतर देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी कुर्सी पर भारत देखना चाहते हैं।
अन्तराष्ट्रीय राजनीति पंडितों के मध्य चर्चा होने लगी है विश्व के बड़े लोकतंत्र भारत को विश्व के सबसे शक्तिशाली अर्न्तराष्ट्रीय संगठन संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद में पूर्ण रूपेण स्थाई सदस्यता मिल पायेंगी?आप को बता दे कि इससे पहले भी इस तरह की चर्चा समय-समय पर होती रही है।इस संदर्भ में विगत दिनों विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ऐलान किया कि 'भारत जल्द ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बन जाएगा।पश्चिमी देश भारत के लिए अपने दरवाजे ज्यादा वक्त तक बंद नहीं रख सकते।प्रधान मंत्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद मे के स्थाई सदस्यों की संख्या में वुद्धि का प्रस्ताव रखा है।दुनिया के अधिकतर देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी कुर्सी पर भारत देखना चाहते हैं।
जी -20 सम्मेलन के सफल आयोजन के बाद पाकिस्तान का अजीज दोस्त तुर्की भी भारत के साथ देने को तैयार लग रहे है।इस बात को बल तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन ने वीते रविवार को कहा कि अगर भारत जैसा देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनता है तो तुर्की को इसका गर्व होगा।हम सुरक्षा परिषद में सिर्फ इन 5 को नहीं रखना चाहते हैं।' आप को याद दिलाना चाहता हुँ कि तुर्की अकसर पाकिस्तान के पक्ष लेता रहा है।वह कश्मीर मुद्दे पर भी खुलकर बयानबाजी करता है।इससे पहले जी 20 सम्मेलन में शामिल होने आए
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने प्रधान मंत्री मोदी से द्विपक्षीय वार्ता की। अपने साझा बयान में उन्होंने कहा कि 'ग्लोबल गवर्नेंस में ज्यादा लोगों की साझेदारी और प्रतिनिधित्व होना चाहिए।हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थाई सदस्य बनाए जाने का समर्थन करते हैं।इसी संदर्भ में भारत को 2028-29 में नॉन परमानेंट मेंबर बनने की उम्मीदवारी का स्वागत करते हैं।' जी20 में शामिल होने आए संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटारेस ने भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सदस्यता का फैसला उनके हाथ में नहीं है,लेकिन वो चाहते हैं कि इसमें सुधार होऔर इसमें भारत भी शामिल हो।…लेकिन सबसे बड़ा बाधा चीन है।
संयुक्त राष्ट सुरक्षा परिषद में अमेरिका,ब्रिटेन,फ्रांस,रूस और चीन पाँच देश है।चार देश भारत का समर्थन करने को तत्पर हैं, संयुक्त राष्ट्र की सबसे ताकतवर बॉडी पर सुरक्षा परिषद भारत को प्रवेश मिले चीन नही चाहता है। सर्वविदित रहे कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कोई भी प्रस्ताव पारित करने के लिए सभी पाँच स्थायी देशों का समर्थन जरूरी है। फ्रांस,अमेरिका,रूस और ब्रिटेन अपनी सहमति जता चुके हैं, लेकिन चीन अलग-अलग बहानों से भारत की स्थायी सदस्यता का विरोध करता रहा है।आप को संस्मरण होगा कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्य बनने का समर्थन चीन का किया था।1990 के दशक में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार के विरोध में एक खेमा बना था।
संयुक्त राष्ट सुरक्षा परिषद में अमेरिका,ब्रिटेन,फ्रांस,रूस और चीन पाँच देश है।चार देश भारत का समर्थन करने को तत्पर हैं, संयुक्त राष्ट्र की सबसे ताकतवर बॉडी पर सुरक्षा परिषद भारत को प्रवेश मिले चीन नही चाहता है। सर्वविदित रहे कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कोई भी प्रस्ताव पारित करने के लिए सभी पाँच स्थायी देशों का समर्थन जरूरी है। फ्रांस,अमेरिका,रूस और ब्रिटेन अपनी सहमति जता चुके हैं, लेकिन चीन अलग-अलग बहानों से भारत की स्थायी सदस्यता का विरोध करता रहा है।आप को संस्मरण होगा कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्य बनने का समर्थन चीन का किया था।1990 के दशक में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार के विरोध में एक खेमा बना था।
यूनाइटेड फॉर कंसेंशस,जिसे कॉफी क्लब भी कहा जाता है। इस समूह में करीब 40 ऐसे देश हैं जो अपने हितों के लिए पड़ोसी मुल्कों को सुरक्षा परिषद में शामिल नहीं होने देना चाहते हैं।इन देशों मेंइटली,स्पेन,कनाडा, साउथ कोरिया,ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना और पाकिस्तान जैसे देश शामिल हैं।इटली और स्पेन मिलकर जर्मनी की स्थायी सदस्यता का विरोध करते हैं। अर्जेंटीना ब्राजील का,ऑस्ट्रेलिया जापान का और पाकिस्तान भारत का विरोध करता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए भारत अपनी ओर से लामबन्ध करने की पूरी कोशिश कर रहा है।भारत जिस तरह ब्राजील और साउथ अफ्रीका के साथ मिलकर(IBSA)समूह बनाया है।इसी तरह ब्राजील
,जर्मनीऔर जापान के साथ मिलकर जी 4 गठबंधन बनाया है।ये पांचों वो देश हैं जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता चाहते हैं।जी 4 ने तो यहां तक कहा है कि अगर स्थायी सदस्यता मिलने के बाद हमारे वीटो पावर से चिंता है तो हम 15 सालों के लिए वीटो का अधिकार छोड़ने को भी तैयार हैं।संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में छठी स्थाई सीट का भारत सबसे मजबूत दावेदार है।सवाल उठाना स्वाभाविक है कि भारत को सुरक्षा परिषद में अब तक स्थाई सदस्यता नही मिलना चिन्ता जनक है ।जिस देश में विश्व की17%आबादी रहती है।जिस देश की 142 करोड़ जनसंख्या हो।इतनी बड़ी आबादी वाले देश का प्रतिनिधि होना जरूरी है।
,जर्मनीऔर जापान के साथ मिलकर जी 4 गठबंधन बनाया है।ये पांचों वो देश हैं जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता चाहते हैं।जी 4 ने तो यहां तक कहा है कि अगर स्थायी सदस्यता मिलने के बाद हमारे वीटो पावर से चिंता है तो हम 15 सालों के लिए वीटो का अधिकार छोड़ने को भी तैयार हैं।संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में छठी स्थाई सीट का भारत सबसे मजबूत दावेदार है।सवाल उठाना स्वाभाविक है कि भारत को सुरक्षा परिषद में अब तक स्थाई सदस्यता नही मिलना चिन्ता जनक है ।जिस देश में विश्व की17%आबादी रहती है।जिस देश की 142 करोड़ जनसंख्या हो।इतनी बड़ी आबादी वाले देश का प्रतिनिधि होना जरूरी है।
विगत एक दशक में भारत की औसतन सालाना विकास दर 7% से ज्यादा रही है।यह चीन के बाद किसी भी दूसरे बड़े देश की तुलना में सबसे ज्यादा है।भारत परमाणु शक्ति संपन्न है,लेकिन वो इसका दिखावा नहीं करता।अगर भारत को सुरक्षा परिषद में शामिल किया जाता है तो परमाणु निरस्त्रीकरण प्रोग्राम में वह अहम भूमिका निभा सकता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में किसी नए देश को शामिल करने के लिए पहले संयुक्त राष्ट्र चार्टर में संशोधन करना होगा।इसके लिए दो शर्तें हैं।पहला-संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों में से दो-तिहाई का समर्थन हो।दूसरा- सुरक्षा परिषद में शामिल पांचों देशों की सहमति हो।कोई एक देश भी असहमत हुआ तो प्रस्ताव खारिज हो जाएगा।
भारत को 4 स्थायी देशों का समर्थन मिलने का तब तक कोई मतलब नहीं है,जब तक चीन भी इसके लिए राजी नहीं होता। भारत यु.एन.एस.सी में सुधार की वकालत कर रहा है,क्योंकि इसमें शामिल होने का यही एक तरीका नजर आता है। चीन ने भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का समर्थन किया है।उसका कहना है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में और विकासशील देशों को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।हालांकि,सीधे तौर पर भारत की सदस्यता पर वो अडंगा लगाता रहा है।इसके समाधान का रास्ता राजनीतिक ही है।आप के मन प्रशन होगा कि अगर भारत संयुक्त राष्ट्र संध सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बन गया,तो क्या मिल जाएगा?
इसे समझने के लिए हम 7 दशक पीछे आप को जाना होगा।सन 1945 में दूसरा विश्व युद्ध खत्म होने को था।जंग में 7 करोड़ से ज्यादा लोग मारे गए।आर्थिक व्यवस्था चरमरा गई।भुखमरी,महंगाई और तंगहाली चरम पर थी।दुनिया शांति चाहती थी।इसी दौरान 50 देशों के प्रतिनिधियों ने मिलकर एक चार्टर पर हस्ताक्षर किए और इस तरह एक नई अंतरराष्ट्रीय संस्था की नींव रखी।उम्मीद की गई कि यह संस्था पहले और दूसरे विश्वयुद्ध जैसा कोई तीसरा युद्ध नहीं होने देगी।दुनिया आज इसे यूनाइटेड नेश्सन यानी संयुक्त राष्ट्र के नाम से जानती है।संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंग हैं.1.संयुक्त राष्ट्र महासभा 2.संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद
3.आर्थिक एवं सामाजिक परिषद 4.संयुक्त राष्ट्र सचिवालय 5.अंतरराष्ट्रीय न्यायालय 6.संयुक्त राष्ट्र न्यास परिषद
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी य.एन.एस.सी संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से एक है।यह संयुक्त राष्ट् की सबसे शक्तिशाली संस्था है।इस पर अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने और संयुक्त राष्ट्र चार्टर में किसी भी बदलाव को मंजूरी देने की जिम्मेदारी है।कुछ मामलों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद
(UNSC)अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखने या बहाल करने के लिए प्रतिबंध लगाने या बल उपयोग करने का सहारा ले सकती है।
इसे समझने के लिए हम 7 दशक पीछे आप को जाना होगा।सन 1945 में दूसरा विश्व युद्ध खत्म होने को था।जंग में 7 करोड़ से ज्यादा लोग मारे गए।आर्थिक व्यवस्था चरमरा गई।भुखमरी,महंगाई और तंगहाली चरम पर थी।दुनिया शांति चाहती थी।इसी दौरान 50 देशों के प्रतिनिधियों ने मिलकर एक चार्टर पर हस्ताक्षर किए और इस तरह एक नई अंतरराष्ट्रीय संस्था की नींव रखी।उम्मीद की गई कि यह संस्था पहले और दूसरे विश्वयुद्ध जैसा कोई तीसरा युद्ध नहीं होने देगी।दुनिया आज इसे यूनाइटेड नेश्सन यानी संयुक्त राष्ट्र के नाम से जानती है।संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंग हैं.1.संयुक्त राष्ट्र महासभा 2.संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद
3.आर्थिक एवं सामाजिक परिषद 4.संयुक्त राष्ट्र सचिवालय 5.अंतरराष्ट्रीय न्यायालय 6.संयुक्त राष्ट्र न्यास परिषद
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी य.एन.एस.सी संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से एक है।यह संयुक्त राष्ट् की सबसे शक्तिशाली संस्था है।इस पर अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने और संयुक्त राष्ट्र चार्टर में किसी भी बदलाव को मंजूरी देने की जिम्मेदारी है।कुछ मामलों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद
(UNSC)अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखने या बहाल करने के लिए प्रतिबंध लगाने या बल उपयोग करने का सहारा ले सकती है।
यानी अगर भारत भी यु.एन.एस.सी का स्थाई सदस्य बन गया तो विश्व के किसी भी बड़े मामले पर उसकी सहमति आवश्यक होगी। भारत का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रबल दावेदारी से विश्व राजनीति में परिवर्तन के शुभ संकेत है लेकिन इंतजार की घड़ी कब खत्म होगी ।इस संदर्भ अभी कुछ कहना जल्द बाजी होगी।तभी तो किसी ने कहाँ इंतजार का फल हमेशा मीठा होता है।हमआस्थावान व आशावन भारत के निवासी है।
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