करम पूजा को राष्ट्रीय पर्व का दर्जा देने की मांग

० योगेश भट्ट ० 
* करम पर्व मुख्यता झारखण्ड, छत्तीसगढ, ओडिशा और बिहार के जनजातीय समुदायों का बहुत बड़ा पर्व है * करम पूजा महोत्सव को राष्ट्रीय पर्व का दर्जा मिलना चाहिए 
नई दिल्ली, करम महोत्सव -2023 के आयोजन मशाल सोशल वेल्फेयर सोसाईटी (रजि) संगठन के संरक्षक  युवराज बोध एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहन बड़ाईक के नेतृत्व में एन डी एम सी कन्वेंशन सेंटर, नई दिल्ली में हुआ। करम पूजा महोत्सव को जनजातीय मंत्रालय एवं ट्राईफेड के सौजन्य से आयोजित किया गया।इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अर्जुन मुंडा ( जनजातीय कार्य मंत्री, भारत सरकार) मंत्रालय के विशेष कार्यक्रम में
व्यस्त होने के कारण शामिल नही हो सके लेकिन उन्होंने अपना शुभ संदेश वीडियो द्वारा भेजा जिसमें उन्होंने करम महोत्सव महापर्व की सभी को शुभकामनाएं दी और इस तरह के आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देने वाली हर त्योहार को आगे भी हर संभव सहायता देने के लिए बोला।
संगठन के राष्ट्रीय संरक्षक युवराज बोध ने कहा कि यह कार्यक्रम पूर्व केंद्रीय मंत्री सह लोक-सभा सांसद जुएल ओराम के अध्यक्षता में आयोजित किया गया। मशाल सोशल वेल्फेयर सोसाईटी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में विभिन्न जनजातीय आदिवासी पर्व त्यौहारों का आयोजन पिछले कई वर्षों से आयोजित करते आ रही है। संस्था द्वारा आदिवासी पारंपरिक कला संस्कृति को बढ़ावा देने का कार्य अत्यन्त सराहनीय है। दिल्ली के अंदर विभिन्न प्रदेशों से आए लगभग 30 लाख आदिवासी 6 समाज प्रवास करते हैं जो दिल्ली/एनसीआर के विभिन्न क्षेत्रों में प्रवास करते हैं।
संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मोहन बड़ाईक ने अपने संबोधन में कहा कि "करम पर्व मुख्यता झारखण्ड, छत्तीसगढ, ओडिशा और बिहार के जनजातीय समुदायों का बहुत बड़ा पर्व है"। आदिवासी समाज जल-जंगल-जमीन से जुड़ा हुआ है यह पर्व भादो महीने के एकादशी के शुक्ल पक्ष के दिन मनाई जाती है। महिलाएं करम देवता का व्रत-उपवास कर अपने घर की सुख समृद्धि तथा भाई की दीर्घायु हेतु उपासना करती हैं। एकादशी के दिन पहान द्वारा उपवास कर विधिवत रीति-रिवाज के अनुसार सूर्यास्त से पहले करम वृक्ष की डाल काट कर लाया जाता है। सूर्यास्त के बाद घर के आंगन में काट कर लाई गई करम डाल को स्थापित किया जाता है,
उपासिन स्थापित करम डाल के चारों ओर बैठकर पाहन के द्वारा विधिवत रीति-रिवाज के साथ करम की कहानी सुनती हैं और पूजन करती हैं। पहान द्वारा करम कहानी सुनने के पश्चात पारम्परिक सांस्कृतिक नृत्य-गायन और वादन के साथ करम डाल की परिक्रमा करती हैं और यह सिलसिला रात भर चलता है ।
संस्था की महासचिव श्रीमती रोजिना ने कहा कि करम पूजा महोत्सव को राष्ट्रीय पर्व का दर्जा मिलना चाहिए जिस प्रकार प्रधानमंत्री ने भगवान बिरसा मुंडा की जन्म दिवस को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की प्रधानमंत्री करम पूजा को राष्ट्रीय पर्व का दर्जा देने का कष्ट करते हुए राष्ट्र के नाम करम पूजा की शुभकामना देने की कृपा करें

 जिसके लिए समस्त आदिवासी समाज आपका श्रृणी रहेंगे।कार्यक्रम में देश के कई प्रदेशों से जनजातीय समाज के क्षेत्रीय कलाकार शामिल हुए और अपनी पारंपरिक, सांस्कृतिक और कला का प्रदर्शन करेंगे उनमे मुख्यत: उराँव, मुंडा, खड़िया, संथाल, बोड़ो, हो, कादर, भील एवं चीक-बड़ाईक ईत्यादि शामिल होंगे। मुख्य आकर्षण: करम पूजा महोत्सव, रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं सिमडेगा टैलेंट शॉ 2019 की पहली विजेता एवं वॉइस ऑफ झारखण्ड की चयनित कलाकार कुमारी रानी बड़ाईक उपस्थित हुए।

अंत में  मोहन ने कहा कि मशाल सोशल वेल्फेयर सोसाइटी द्वारा आयोजित करम पूजा महोत्सव में शामिल होने के लिए सभी अतिथिगण सांसद, विधायक, समाजसेवी एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली एनसीआर में रह रहे समस्त जनजातीय समुदाय का कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिए धन्यवाद दिया।

इस कार्यक्रम के सदस्यों में संरक्षक युवराज बोध, राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहन बड़ाईक, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आलोक मिचयारी, तोताराम भील (अध्यक्ष आदिवासी विकास परिषद) दिल्ली, अभिषेक राठौर, धर्मेंद्र गाडियोक, मदन राय,  प्रदीप कन्नौजिया, महासचिव रोजिना बक्कर, प्रतिमा मिंज, गंगाराम गगराई, आयूब बक्कर ईत्यादि शामिल हुए।

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