हथकरघा बुनाई एवं उत्पादन मेक इन इंडिया कार्यक्रम का एक अभिन्न अंग : विधि सिंघानिया
० आनंद चौधरी ०
नई कलेक्शन "रानीसा, विधि सिंघानिया की लक्जरी का परिणाम है। यह बनारस और कोटा के खास धागों के साथ तैयार किया गया है। विधि सिंघानिया कई बुनकरों के साथ काम करती है, इस सहयोग में लगभग 3 हजार से अधिक बुनकर शामिल हैं। पीसी तोतुका एंड संस पारंपरिक कला और नवाचार का मिश्रण प्रस्तुत करती है।
नई कलेक्शन "रानीसा, विधि सिंघानिया की लक्जरी का परिणाम है। यह बनारस और कोटा के खास धागों के साथ तैयार किया गया है। विधि सिंघानिया कई बुनकरों के साथ काम करती है, इस सहयोग में लगभग 3 हजार से अधिक बुनकर शामिल हैं। पीसी तोतुका एंड संस पारंपरिक कला और नवाचार का मिश्रण प्रस्तुत करती है।
नयी दिल्ली - आत्मनिर्भर भारत को साकार करने की दिशा में एक कदम उठाते हुए पीसी तोतुका एंड संस और जानी मानी साड़ी डिजाइनर विधि सिंघानिया साझा रूप से काम कर रहे हैं। विधि सिंघानिया का कहना है कि हथकरघा बुनाई, उत्पादन स्वाभाविक रूप से मेक-इन-इंडिया कार्यक्रम का एक अभिन्न अंग है। उन्होंने बताया कि हथकरघा और हस्तशिल्प क्षेत्रों को समर्थन देने और हथकरघा बुनकरों, कारीगरों, उत्पादकों के लिए व्यापक बाजार को सक्षम करने के लिए हम लगातार कम कर रहे हैं।
इसी कड़ी में पीसी गोतुका एंड संस ने विधि सिंघानिया के साथ मिलकर एक खास ब्राइडल पॉप-अप इवेंट की मेजबानी की है। यह आयोजन विरासत और नवाचार का मेल है जिसमें त्योहार के मौसम के लिए खास जेवर और वस्त्र प्रदर्शित किए जाएंगे। पीसी गोतुका एंड संस की यात्रा सौ साल से भी अधिक है। उनके जेवर समय की पारंपरिक विरासत की गवाह है।
जबकि विधि सिंघानिया, 25 साल पुरानी विरासत वाली ब्रांड, हाथ के बने उत्पाद प्रस्तुत करती है। विधि सिंघानिया और पीसी तोतुका एंड संस का उत्पाद नई दिल्ली स्थित डिफेंस कॉलोनी के नए शोरूम में देखा जा सकता है।
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