जो किसान हित में काम करेगा, वही देश और राज्य में राज करेगा
० आशा पटेल ०
केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा-आरएसएस की मोदी सरकार को किसान-विरोधी सरकार है इस सरकार के द्वारा किसान-आंदोलन के साथ की गई वादा-खिलाफी को याद दिलाया। किसान आंदोलन भारत में पिछले 25-30 वर्षों में ऐतिहासिक आंदोलन था
जयपुर। संयुक्त किसान मोर्चा,राजस्थान का राज्य-सम्मेलन जयपुर में सम्पन्न हुआ। सम्मेलन में राज्य के सभी जिलों से किसान संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इस सम्मेलन में किसान आंदोलन की आगे की रणनीति तैयार की गई। सम्मेलन में संयुक्त किसान मोर्चा,राजस्थान की आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों सहित भावी आंदोलन की रूपरेखा तय की गई।
सम्मेलन की अध्यक्षता सूरजभान ,छगन चौधरी, रणजीत राजू, रमनप्रीत रंधावा, फूलचंद ढेवा, राजाराम मील, मनिंदर मान, बजरंग एडवोकेट और सवाई सिंह के अध्यक्ष मंडल ने की। सम्मेलन का संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय समन्वय समिति के सदस्य और अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष पी.कृष्णा प्रसाद ने उदघाटन करते हुए कहा कि केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा-आरएसएस की मोदी सरकार को किसान-विरोधी सरकार है इस सरकार के द्वारा किसान-आंदोलन के साथ की गई वादा-खिलाफी को याद दिलाया। किसान आंदोलन भारत में पिछले 25-30 वर्षों में ऐतिहासिक आंदोलन था ,
अखिल भारतीय किसान सभा के सागर खाचरिया,भारतीय किसान यूनियन(टिकैत) के राजाराम मील, राजस्थान किसान सभा के का.तारा सिंह सिद्धू, आदिवासी जनाधिकार एकता मंच राजस्थान से दुलीचंद मीना, जीकेएस से रणजीत राजू ,अखिल भारतीय खेत मजदूर युनियन से रामरतन बगड़िया,किसान आर्मी श्रीगंगानगर से मनिंदर मान,जय किसान आंदोलन से कैलाश यादव, अखिल भारतीय किसान महासभा से रामचन्द्र कुल्हरी,समग्र सेवा संघ से अब्दुल हमीद, क्रांतिकारी किसान यूनियन के बजरंग एडवोकेट आदि नेताओं ने सम्बोधित किया।
संयुक्त किसान मोर्चा की राष्ट्रीय समन्वय समिति के गुरुमीत सिंह मेहमा ने करते हुये संयुक्त किसान मोर्चा की राष्ट्रीय समन्वय समिति की ओर से राजस्थान के किसानों और अन्य संगठनों को सफल आयोजन के लिए बधाई देते हुए राज्य के किसान आंदोलन की गौरवशाली परंपरा को कायम रखते हुए राज्य में साम्प्रदायिक ताकतों को मुंहतोड़ जवाब देने का आह्वान किया। महमा ने पंजाब के किसान संगठनों का उदाहरण देते हुए बताया कि पंजाब के 32 संगठनों ने जाति , धर्म , दलीय भावना छोड़कर एकता कायम कर , मजबूती से प्रतिरोध किया। पंजाब के किसानों ने संघर्ष से ही जमीन, कृषि मंडी , न्यूनतम समर्थन मूल्य हासिल किया है।
सम्मेलन के दूसरे सत्र को किसान मांग सम्मेलन का नाम दिया गया। किसान मांग सम्मेलन में सबसे पहले राज्य के किसानों की ओर से तैयार किया गया किसान मांगपत्र रखा गया और चर्चा के पश्चात मांगपत्र को कुछ सुझावों को शामिल करते हुए सर्वसम्मति से पारित किया गया। इस सत्र में आमंत्रित किए गए विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को मांगपत्र सौंपा गया और उन्हें इस मांगपत्र पर अपनी-अपनी पार्टियों का रुख स्पष्ट करते हुये इन मांगों को अपने घोषणापत्रों में शामिल करने का आह्वान किया। सम्मेलन में आये राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने किसान मांगपत्र का समर्थन किया और सरकार में आने पर मांगों को पूरी करने का वचन भी दिया।
सम्मेलन में फैसला किया गया है कि आगामी विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनावों में राज्य के किसान गांव-गांव और ढाणी-ढाणी में वोट मांगने के लिए आने पर राजनीतिक दलों के नेताओं और प्रत्याशियों से किसान-विरोधी नीतियों और कृत्यों का जबाव मांगेंगे और उन किसान विरोधी दलों और नेताओं को सबक सिखाने का काम करेंगे जिन्होंने किसान विरोधी नीतियों को बनाया, लागू किया अथवा बनाने में सहयोग किया।
सम्मेलन ने ऐलान किया कि जो किसान हित में काम करेगा, वही देश और राज्य में राज करेगा।
किसान सम्मेलन में सर्वसम्मति से आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में किसानों ने घोर किसान विरोधी, नीतियों और अमल में भी किसान हितों के ख़िलाफ़ काम करने वाली, ऐतिहासिक किसान आंदोलन के 750 किसानों की शहादत के लिए जिम्मेदार भारतीय जनता पार्टी-राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ(आरएसएस) को सबक़ सिखाने और चुनावों में हराने का लिया संकल्प लिया।
सम्मेलन में साम्प्रदायिक ताकतों को एकजुट होकर मुंहतोड़ जबाब देते हुए साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की भाजपा की राजनीति का राज्य भर में पर्दाफाश करने का फैसला किया। इसके लिए व्यापक अभियान चलाया जाएगा कि साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करके सत्ता हासिल करने के संघी फार्मूले को बेनकाब किया जा सके। राज्य के किसानों और आम जनता से आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में धर्मनिरपेक्ष और किसानों के संघर्षों में अग्रणी भूमिका निभाने वाले दलों और व्यक्तियों को भारी बहुमत से जिता कर किसान विरोधी और जन विरोधी नीतियों का जबाव देने का आह्वान किया गया। सम्मेलन में आगामी चुनावों और भावी-आंदोलन की रणनीति तैयार की गई है।
सम्मेलन में राजनीतिक दलों में से भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) के राज्य सचिव कॉ. अमराराम, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव कॉ. नरेन्द्र आचार्य, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) की केन्द्रीय कमेटी के सदस्य का. फूल चंद ढेवा, समाजवादी पार्टी से विनोद यादव, कांग्रेस की ओर से कांग्रेस के प्रदेश महासचिव जसवंत गुर्जर और स्वराज इंडिया पार्टी की ओर से योगेन्द्र यादव ने किसानों के मांगपत्र पर अपनी पार्टियों का दृष्टिकोण रखते हुए सभी ने मांगपत्र में रखी गई मांगों का पुरजोर समर्थन करते हुए इन्हें अपने घोषणापत्रों में शामिल करने और इन मांगों को पूरा करने में पूर्ण सहयोग का विश्वास दिलाया।
उन्होनें बताया कि राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा को शामिल होना था परन्तु अपरिहार्य कारणों से वो सम्मेलन में नहीं आ पाये और उन्होंने संयुक्त किसान मोर्चा राजस्थान के प्रतिनिधिमंडल को मुख्यमंत्री आवास पर विशेष रूप से मांगपत्र पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया। सम्मेलन के समापन के बाद संयुक्त किसान मोर्चा,राजस्थान के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से मिलकर उन्हें किसानों का मांगपत्र सौंपा और मुख्यमंत्री ने मांगपत्र पर विस्तार पूर्वक चर्चा करते हुये मांगपत्र की तत्काल पूर्ण हो सकने वाली मांगों को पूरा करने और मांगपत्र को घोषणापत्र में शामिल करते हुये भविष्य में उन पर काम करने का विश्वास दिलाया।
जयपुर। संयुक्त किसान मोर्चा,राजस्थान का राज्य-सम्मेलन जयपुर में सम्पन्न हुआ। सम्मेलन में राज्य के सभी जिलों से किसान संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इस सम्मेलन में किसान आंदोलन की आगे की रणनीति तैयार की गई। सम्मेलन में संयुक्त किसान मोर्चा,राजस्थान की आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों सहित भावी आंदोलन की रूपरेखा तय की गई।
सम्मेलन में संयुक्त किसान मोर्चा राजस्थान में शामिल सभी संगठनों के प्रमुख नेताओं ने अपनी बात रखते हुए राज्य में संयुक्त किसान मोर्चा के संगठन को और मजबूत बनाते हुए किसान-आंदोलन को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। सम्मेलन के आख़िर में संयुक्त किसान मोर्चा राजस्थान की समन्वय समिति का चुनाव किया गया जिसमें राजस्थान में मोर्चे में शामिल सभी संगठनों को शामिल किया गया है। समन्वय समिति में शामिल संगठन हैं -
अखिल भारतीय किसान सभा,भारतीय किसान यूनियन(टिकैत), जय किसान आंदोलन, जी.के.एस, राजस्थान किसान सभा ,समग्र सेवा संघ, सर्वोदय किसान मंडल,अखिल भारतीय किसान महासभा, अखिल भारतीय खेत और ग्रामीण मजदूर सभा,क्रांतिकारी किसान यूनियन, अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन,जनांदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, मजदूर किसान शक्ति संगठन,आदिवासी जनाधिकार एकता मंच, भारतीय खेत मजदूर यूनियन,मेवात किसान पंचायत, अलवर, इंसाफ़,,दलित शोषण मुक्ति मंच ,किसान आर्मी, श्रीगंगानगर।
सम्मेलन की अध्यक्षता सूरजभान ,छगन चौधरी, रणजीत राजू, रमनप्रीत रंधावा, फूलचंद ढेवा, राजाराम मील, मनिंदर मान, बजरंग एडवोकेट और सवाई सिंह के अध्यक्ष मंडल ने की। सम्मेलन का संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय समन्वय समिति के सदस्य और अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष पी.कृष्णा प्रसाद ने उदघाटन करते हुए कहा कि केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा-आरएसएस की मोदी सरकार को किसान-विरोधी सरकार है इस सरकार के द्वारा किसान-आंदोलन के साथ की गई वादा-खिलाफी को याद दिलाया। किसान आंदोलन भारत में पिछले 25-30 वर्षों में ऐतिहासिक आंदोलन था ,
जिसने सरकार के तीन कृषि कानुनों को वापस लेने पर मजबूर कर दिया था। ये झूठ फरेब और मक्कारी के बल पर देशी-विदेशी आकाओं की चाकरी करने वाली सरकार है। पी.कृष्णा प्रसाद ने राजस्थान के किसानों से आह्वान किया कि ऐसी किसान-मजदूर विरोधी पार्टी को किसी भी सूरत में सत्ता से बाहर रखने और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों में ऐतिहासिक किसान आंदोलन में 750 किसानों की शहादत को याद करते हुए केंद्र की सरकार को उखाड़ फेंकने का आव्हान किया।
अखिल भारतीय किसान सभा के सागर खाचरिया,भारतीय किसान यूनियन(टिकैत) के राजाराम मील, राजस्थान किसान सभा के का.तारा सिंह सिद्धू, आदिवासी जनाधिकार एकता मंच राजस्थान से दुलीचंद मीना, जीकेएस से रणजीत राजू ,अखिल भारतीय खेत मजदूर युनियन से रामरतन बगड़िया,किसान आर्मी श्रीगंगानगर से मनिंदर मान,जय किसान आंदोलन से कैलाश यादव, अखिल भारतीय किसान महासभा से रामचन्द्र कुल्हरी,समग्र सेवा संघ से अब्दुल हमीद, क्रांतिकारी किसान यूनियन के बजरंग एडवोकेट आदि नेताओं ने सम्बोधित किया।
संयुक्त किसान मोर्चा की राष्ट्रीय समन्वय समिति के गुरुमीत सिंह मेहमा ने करते हुये संयुक्त किसान मोर्चा की राष्ट्रीय समन्वय समिति की ओर से राजस्थान के किसानों और अन्य संगठनों को सफल आयोजन के लिए बधाई देते हुए राज्य के किसान आंदोलन की गौरवशाली परंपरा को कायम रखते हुए राज्य में साम्प्रदायिक ताकतों को मुंहतोड़ जवाब देने का आह्वान किया। महमा ने पंजाब के किसान संगठनों का उदाहरण देते हुए बताया कि पंजाब के 32 संगठनों ने जाति , धर्म , दलीय भावना छोड़कर एकता कायम कर , मजबूती से प्रतिरोध किया। पंजाब के किसानों ने संघर्ष से ही जमीन, कृषि मंडी , न्यूनतम समर्थन मूल्य हासिल किया है।
सम्मेलन के दूसरे सत्र को किसान मांग सम्मेलन का नाम दिया गया। किसान मांग सम्मेलन में सबसे पहले राज्य के किसानों की ओर से तैयार किया गया किसान मांगपत्र रखा गया और चर्चा के पश्चात मांगपत्र को कुछ सुझावों को शामिल करते हुए सर्वसम्मति से पारित किया गया। इस सत्र में आमंत्रित किए गए विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को मांगपत्र सौंपा गया और उन्हें इस मांगपत्र पर अपनी-अपनी पार्टियों का रुख स्पष्ट करते हुये इन मांगों को अपने घोषणापत्रों में शामिल करने का आह्वान किया। सम्मेलन में आये राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने किसान मांगपत्र का समर्थन किया और सरकार में आने पर मांगों को पूरी करने का वचन भी दिया।
सम्मेलन में फैसला किया गया है कि आगामी विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनावों में राज्य के किसान गांव-गांव और ढाणी-ढाणी में वोट मांगने के लिए आने पर राजनीतिक दलों के नेताओं और प्रत्याशियों से किसान-विरोधी नीतियों और कृत्यों का जबाव मांगेंगे और उन किसान विरोधी दलों और नेताओं को सबक सिखाने का काम करेंगे जिन्होंने किसान विरोधी नीतियों को बनाया, लागू किया अथवा बनाने में सहयोग किया।
सम्मेलन ने ऐलान किया कि जो किसान हित में काम करेगा, वही देश और राज्य में राज करेगा।
किसान सम्मेलन में सर्वसम्मति से आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में किसानों ने घोर किसान विरोधी, नीतियों और अमल में भी किसान हितों के ख़िलाफ़ काम करने वाली, ऐतिहासिक किसान आंदोलन के 750 किसानों की शहादत के लिए जिम्मेदार भारतीय जनता पार्टी-राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ(आरएसएस) को सबक़ सिखाने और चुनावों में हराने का लिया संकल्प लिया।
सम्मेलन में साम्प्रदायिक ताकतों को एकजुट होकर मुंहतोड़ जबाब देते हुए साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की भाजपा की राजनीति का राज्य भर में पर्दाफाश करने का फैसला किया। इसके लिए व्यापक अभियान चलाया जाएगा कि साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करके सत्ता हासिल करने के संघी फार्मूले को बेनकाब किया जा सके। राज्य के किसानों और आम जनता से आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में धर्मनिरपेक्ष और किसानों के संघर्षों में अग्रणी भूमिका निभाने वाले दलों और व्यक्तियों को भारी बहुमत से जिता कर किसान विरोधी और जन विरोधी नीतियों का जबाव देने का आह्वान किया गया। सम्मेलन में आगामी चुनावों और भावी-आंदोलन की रणनीति तैयार की गई है।
सम्मेलन में राजनीतिक दलों में से भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) के राज्य सचिव कॉ. अमराराम, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव कॉ. नरेन्द्र आचार्य, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) की केन्द्रीय कमेटी के सदस्य का. फूल चंद ढेवा, समाजवादी पार्टी से विनोद यादव, कांग्रेस की ओर से कांग्रेस के प्रदेश महासचिव जसवंत गुर्जर और स्वराज इंडिया पार्टी की ओर से योगेन्द्र यादव ने किसानों के मांगपत्र पर अपनी पार्टियों का दृष्टिकोण रखते हुए सभी ने मांगपत्र में रखी गई मांगों का पुरजोर समर्थन करते हुए इन्हें अपने घोषणापत्रों में शामिल करने और इन मांगों को पूरा करने में पूर्ण सहयोग का विश्वास दिलाया।
उन्होनें बताया कि राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा को शामिल होना था परन्तु अपरिहार्य कारणों से वो सम्मेलन में नहीं आ पाये और उन्होंने संयुक्त किसान मोर्चा राजस्थान के प्रतिनिधिमंडल को मुख्यमंत्री आवास पर विशेष रूप से मांगपत्र पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया। सम्मेलन के समापन के बाद संयुक्त किसान मोर्चा,राजस्थान के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से मिलकर उन्हें किसानों का मांगपत्र सौंपा और मुख्यमंत्री ने मांगपत्र पर विस्तार पूर्वक चर्चा करते हुये मांगपत्र की तत्काल पूर्ण हो सकने वाली मांगों को पूरा करने और मांगपत्र को घोषणापत्र में शामिल करते हुये भविष्य में उन पर काम करने का विश्वास दिलाया।
इस प्रतिनिधिमंडल में डॉ.संजय" माधव", राजाराम मील,तारा सिंह सिद्धू, रमनप्रीत सिंह रंधावा, मनिंदर मान, दीपक लाम्बा शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल की मुख्यमंत्री से मुलाकात में योगेन्द्र यादव ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और प्रतिनिधिमंडल के साथ मुख्यमंत्री से मुलाकात करते हुए मांगपत्र के महत्वपूर्ण बिन्दुओं को रेखांकित किया।अध्यक्षमंडल की ओर से हिम्मत सिंह गुर्जर ने सम्मेलन का समापन किया।
सम्मेलन का संचालन डॉ.संजय"माधव", कैलाश गहलोत और रमन यादव ने किया।
सम्मेलन का संचालन डॉ.संजय"माधव", कैलाश गहलोत और रमन यादव ने किया।
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