7वीं बिमटेक बीमा संगोष्ठी इंश्योरेंस और सस्टेनेबिलिटी पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर चर्चा
आज की दुनिया में, हमें सस्टेनेबिलिटी के साथ इनोवशन को प्राथमिकता देनी चाहिए और हमें ऐसे काम करने चाहिए जिनसे प्रत्येक व्यक्ति की भलाई संभव हो सके। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि हम एक साथ मिलकर काम करें, सभी हितधारकों से परामर्श करें, और ऐसा भविष्य बनाएं जहां कोई भी पीछे न रहे।
बिमटेक के डायरेक्टर डॉ. एच.चतुर्वेदी के स्वागत भाषण के साथ बीमा संगोष्ठी की शुरुआत हुई। अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ता नीति के विशेषज्ञ और जनरल इंश्योरेंस काउंसिल की कार्यकारी समिति के सदस्य प्रोफेसर बेजोन कुमार मिश्रा ने फिर विषय प्रवर्तन करते हुए संबंधित विषय पर विचारोत्तेजक चर्चा की। दिन की बातचीत का माहौल तैयार करते हुए, भारतीय जीवन बीमा निगम के पूर्व अध्यक्ष एम.आर. कुमार ने प्रमुख वक्ता के तौर पर चर्चा को आगे बढ़ाया।
संगोष्ठी के दौरान ‘इंडिया इंश्योरेंस रिपोर्ट’ का विमोचन भी किया गया। इस रिपोर्ट में देश में बीमा बाजार की वर्तमान स्थिति के बारे में व्यावहारिक जानकारी प्रदान की गई है। अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ता नीति के विशेषज्ञ और जनरल इंश्योरेंस काउंसिल की कार्यकारी समिति के सदस्य प्रोफेसर बेजोन कुमार मिश्रा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, "आज की दुनिया में, हमें सस्टेनेबिलिटी के साथ इनोवशन को प्राथमिकता देनी चाहिए और हमें ऐसे काम करने चाहिए जिनसे प्रत्येक व्यक्ति की भलाई संभव हो सके। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि हम एक साथ मिलकर काम करें, सभी हितधारकों से परामर्श करें, और ऐसा भविष्य बनाएं जहां कोई भी पीछे न रहे।
हम अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को हासिल करने का निरंतर प्रयास करते हैं, और इस कोशिश में हमें यह भी याद रखना चाहिए कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं है, और ग्राहकों की खुशी ही कुंजी है। हमारे पास चुनौतियों से उबरने और सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा को किफायती बनाने की शक्ति है। आइए, आगे बढ़ें साथ मिलकर काम करें और नवप्रवर्तन करने और भारत तथा विश्व के लिए एक उज्जवल भविष्य बनाने की प्रतिज्ञा लें।"
भारतीय जीवन बीमा निगम के पूर्व अध्यक्ष एम.आर. कुमार ने चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा, “जलवायु परिवर्तन निश्चित तौर पर बीमा उद्योग को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेगा, क्योंकि यह एक ऐसा पहलू है जिससे बचना बहुत मुश्किल है। हमारा देश जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली अतिवृष्टि और भीषण गर्मी के प्रति सबसे संवेदनशील देशों में से एक है। समुद्र का जलस्तर बढ़ने से मुंबई शहर को 2050 तक 49 से 50 अरब अमेरिकी डॉलर का आर्थिक नुकसान हो सकता है। ऐसी सूरत में बीमाकर्ताओं को भौतिक और संक्रमणकालीन दोनों जोखिमों को ध्यान में रखना होगा और उन्हें प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के तरीके खोजने होंगे। नीति निर्माता बीमाकर्ताओं से वहां भी कवरेज बढ़ाने के लिए कह सकते हैं, जहां ऐसा करना भले ही आर्थिक रूप से अव्यवहार्य हो।"
भारतीय जीवन बीमा निगम के पूर्व अध्यक्ष एम.आर. कुमार ने चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा, “जलवायु परिवर्तन निश्चित तौर पर बीमा उद्योग को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेगा, क्योंकि यह एक ऐसा पहलू है जिससे बचना बहुत मुश्किल है। हमारा देश जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली अतिवृष्टि और भीषण गर्मी के प्रति सबसे संवेदनशील देशों में से एक है। समुद्र का जलस्तर बढ़ने से मुंबई शहर को 2050 तक 49 से 50 अरब अमेरिकी डॉलर का आर्थिक नुकसान हो सकता है। ऐसी सूरत में बीमाकर्ताओं को भौतिक और संक्रमणकालीन दोनों जोखिमों को ध्यान में रखना होगा और उन्हें प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के तरीके खोजने होंगे। नीति निर्माता बीमाकर्ताओं से वहां भी कवरेज बढ़ाने के लिए कह सकते हैं, जहां ऐसा करना भले ही आर्थिक रूप से अव्यवहार्य हो।"
जे.बी. बोड़ा ग्रुप ऑफ कंपनीज के ग्रुप चेयरमैन अतुल डी. बोड़ा को इस दौरान लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया गया। इस अवसर पर श्री अतुल डी. बोड़ा ने कहा, "80 वर्षों के समर्पित कार्य के माध्यम से, मुझे जे.बी. बोड़ा ग्रुप की वृद्धि और सफलता को देखने का सौभाग्य मिला है। दरअसल यह यात्रा एक शानदार टीम के सामूहिक प्रयासों से संभव हुई है। मैं अपने सभी ग्राहकों, हितधारकों और विशेष रूप से अपने जीवन साथी और परिवार के सदस्यों को उनके अटूट समर्थन के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं। बिमटेक से मिली इस मान्यता के परिणामस्वरूप नई ऊर्जा और उत्साह के साथ, मैं अपनी यात्रा को आगे जारी रख सकूँगा।"
प्रो. (डॉ.) अभिजीत के. चट्टोराज, चार्टर्ड बीमाकर्ता, डीन-एसडब्ल्यूएसएस; प्रोफेसर और अध्यक्ष, पीजीडीएम-आईबीएम, बिमटेक ने अंडरराइटिंग में नेट जीरो ट्रांजिशन के महत्व पर जोर दिया। पैनल ने चर्चा की कि जलवायु जोखिमों से होने वाले नुकसान को कैसे कम किया जाए। प्रो. (डॉ.) अभिजीत के. चट्टोराज ने इस अवसर पर कहा, "संपत्ति और दुर्घटना अंडरराइटर्स को इस बदलाव के परिणामस्वरूप हासिल होने वाले विकास के अवसरों का लाभ उठाने के लिए रणनीतिक रूप से काम करना चाहिए।
अंडरराइटर्स को अपने कार्बन पदचिह्न को कम करने के लिए अपने पोर्टफोलियो को समायोजित करना होगा।" प्रोफेसर मोनिका मित्तल ने 7वें बिमटेक इंश्योरेंस कोलोक्वियम को सफल बनाने में योगदान देने वाले सम्मानित वक्ताओं, पैनलिस्टों और प्रतिभागियों को हार्दिक धन्यवाद दिया।
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