यूनिसेफ और फ्यूचर सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में हुई 'जेंडर सेंसेटिव राजस्थान' पर कार्यशाला
० आशा पटेल ०
देश में लैंगिक समानता एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिस पर बात होती है लेकिन अमल नहीं किया जाता। राजस्थान के हालात पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आजादी के इतने सालो बाद भी लैंगिक समानता नहीं है, जो हैरान कर देने वाली बात है।
जयपुर। फ्यूचर सोसायटी एवं यूनिसेफ की पहल पर "जेंडर सेंसेटिव राजस्थान" अभियान का आगाज हुआ। इस अवसर पर इंदिरा गांधी पंचायत भवन में पत्रकारों एवं पत्रकारिता के विद्यार्थियों का एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। जिसमें "महिला मुद्दों" को प्रकाशन में प्राथमिकता देने पर चर्चा की गई। इस प्रशिक्षण में पीआईबी की सहायक महानिदेशक रितु शुक्ला, यूनिसेफ़ राजस्थान प्रमुख इसाबेल बार्डेम, वरिष्ठ पत्रकार एवं हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफ़ेसर त्रिभुवन, महिला मुद्दों के वरिष्ठ पत्रकार नसीरुद्दीन एवं जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष अमित अग्रवाल और सोसायटी के अध्यक्ष सुशील शर्मा ने संबोधित किया।पीआईबी राजस्थान की एडीजी रितु शुक्ला ने पत्रकारिता के क्षेत्र को मेल डोमिनेटेड बताते हुए महिला भागीदारी पर ज़ोर दिया है। उन्होंने कहा की देश में लैंगिक समानता एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिस पर बात होती है लेकिन अमल नहीं किया जाता। राजस्थान के हालात पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आजादी के इतने सालो बाद भी लैंगिक समानता नहीं है, जो हैरान कर देने वाली बात है। वहीं, यूनिसेफ की राजस्थान प्रमुख इसाबेल बार्डेम ने महिला सशक्तिकरण पर बात की है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं की सामान्य पहुंच ना होने की वजह से मानसिक और शारीरिक अपराध बढ़ रहे है। राजस्थान सहित देश भर में उच्च शिक्षा के माध्यम से महिला भागीदारी सुनिश्चित हो सकेगी। उन्होंने कहा कि मीडिया एक शक्तिशाली माध्यम है और मीडिया के माध्यम से ही महिलाओं के पिछड़ेपन को दूर किया जा सकता है।
वरिष्ठ पत्रकार त्रिभुवन ने कहा कि आज के समय में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कहते हैं। लेकिन, जब वे आधी आबादी है तो उन्हें 50 फीसदी हिस्सेदारी क्यों नहीं दी जाती है। उन्होंने कई देशों के उदाहरण देकर बताया कि जिन देशों को दुनिया में काफी सशक्त माना जाता है, उनके इतिहास और वर्तमान को यदि हम देखेंगे तो वहां अभी भी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पद पर महिलाएं नहीं रही हैं।
वरिष्ठ पत्रकार त्रिभुवन ने कहा कि आज के समय में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कहते हैं। लेकिन, जब वे आधी आबादी है तो उन्हें 50 फीसदी हिस्सेदारी क्यों नहीं दी जाती है। उन्होंने कई देशों के उदाहरण देकर बताया कि जिन देशों को दुनिया में काफी सशक्त माना जाता है, उनके इतिहास और वर्तमान को यदि हम देखेंगे तो वहां अभी भी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पद पर महिलाएं नहीं रही हैं।
जेईसीआरसी विश्वविद्यालय के अमित अग्रवाल ने कहा कि लिंग असमानता का मुद्दा राजस्थान में हमेशा से रहा है। यहां बेटियों को बोझ या पराया धन समझा जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण है शिक्षा की कमी। माता-पिता के अनुसार बेटियों को शादी करके एक दूसरे घर जाना ही है। इसलिए बेटों को शिक्षा ज्यादा दी जा रही है।
वरिष्ठ पत्रकार एवं लैंगिक मुद्दों में विशेषज्ञ नसीरुद्दीन ने लैंगिक समानता पर विभिन्न एक्टिविटी और तस्वीरों का प्रदर्शन किया है। उन्होंने विद्यार्थियों की बेहतर समझ के लिए महिला मुद्दों पर सवाल जवाब भी किए। प्रोफेसर ने कहा कि महिलाओं से किए जाने वाले भेदभाव समाज ही पैदा करता है। फ्यूचर सोसायटी के अध्यक्ष सुशील कुमार शर्मा ने कार्यशाला में मौजूद सभी पत्रकारों को महिला मुद्दों को प्राथमिकता देने की बात कही। आयोजक रविता शर्मा ने सभी को धन्यवाद दिया।
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