43 बी (एच) पर फोर्टी की वर्कशॉप : एमएसएमई के लिए संकट साबित हो रहे भुगतान के नए प्रावधान
० आशा पटेल ०
जयपुर - फेडरेशन ऑफ राजस्थान ट्रेड एंड इंडस्ट्री ( फोर्टी )की ओर से अग्रवाल पीजी कॉलेज कांफ्रेंस हाल में एमएसएमई को भुगतान तय करने के लिए आयकर धारा 43 बी (एच) पर वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इसमें कर विशेषज्ञ एडवोकेट पंकज घीया और सीए डॉ अभिषेक शर्मा ने उद्योगपति और व्यापारियों को 43 बी (एच) के प्रावधानों और जटिलताओं की जानकारी दी।
पंकज घीया ने बताया कि एमएसएमई से माल खरीदने के बाद बिना समझौते के 15 दिन में और समझौते के साथ 45 दिन में भुगतान अनिवार्य है। यदि भुगतान नहीं होता है तो यह राशि खरीदार फर्म की कर योग्य आय में जुड जाएगी। इससे बचना है तो 50 करोड़ से ज्यादा टर्नओवर वाली फर्म से ही माल खरीदें या जो फर्म एमएसएमई एक्ट में रजिस्टर्ड नहीं उससे माल खरीदें। डॉ अभिषेक शर्मा का कहना है कि 43 बी (एच) ट्रेडिंग एंटरप्राइजेज फर्मों पर लागू नहीं होता है।
इसके अलावा बायर- सेलर दो एमएसएमई रजिस्टर्ड फर्मों के बीच 45 दिन से ज्यादा का समझौता भी मान्य नहीं है। फोर्टी के मुख्य सचिव गिरधारी खंडेलवाल ने कहा कि व्यापारियों को नए कर प्रावधानों की जानकारी के अभाव में नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए फोर्टी ने 43 बी (एच) के प्रावधानों के साथ इसके कारण उत्पन्न हुई समस्या और उनके समाधान पर सवाल- जवाब के माध्यम से चर्चा की।
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