देश में पानी की सबसे ज्यादा कमी वाले क्षेत्र में डेयरी किसानों की आजीविका में सुधार लाना
० योगेश भट्ट ०
नई दिल्ली : औद्योगिक ऑटोमेशन और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन पर केंद्रित दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी, रॉकवेल ऑटोमेशन, आईएसएपी इंडिया फाउंडेशन के साथ साझेदारी में ग्रामीण भारत में कृषि विधियों के आधुनिकीकरण में मदद कर रही है। “इकोनॉमिक एंड सोशल डेवलपमेंट ऑफ़ इंडियन विलेज थ्रू टेक्नोलॉजी-इनेबल्ड डेयरी फार्मिंग” (टेक्नोलॉजी की मदद से डेयरी फार्मिंग द्वारा भारतीय गांव का आर्थिक व सामाजिक विकास) नामक इस पहल का उद्देश्य महाराष्ट्र के वर्धा जिले में पानी की कमी वाले अंतरगांव (नागपुर के पास) में डेयरी फार्मिंग को आधुनिक बनाने में मदद करना है।
नई दिल्ली : औद्योगिक ऑटोमेशन और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन पर केंद्रित दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी, रॉकवेल ऑटोमेशन, आईएसएपी इंडिया फाउंडेशन के साथ साझेदारी में ग्रामीण भारत में कृषि विधियों के आधुनिकीकरण में मदद कर रही है। “इकोनॉमिक एंड सोशल डेवलपमेंट ऑफ़ इंडियन विलेज थ्रू टेक्नोलॉजी-इनेबल्ड डेयरी फार्मिंग” (टेक्नोलॉजी की मदद से डेयरी फार्मिंग द्वारा भारतीय गांव का आर्थिक व सामाजिक विकास) नामक इस पहल का उद्देश्य महाराष्ट्र के वर्धा जिले में पानी की कमी वाले अंतरगांव (नागपुर के पास) में डेयरी फार्मिंग को आधुनिक बनाने में मदद करना है।
इस कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) परियोजना को लागू करने के लिए टेक्नोलॉजी इंप्लीमेंटेशन पार्टनर - eVerse.AI के साथ सहयोग किया गया है। इसके ऑन-ग्राउंड क्रियान्वयन में पशुधन विकास में सुधार लाने के लिए अत्याधुनिक डिजिटल टेक्नोलॉजीज़ और वैज्ञानिक पशु चिकित्सा पद्धतियों का उपयोग किया जाएगा। मई 2023 में शुरू हुई इस परियोजना ने पिछले छह से सात महीनों में आशाजनक परिणाम दिए हैं। इस पहल द्वारा डेयरी किसानों को अनेक सेवाएं प्रदान की जा रही हैं, जिनमें डेयरी पशुओं के स्वास्थ्य के महत्वपूर्ण मानकों पर नजर रखने के लिए IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) इनेबल्ड कॉलर डिवाइसेज़ की आपूर्ति, किसानों को मोबाइल फोन पर पशु चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा अलर्ट और सलाह प्रदान करना,
मज़ल-आधारित बायोमेट्रिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम का उपयोग, ताकि 12 अंकों वाले पशु आधार द्वारा पशुओं की डिजिटल पहचान हो सके तथा पशु स्वास्थ्य, राशन संतुलन परामर्श सेवाओं, चारा विकास गतिविधियों, गुणवत्तापूर्ण पशु चारा की आपूर्ति, ग्राम स्तरीय पशु स्वास्थ्य सेवाओं, डेयरी फार्मिंग विस्तार कार्यक्रमों (प्रशिक्षण, डेमो, विशेषज्ञ दौरे), दूध की बिक्री के लिए बाजार के इंटीग्रेशन की गतिविधियों और डेयरी किसानों के परिवारों के लिए पशु अपशिष्ट उत्पादों के उपयोग द्वारा अतिरिक्त राजस्व स्रोतों के निर्माण के लिए eVerse.AI के नए लॉन्च किए गए काउजीपीटी प्लेटफॉर्म का उपयोग शामिल है।
इस परियोजना के बारे में रॉकवेल ऑटोमेशन इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर, दिलीप साहनी ने कहा: “महाराष्ट्र के अंतरगांव में हमारी सीएसआर परियोजना द्वारा सफलता के शुरुआती संकेत देखकर हम उत्साहित हैं। इससे स्थानीय किसानों को ठोस लाभ मिल रहा है, और उनकी आय में वृद्धि हो रही है। रॉकवेल ऑटोमेशन सामाजिक स्तर पर प्रभाव पैदा करने के लिए टेक्नोलॉजी की मदद लेकर अपने चारों ओर के समुदायों को अपना योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस परियोजना के बारे में रॉकवेल ऑटोमेशन इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर, दिलीप साहनी ने कहा: “महाराष्ट्र के अंतरगांव में हमारी सीएसआर परियोजना द्वारा सफलता के शुरुआती संकेत देखकर हम उत्साहित हैं। इससे स्थानीय किसानों को ठोस लाभ मिल रहा है, और उनकी आय में वृद्धि हो रही है। रॉकवेल ऑटोमेशन सामाजिक स्तर पर प्रभाव पैदा करने के लिए टेक्नोलॉजी की मदद लेकर अपने चारों ओर के समुदायों को अपना योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है।
हमें विश्वास है कि यह परियोजना अंतरगांव के लोगों को टेक्नोलॉजी की मदद से अपने पशुओं के स्वास्थ्य और प्रजनन चक्र के वैज्ञानिक प्रबंधन का लाभ प्राप्त करने में मदद करती रहेगी। इस तरह की परियोजनाएं पूरे भारत में ग्रामीण समुदायों की आय में सुधार करके उनके जीवन की गुणवत्ता बेहतर बनाती रहेंगी।”
हाल ही में अंतरगांव का एक क्षेत्रीय दौरा करके स्थानीय डेयरी किसानों के साथ एक संवादपूर्ण सत्र द्वारा इस परियोजना की प्रगति के बारे में बताया गया। किसानों ने पिछले छह महीनों में दुग्ध उत्पादन में 15-20% की वृद्धि के बारे में बताते हुए सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की। दूध की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है, जिससे उन्हें ज़्यादा मूल्य प्राप्त करके घरेलू आय बढ़ाने में मदद मिली है।
इस सत्र का संचालन प्रफुल्ल कालोकर, परियोजना समन्वयक - आईएसएपी इंडिया फाउंडेशन और नितेश बुधबावरे, ग्राम समन्वयक ने किया। इस अवसर पर समीर सुभाष खोबे, उप ग्राम प्रधान, अंतरगांव; गौरव वत्स, निदेशक-कृषि सेवाएं, आईएसएपी इंडिया फाउंडेशन; डॉ धनविज, पशु चिकित्सा विशेषज्ञ, वर्धा जिला; आशीष सोनकुसरे, संस्थापक, eVerse.AI; दीपांजन बनर्जी, कॉर्पोरेट मामलों के प्रमुख, रॉकवेल ऑटोमेशन इंडिया; और अंकित सिंह, लीड-ईएचएस, रॉकवेल ऑटोमेशन इंडिया भी उपस्थित थे।
भारत दुनिया में सबसे बड़ी गोजातीय आबादी के साथ दूध उत्पादन में अग्रणी है। हालाँकि, यहाँ प्रति पशु कम दूध-उत्पादन और दूध उत्पादों की निम्न गुणवत्ता जैसी चुनौतियाँ हैं। भारत में डेयरी फार्मिंग की विकेंद्रीकृत संरचना और ग्रामीण किसानों के बीच पशु चिकित्सा की वैज्ञानिक विधियों के बारे में सीमित जागरूकता ये चुनौतियाँ बढ़ाती है। आईएसएपी इंडिया फाउंडेशन के साथ साझेदारी में रॉकवेल ऑटोमेशन का उद्देश्य वैज्ञानिक प्रामाणिकता वाली पशु चिकित्सा पद्धतियों द्वारा पशुधन विकास के लिए अत्याधुनिक डिजिटल तकनीकों की मदद से नए उत्पादों व सेवाओं का उपयोग करके देश में पानी की सबसे ज्यादा कमी वाले क्षेत्रों में डेयरी किसानों की आजीविका में सुधार लाना है।
रॉकवेल ऑटोमेशन का सीएसआर सिद्धांत समुदाय पर केंद्रित निवेश की नींव पर आधारित है, ताकि उनका दीर्घकालिक कल्याण सुनिश्चित हो। यह स्पष्ट परिणामों के साथ इनोवेटिव परियोजनाओं द्वारा स्थानीय समुदायों में सकारात्मक व सक्रिय संपर्क विकसित करने का प्रयास करता है।
हाल ही में अंतरगांव का एक क्षेत्रीय दौरा करके स्थानीय डेयरी किसानों के साथ एक संवादपूर्ण सत्र द्वारा इस परियोजना की प्रगति के बारे में बताया गया। किसानों ने पिछले छह महीनों में दुग्ध उत्पादन में 15-20% की वृद्धि के बारे में बताते हुए सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की। दूध की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है, जिससे उन्हें ज़्यादा मूल्य प्राप्त करके घरेलू आय बढ़ाने में मदद मिली है।
इस सत्र का संचालन प्रफुल्ल कालोकर, परियोजना समन्वयक - आईएसएपी इंडिया फाउंडेशन और नितेश बुधबावरे, ग्राम समन्वयक ने किया। इस अवसर पर समीर सुभाष खोबे, उप ग्राम प्रधान, अंतरगांव; गौरव वत्स, निदेशक-कृषि सेवाएं, आईएसएपी इंडिया फाउंडेशन; डॉ धनविज, पशु चिकित्सा विशेषज्ञ, वर्धा जिला; आशीष सोनकुसरे, संस्थापक, eVerse.AI; दीपांजन बनर्जी, कॉर्पोरेट मामलों के प्रमुख, रॉकवेल ऑटोमेशन इंडिया; और अंकित सिंह, लीड-ईएचएस, रॉकवेल ऑटोमेशन इंडिया भी उपस्थित थे।
भारत दुनिया में सबसे बड़ी गोजातीय आबादी के साथ दूध उत्पादन में अग्रणी है। हालाँकि, यहाँ प्रति पशु कम दूध-उत्पादन और दूध उत्पादों की निम्न गुणवत्ता जैसी चुनौतियाँ हैं। भारत में डेयरी फार्मिंग की विकेंद्रीकृत संरचना और ग्रामीण किसानों के बीच पशु चिकित्सा की वैज्ञानिक विधियों के बारे में सीमित जागरूकता ये चुनौतियाँ बढ़ाती है। आईएसएपी इंडिया फाउंडेशन के साथ साझेदारी में रॉकवेल ऑटोमेशन का उद्देश्य वैज्ञानिक प्रामाणिकता वाली पशु चिकित्सा पद्धतियों द्वारा पशुधन विकास के लिए अत्याधुनिक डिजिटल तकनीकों की मदद से नए उत्पादों व सेवाओं का उपयोग करके देश में पानी की सबसे ज्यादा कमी वाले क्षेत्रों में डेयरी किसानों की आजीविका में सुधार लाना है।
रॉकवेल ऑटोमेशन का सीएसआर सिद्धांत समुदाय पर केंद्रित निवेश की नींव पर आधारित है, ताकि उनका दीर्घकालिक कल्याण सुनिश्चित हो। यह स्पष्ट परिणामों के साथ इनोवेटिव परियोजनाओं द्वारा स्थानीय समुदायों में सकारात्मक व सक्रिय संपर्क विकसित करने का प्रयास करता है।
टिप्पणियाँ