ऑल इंडिया एजूकेशनल मूवमेंट द्वारा क़ानूनी सेमिनार
० संवाददाता द्वारा ०
नई दिल्ली/ ऑल इंडिया एजूकेशनल मूवमेंट (ए.आई.ई.एम.) द्वारा अपनी क़ानूनी शिक्षा श्रृंखला के हिस्से के रूप में एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन तस्मिया हॉल दिल्ली में किया गया। जिसका विषय ‘इस्लामी शरीयत और आधुनिक क़ानून-संविधान और क़ानूनी ढांचा‘ रखा गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता हिमालया वेलनेस कंपनी के निदेशक डॉ फारूख ने की। उद्धघाटन भाषण संस्था के अध्यक्ष व मानु यूनिवर्सिटी के पूर्व वाईस चांसलर ख्वाजा एम शाहिद ने दिया।
इस कार्यक्रम में संस्था के महाचिव अब्दुल रशीद के साथ एडवोकेट अफ्शां पराचा, समीना, एडवोकेट अफ़ज़ाल उल हक़, मंसूर आग़ा, ऐजाज़, एडवोकेट अबु बकर सब्बाक़, एडवोकेट अफ़रोज़ इमाम, के अलावा भारी तादाद में लोगों ने शिरकत की।
नई दिल्ली/ ऑल इंडिया एजूकेशनल मूवमेंट (ए.आई.ई.एम.) द्वारा अपनी क़ानूनी शिक्षा श्रृंखला के हिस्से के रूप में एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन तस्मिया हॉल दिल्ली में किया गया। जिसका विषय ‘इस्लामी शरीयत और आधुनिक क़ानून-संविधान और क़ानूनी ढांचा‘ रखा गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता हिमालया वेलनेस कंपनी के निदेशक डॉ फारूख ने की। उद्धघाटन भाषण संस्था के अध्यक्ष व मानु यूनिवर्सिटी के पूर्व वाईस चांसलर ख्वाजा एम शाहिद ने दिया।
वही मुख्य वक्ताओं के तौर पर जामिया मीलिया इस्लामिया लाॅ फेकल्टी की प्रमुख(डीन) प्रोफेसर कहकशां दानियाल, आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ क़ासिम रसूल इल्यास, बोर्ड के वकील सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट एम आर शमशाद के साथ दारुल क़ज़ा से डॉ तबरेज आलम क़ासमी, जमाते इस्लामी हिन्द की शरिया कॉउंसिल के सचिव डॉ रज़िउल इस्लाम ने शिरकत की।
उद्धघाटन संबोधन में संस्था के अध्यक्ष शप्रोफेसर ख्वाजा एम शाहिद ने विषय की अहमियत पर रोशनी डालते हुए इसे वक़्त की ज़रूरत क़रार दिया और शरीयत एक्ट 1937 को कोडिफ़ॉएड होने की सूरत के में इसकी क़ानूनी व्याख्या का दायरा संकुचित होने की बात कही। मुख्य वक्ता के तौर पर इस्लामिक विद्वान मुफ्ती डॉ. रज़िउल इस्लाम नदवी ने मीरास पर रोशनी डालते हुए समान नागरिक सहिंता (यूसीसी) से विरासत के इस्लामी क़ानून प्रभावित होने का खदशा ज़ाहिर किया।
प्रोफेसर कहकशां दानियाल ने शरीयत एक्ट के मुताबिक़ बच्चा गोद लिए जाने के अधिकार और तीन तलाक़ पर बात करते हुए कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट ने भी कई मामलों में तीन तलाक़ को एक ही माना है। यदि तलाक़-ए-बिद्दत पर हमने वक़्त रहते कुछ क़दम उठाये होते तो ये कभी भी आपराधिक श्रेणी में नहीं आता और ऐसा तो किसी इस्लामिक देश मे भी नहीं है। अन्य वक्ताओं ने भी अपने-अपने विषय पर बेहद महत्वपूर्ण मुद्दो पर बात करते हुए मौजूद लोगों से खिताब किया।
डॉ. एस. फारूक ने अपने बेमिसाल शायराना अंदाज़ में अध्यक्षीय भाषण देकर मौजूद लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। अन्त में वक्ताओं ने मौजूद लोगों के सवालों के जवाब भी दिए । कार्यक्रम का आग़ाज़ संस्था के कोषाध्यक्ष मोज़फ़्फ़र अली द्वारा पवित्र कुरान की तिलावत से हुआ। जहां मेहमानों व वक्ताओं का स्वागत सुप्रीम कोर्ट के वकील असलम अहमद ने करते हुए कार्यक्रम का संचालन किया वहीं एडवोकेट रईस अहमद ने सभी मेहमानों का शुक्रिया अदा किया।
उद्धघाटन संबोधन में संस्था के अध्यक्ष शप्रोफेसर ख्वाजा एम शाहिद ने विषय की अहमियत पर रोशनी डालते हुए इसे वक़्त की ज़रूरत क़रार दिया और शरीयत एक्ट 1937 को कोडिफ़ॉएड होने की सूरत के में इसकी क़ानूनी व्याख्या का दायरा संकुचित होने की बात कही। मुख्य वक्ता के तौर पर इस्लामिक विद्वान मुफ्ती डॉ. रज़िउल इस्लाम नदवी ने मीरास पर रोशनी डालते हुए समान नागरिक सहिंता (यूसीसी) से विरासत के इस्लामी क़ानून प्रभावित होने का खदशा ज़ाहिर किया।
प्रोफेसर कहकशां दानियाल ने शरीयत एक्ट के मुताबिक़ बच्चा गोद लिए जाने के अधिकार और तीन तलाक़ पर बात करते हुए कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट ने भी कई मामलों में तीन तलाक़ को एक ही माना है। यदि तलाक़-ए-बिद्दत पर हमने वक़्त रहते कुछ क़दम उठाये होते तो ये कभी भी आपराधिक श्रेणी में नहीं आता और ऐसा तो किसी इस्लामिक देश मे भी नहीं है। अन्य वक्ताओं ने भी अपने-अपने विषय पर बेहद महत्वपूर्ण मुद्दो पर बात करते हुए मौजूद लोगों से खिताब किया।
डॉ. एस. फारूक ने अपने बेमिसाल शायराना अंदाज़ में अध्यक्षीय भाषण देकर मौजूद लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। अन्त में वक्ताओं ने मौजूद लोगों के सवालों के जवाब भी दिए । कार्यक्रम का आग़ाज़ संस्था के कोषाध्यक्ष मोज़फ़्फ़र अली द्वारा पवित्र कुरान की तिलावत से हुआ। जहां मेहमानों व वक्ताओं का स्वागत सुप्रीम कोर्ट के वकील असलम अहमद ने करते हुए कार्यक्रम का संचालन किया वहीं एडवोकेट रईस अहमद ने सभी मेहमानों का शुक्रिया अदा किया।
इस कार्यक्रम में संस्था के महाचिव अब्दुल रशीद के साथ एडवोकेट अफ्शां पराचा, समीना, एडवोकेट अफ़ज़ाल उल हक़, मंसूर आग़ा, ऐजाज़, एडवोकेट अबु बकर सब्बाक़, एडवोकेट अफ़रोज़ इमाम, के अलावा भारी तादाद में लोगों ने शिरकत की।
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