लोकतंत्र में ही स्त्रियों की आवाज बुलंद होगी : वाणी पटनायक

० आशा पटेल ० 
रीवा । नारी चेतना मंच का 30 वां स्थापना दिवस एवं 29 वीं वार्षिक बैठक नेहरू नगर में सारगर्भित चर्चा और महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित करने के साथ संपन्न हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता नारी चेतना मंच की नेत्री गीता महंत ने की। वार्षिक बैठक को प्रमुख रूप से संबोधित करते हुए उड़ीसा राज्य शराब विरोधी आंदोलन की नेत्री वाणी मंजरी दास पटनायक (भूवनेश्वर) ने कहा कि वर्तमान दौर में अघोषित आपातकाल की स्थिति नागरिक आजादी के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। ऐसे समय महिलाओं को भी अपने अधिकारों के लिए आगे आना होगा। 

लोकतंत्र में ही महिलाओं की आवाज बुलंद होगी। जीवन के हर क्षेत्र में समतामूलक भागीदारी के लिए बड़े बदलाव की जरूरत है। वाणी पटनायक ने कहा कि शराब को राज्य की आमदनी का जरिया बनाया जाना , अनैतिक जन विरोधी कृत्य है । बैठक में बढ़ती महंगाई, भ्रष्टाचार , बेरोजगारी, जातिवाद , धर्मांधता , सांप्रदायिकता, धार्मिक आडंबर , पाखंड, अश्लीलता, सामाजिक और आर्थिक गैर बराबरी , दहेज कुप्रथा , बलात्कार, परित्यक्तता जीवन , वैधव्य जीवन, बाल विवाह , लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र में वृद्धि का सरकारी प्रस्ताव आदि को लेकर भी चर्चा हुई।

नारी चेतना मंच के प्रस्ताव में कहा गया कि बाल विवाह पर कड़े प्रतिबंध लगाए जाना चाहिए । लड़कियों की निर्धारित शादी की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष को बढ़ाना किसी भी दृष्टि से सही नहीं होगा। महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उन्हें रोजगार की जरूरत है , न कि उनके बैंक खाते में सरकार के द्वारा कुछ पैसे डाल कर वोट बैंक बनाने का लोकलुभावन काम होना चाहिए। लड़कियों की शादी कराना सरकार का काम नहीं है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अग्रसर होना चाहिए। दहेज कुप्रथा को खत्म करने के लिए प्रभावी कदम उठाया जाना चाहिए। 

देखने को मिलता है कि भारतीय समाज दहेज कुप्रथा का बुरी तरह शिकार बना हुआ है। मादा भ्रूण हत्या पुरुष प्रधान समाज के चलते होती है जिसे खासतौर से पढ़े लिखे समाज के द्वारा बढ़ावा दिया जाता है। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में शहरों की तुलना में भ्रूण हत्या के मामले काफी कम है। बढ़ते उपभोक्तावाद के खिलाफ प्रस्ताव में कहा गया कि उपभोक्तावादी अपसंस्कृति के चलते जीवन के हर क्षेत्र में गिरावट देखने को मिल रही है । पारित प्रस्ताव में कहा गया कि बढ़ती उपभोक्तावादी अपसंस्कृति महिलाओं की अस्मिता पर सीधा हमला है। इसके चलते नारी सम्मान भी बुरी तरह आहत हुआ है ।

 लूट खसोट बढ़ी है। नारी को बाजार की वस्तु समझा जा रहा है । कमजोर वर्ग एवं महिलाओं की आजादी प्रभावित हुई है । देखने को मिल रहा है कि हर चुनाव में महिलाओं का वोट तो ले लिया जाता है लेकिन जीवन के हर क्षेत्र में उनकी भागीदारी सुनिश्चित नहीं हो पा रही है । 21वीं सदी में भी महिलाएं अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रही हैं । कड़े कानून बनने के बाद भी महिलाओं के प्रति हिंसा और क्रूरता की घटनाएं थमी नहीं है।

अघोषित आपातकाल की स्थिति नागरिक आजादी के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। बैठक में जीवन के हर क्षेत्र में समतामूलक भागीदारी के लिए बड़े बदलाव की जरूरत पर जोर दिया गया। मादा भ्रूण हत्या के जरिए लिंगानुपात बिगाड़ने वाले समाज के दुश्मन हैं । अस्पतालों में प्रसव कराने के नाम पर हो रही लूट के खिलाफ संघर्ष शुरू किया जाएगा । ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के गिरते जा रहे स्वास्थ्य पर भी गहरी चिंता व्यक्त की गई । 

प्राकृतिक तरीके से बच्चों के होने वाले जन्म को सुनियोजित साजिश से रोककर सिजेरियन ऑपरेशन से बच्चे पैदा कराए जाने की लूट का भी विरोध दर्ज कराया जाएगा। मौजूदा विकास नीति में महिलाओं के स्वास्थ्य के साथ हो रहे क्रूर खिलवाड़ पर भी ध्यान केन्द्रित किया गया जिसके चलते गर्भस्थ शिशु भी प्रभावित हो रहे हैं । महिला रोजगार की संभावनाओं पर खुली चर्चा की गई । स्त्री शिक्षा को और प्रभावी बनाने की दिशा में भी प्रस्ताव पारित किया गया।  कार्यक्रम को नारी चेतना मंच के संयोजक अजय खरे , नारी चेतना मंच की वरिष्ठ नेत्री मीरा पटेल , नजमुननिशा , सुनीता रजक , नैना चंदेल , नेहा त्रिपाठी आदि ने भी संबोधित किया।

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