"आदि महोत्सव : आदिवासी कारीगरों की असाधारण प्रतिभा और शिल्प कौशल का अद्भुत संगम
० आनंद चौधरी ०
नई दिल्ली। भारत की जनजातीय विरासत की समृद्ध विविधता को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से जनजातीय कार्य मंत्रालय के तत्वावधान में ट्राइफेड द्वारा आयोजित "आदि महोत्सव, जिसका शुभारंभ राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने दिल्ली स्थित मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में किया था। यह महोत्सव 10 से 18 फरवरी तक आयोजित किया जा रहा है।
आदी महोत्सव, आम जनमानस को आदिवासियों की समृद्ध विरासत और संस्कृति की एक झलक देता है। इससे वंचित जनजातियों को अपनी कला और शिल्प को प्रदर्शित करने और बेचने के लिए एक बड़ा बाजार प्राप्त करने में मदद मिलती है। आदि महोत्सव कारीगरों के लिए, कला प्रेमियों के साथ सीधे बातचीत करने और उनसे अपने उत्पादों पर प्रतिक्रिया प्राप्त करने का एक अवसर प्रदान करता है, जिससे वो अपनी कला को और बेहतर बना सकते है।
आदिवासी उत्पादों के विपणन का मार्ग प्रशस्त करते हुए, एवं आदिवासियों के विकास को बढ़ावा देने और जनजातीय आय को बढ़ाने के प्रयास में, केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार और उसके अंर्तगत आने वाली सार्वजनिक संस्थान, ट्राइफेड द्वारा आदिवासी उत्पादों के प्रचार और बिक्री के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से आए लघु एवं ग्रामीण उद्योग और उत्पादों को एक महोत्सव के रूप में शानदार तरीके से पेश किया गया है 8 दिवसीय महोत्सव में 28 राज्यों के लगभग 1000 से अधिक आदिवासी कारीगर और कलाकारों ने हिस्सा लिया है। 13 राज्यों के आदिवासी रसोईए मिलेट्स के साथ जायके का तड़का लगाते नजर आ रहे हैं।
नई दिल्ली। भारत की जनजातीय विरासत की समृद्ध विविधता को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से जनजातीय कार्य मंत्रालय के तत्वावधान में ट्राइफेड द्वारा आयोजित "आदि महोत्सव, जिसका शुभारंभ राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने दिल्ली स्थित मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में किया था। यह महोत्सव 10 से 18 फरवरी तक आयोजित किया जा रहा है।
महोत्सव में आदिवासी कारीगरों की असाधारण प्रतिभा और शिल्प कौशल देखने को मिल रही है। महोत्सव में 300 से अधिक स्टाल है, जिसमें जनजातीय कला, हस्तशिल्प, प्राकृतिक उपज और स्वादिष्ट जनजातीय व्यंजनों का विविध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। यह महोत्सव आदिवासी उत्पादों को प्रदर्शित करने और आदिवासी कारीगरों को मुख्यधारा की आबादी के साथ जुड़ने में मदद करने का एक राष्ट्रीय अवसर है, जिसमें व्यक्तिगत तौर पर अपनें उत्पादों के साथ आदिवासी कारीगर, आदिवासियों के लिए कार्यरत एजेंसियां एवं संगठनों ने भाग लिया हैं।
आदी महोत्सव, आम जनमानस को आदिवासियों की समृद्ध विरासत और संस्कृति की एक झलक देता है। इससे वंचित जनजातियों को अपनी कला और शिल्प को प्रदर्शित करने और बेचने के लिए एक बड़ा बाजार प्राप्त करने में मदद मिलती है। आदि महोत्सव कारीगरों के लिए, कला प्रेमियों के साथ सीधे बातचीत करने और उनसे अपने उत्पादों पर प्रतिक्रिया प्राप्त करने का एक अवसर प्रदान करता है, जिससे वो अपनी कला को और बेहतर बना सकते है।
आदिवासी उत्पादों के विपणन का मार्ग प्रशस्त करते हुए, एवं आदिवासियों के विकास को बढ़ावा देने और जनजातीय आय को बढ़ाने के प्रयास में, केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार और उसके अंर्तगत आने वाली सार्वजनिक संस्थान, ट्राइफेड द्वारा आदिवासी उत्पादों के प्रचार और बिक्री के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से आए लघु एवं ग्रामीण उद्योग और उत्पादों को एक महोत्सव के रूप में शानदार तरीके से पेश किया गया है 8 दिवसीय महोत्सव में 28 राज्यों के लगभग 1000 से अधिक आदिवासी कारीगर और कलाकारों ने हिस्सा लिया है। 13 राज्यों के आदिवासी रसोईए मिलेट्स के साथ जायके का तड़का लगाते नजर आ रहे हैं।
टिप्पणियाँ