पानी का समझौता वर्तमान राजस्थान सरकार को करने का अधिकार ही नहीं : कांग्रेस
जयपुर | राजस्थान में भाजपा की डबल इंजन की सरकार के प्रदेशवासियों के हितों के साथ कुठाराघात किया है तथा जनता को धोखा दिया है । भाजपा की सरकार केवल और केवल प्रदेशवासियों को भ्रमित कर आगामी लोकसभा चुनावों में वोटों का फायदा लेना चाहती है जिसमें भाजपा कामयाब नहीं होगी। कांग्रेस की मांग है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री जो भी समझौता ईआरसीपी योजना तथा 17 फरवरी को यमुना के जल हेतु हरियाणा सरकार से किया है उसे सार्वजनिक करें और जनता को सच्चाई से अवगत करवायें।
भाजपा सरकार, मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री पहले ईआरसीपी जल समझौते की बात कर प्रदेश की जनता को गुमराह कर रहे थे और अब 17 फरवरी को राजस्थान के शेखावाटी में यमुना के पानी को लाने हेतु हरियाणा की सरकार से कोई एमओयू साइन किया जिसको लेकर आभार यात्रायें कर रहे हैं तथा भागीरथ मुख्यमंत्री आये हैं, इस प्रकार के होर्डिंग्स लगाकर भाजपा द्वारा प्रचार किया जा रहा है ।
यमुना जल समझौता 1994 में किया गया था तथा अपर यमुना जल बोर्ड में पाँच राज्य आते हैं, हिमाचल, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान। इसमें यह फैसला हुआ था कि शेखावाटी को 1917 क्यूसेक पानी मिलेगा। एक समझौता 2001-2002 में भी हुआ जिसमें हरियाणा से यह तय हुआ कि किस स्थान से पानी मिलेगा । उस समय हरियाणा का दावा 13 हजार क्यूसेक पर था, उसके अतिरिक्त पानी लेने हेतु आधारभूत ढाँचा तैयार किया जाना था, किन्तु हरियाणा ने उसकी एनओसी राजस्थान को नहीं दी।
हरियाणा ने बाद में अपनी डिमाण्ड बढ़ाकर 18 हजार कर ली और अभी जो कथित् समझौता होना बताया जा रहा है उसमें राजस्थान की भाजपा सरकार ने हरियाणा के समक्ष आत्म समर्पण कर दिया तथा समझौते पर हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहरलाल खट्टर कह रहे हैं कि 24 हजार क्यूसेक पानी पहले हरियाणा लेगा उसके पश्चात् बरसात के दिनों में 15-20 दिन अगर कोई अतिरिक्त पानी हुआ तो राजस्थान को देंगे, किन्तु उस अतिरिक्त पानी में से भी 25 प्रतिशत पानी पहले हरियाणा लेगा ।
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने आज प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय, जयपुर पर आयोजित प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुये व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि राजस्थान की सरकार ने आज तक देश व प्रदेश की जनता अथवा मीडिया के सामने ईआरसीपी के एमओयू की शर्तों वाली प्रति प्रस्तुत नहीं की, ना विधानसभा में, ना जनप्रतिनिधियों को जानकारी प्रदान की गई है।
उन्होंने कहा कि अब हरियाणा सरकार राजस्थान की भाजपा सरकार ने क्या समझौता किया है, कितने पानी का समझौता किया है, उसका खुलासा भी राजस्थान की भाजपा सरकार ने नहीं किया। जबकि वास्तविकता यह है कि पानी का समझौता तो वर्तमान राजस्थान सरकार को करने का अधिकार ही नहीं है, क्योंकि किसे कितना पानी मिलेगा, यह समझौता पूर्व में हो चुका है, वर्तमान में तो केवल पानी लाने हेतु पाईप लाईन बिछाने का एमओयू ही होना था।
उन्होंने कहा कि केवल आधारभूत ढाँचे के निर्माण की इजाजत देने के नाम पर हरियाणा सरकार ने 13 हजार से बढ़ाकर 24 हजार क्यूसेक पानी लेने हेतु राजस्थान की भाजपा सरकार से तय कर लिया, जिसमें यह भी तय कर लिया कि 15-20 दिन की बरसात के पश्चात् अतिरिक्त पानी में से 25 प्रतिशत हरियाणा के लेने के बाद कोई पानी बचा तो ही राजस्थान को दिया जायेगा।
उन्होंने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर द्वारा विधानसभा में दिये गये वक्तव्य के अनुसार राजस्थान की भाजपा सरकार ने प्रदेश की जनता के हितों से खिलवाड़ किया है। उन्होंने कहा कि राजस्थान में मुख्यमंत्री केवल भ्रमण करने का कार्य कर रहे हैं तथा आरएसएस के मुख्य एजेण्डे के अनुसरण में प्रदेश की जनता को भ्रमित करने का कार्य कर रहे हैं । उन्होंने कहा कि जिस प्रकार का समझौता कथित् रूप से किया गया है
उसमें राजस्थान को एक लीटर पानी भी मिलना सम्भव दिखाई नहीं दे रहा है, किन्तु राजस्थान के भ्रमणशील मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, राजीविका के कार्यकर्ताओं व सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को निर्देश देकर खुद का स्वागत करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान की भाजपा सरकार ने प्रदेशवासियों के साथ धोखा किया है।
उन्होंने कहा कि पहले ईआरसीपी के नाम पर धोखा किया गया, जहाँ इस योजना के तहत् 3510 एमसीएम पानी मिलना था, किन्तु 2400 एमसीएम पानी लेने का समझौता राजस्थान की जनता के हितों का सौदा भाजपा सरकार ने किया। उन्होंने कहा कि आज राजस्थान की भाजपा सरकार ने हरियाणा की सरकार के सामने घुटने टेक दिये, केवल इसलिये कि पाईप लाईन बिछाना की अनुमति मिलेगी अथवा नहीं।
उन्होंने कहा कि राजस्थान में भाजपा की डबल इंजन की सरकार के प्रदेशवासियों के हितों के साथ कुठाराघात किया है तथा जनता को धोखा दिया है । उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार केवल और केवल प्रदेशवासियों को भ्रमित कर आगामी लोकसभा चुनावों में वोटों का फायदा लेना चाहती है जिसमें भाजपा कामयाब नहीं होगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की मांग है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री महोदय जो भी समझौता ईआरसीपी योजना तथा 17 फरवरी को यमुना के जल हेतु हरियाणा सरकार से किया है उसे सार्वजनिक करें और जनता को सच्चाई से अवगत करवायें। उन्होंने कहा कि प्रदेश का दुर्भाग्य है कि सत्ताधारी लोग कागज उपलब्ध नहीं करवा रहे हैं, केवल भाषण दे रहे हैं ।
उन्होंने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस केवल विरोध करने के लिये विरोध नहीं कर रही है बल्कि राजस्थान के हितों के साथ कुठाराघात ना हो इसलिये अपनी बात उठा रही है ताकि प्रदेश की जनता के समक्ष सच्चाई आ सके। उन्होंने भाजपा की प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुये कहा कि यह भ्रमण करने वाली तथा भ्रमित करने वाली सरकार है, जो झूठ पर झूठ बोलकर असत्य को सत्य साबित करना चाहती है।
उन्होंने कहा कि राजस्थान की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने कुम्भाराम लिफ्ट कैनाल प्रोजेक्ट को लेकर पूरी डीपीआर तैयार कर ली थी और इस पर कार्य भी चालू हो गया था किन्तु आज नीमकाथाना में स्थानीय विधायक श्री सुरेश मोदी के नेतृत्व में स्थानीय जनता धरने पर बैठी है और मांग कर रही है कि जब इस परियोजना के कार्य हेतु सभी प्रकार की सेंशन निकल चुकी है तो कार्य प्रारम्भ क्यों नहीं हो रहा है।
जबकि राजस्थान के मुख्यमंत्री आभार यात्रायें निकालकर स्वागत करा रहे हैं । उन्होंने कहा कि हरियाणा से गुमनाम समझौता राजस्थान की भाजपा सरकार ने किया और उस आधार पर अभार यात्रायें निकाल रहे हैं जबकि राजस्थान की भाजपा सरकार ने प्रदेशवासियों के हितों के साथ कुठाराघात किया है।
प्रेसवार्ता के दौरान हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर द्वारा हरियाणा विधानसभा में दिये गये वक्तव्य का वीडियो दिखाया गया, साथ ही 2019 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जनसभा के दौरान हरियाणा का पानी चूरू मिल जाने का दावा करने के वक्तव्य का वीडियो भी चलाकर दिखाया गया ।
सम्बोधित करते हुये राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता यशवर्धन सिंह ने कहा कि 1994 में जब केन्द्र में प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार थी तब हिमाचल, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश व राजस्थान में यमुना जल बंटवारे का समझौता हुआ था । राजस्थान के भरतपुर क्षेत्र को ओखला से पानी मिलना था तथा चूरू, झुन्झुन, सीकर को हथनी कुण्ड बैराज से पानी मिलना तय हुआ था और इस समझौते को लागू कराने हेतु अपर यमुना रीवर बोर्ड का गठन हुआ था ।
उन्होंने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर यमुना के पानी पर मालिकाना हक जता रहे हैं जबकि हरियाणा को मिलने वाला हिस्सा पहले से तय है। उन्होंने कहा कि सन् 2001 में राजस्थान में जब कांग्रेस की सरकार थी तब उप मुख्यमंत्री कमला बेनीवाल ने हरियाणा सरकार से इस समझौते को लागू करने हेतु वार्ता की थी । उक्त समय राजस्थान सरकार ने पेशकश की थी कि हरियाणा की नहरों का पानी राजस्थान सीमा तक लाने हेतु इस्तेमाल करने की इजाजत प्रदान की जाये किन्तु हरियाणा के मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चोटाला ने इंकार कर दिया था,
उसके पश्चात् राजस्थान सरकार ने पुनः एमओयू भेजा कि हरियाणा में पड़ने वाली नहर का इस्तेमाल करने दे तो उक्त नहर का रख-रखाव एवं मेंटीनेंस राजस्थान सरकार कर लेगी, जिससे दोनों राज्यों का फायदा था किन्तु सहमति नहीं बनी। उन्होंने कहा कि 2006 में हरियाणा ने सूचित किया कि हथनी कुण्ड बैराज में पानी कम हो गया है किन्तु कमेटी ने जाँच के पश्चात् पाया कि पानी कम नहीं हुआ है, समझौते के तहत् ही पानी राजस्थान को दिया जायेगा।
उन्होंने कहा कि 2017 तक जब इस विषय पर कोई कार्य नहीं हुआ तो उनके द्वारा राजस्थान हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर की गई जिसमें केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री को रिट का जवाब देने हेतु एक माह का समय दिया गया था । उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने जब इस विषय पर कोई जवाब नहीं दिया तो 15 फरवरी, 2008 को केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री बैठक करी । यमुना जल समझौते के मुद्दे पर भाजपा की केन्द्र सरकार कितनी सीरियस थी यह उनके जवाब से समझ आता है जिसमें वर्णित किया गया है कि तत्कालीन केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री ने कहा कि बोर्ड के चेयरमेन ने कोर्ट के आदेश के बाद तीन साल के अंतराल पर बैठक की है जबकि तीन साल से बोर्ड की कोई बैठक ही नहीं हुई थी।
उन्होंने कहा कि 2018 में भी भ्रमित करने के प्रयास हुये थे, हिमाचल के रेणुका बाँध के विषय में एमओयू हुआ था उस एमओयू को राजस्थान के विधानसभा चुनावों में इस तरह से प्रचारित किया गया कि हरियाणा से यमुना जल समझौता हो गया है जो कि गलत तथ्य था । उस वक्त भी भ्रमित करने का कार्य भाजपा कर रही थी और आज भी कथित् समझौते को लेकर राजस्थान की जनता को भ्रमित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि 2018 में कोर्ट की फटकार के पश्चात् भाजपा सरकार ने 24 हजार करोड़ रूपये की एक डीपीआर बनाकर केन्द्र सरकार को भेजी लेकिन सत्ता परिवर्तन के पश्चात् केन्द्र की भाजपा ने राजस्थान की तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा बनाकर भेजी गई उक्त डीपीआर में कमियां निकालकर राजनैतिक दुर्भावना पेश की, क्योंकि कांग्रेस सरकार रहते हुये पानी ना मिल जाये, इसलिये उक्त डीपीआर जो कि भाजपा की ही सरकार ने बनाई थी को गलत ठहराया तथा यहाँ तक कहा दिया कि करोड़ो रूपये खर्च कर बनाई गई डीपीआर को बनाने के लिये तत्कालीन भाजपा की राजस्थान सरकार ने मौका मुआयना तक नहीं किया।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की अनदेखी के पश्चात् हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने पर उच्च न्यायालय ने केन्द्र सरकार को निर्देशित किया कि उक्त डीपीआर में जो भी कमियां उन्हें रेखांकित करते हुये दूर करने के लिये राजस्थान सरकार को जानकारी प्रदान की जाये । इस आदेश के पश्चात् राजस्थान की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने डीपीआर की कमियों को दूर कर केन्द्र सरकार को 2021-2022 में भी भेज दिया, किन्तु केन्द्र सरकार के कमीशन द्वारा उक्त रिपोर्ट को चार साल तक ठण्डे बस्ते में लटकाया गया क्योंकि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी ।
उन्होंने कहा कि राजस्थान की जनता को पानी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर इस प्रोजेक्ट को लटकाने से केन्द्र की भाजपा सरकार ने राजनैतिक द्वेषता का परिचय दिया है तथा साबित किया है कि भाजपा को राजस्थान की जनता की तकलीफों से कोई सरोकार नहीं है । उन्होंने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री यमुना के पानी पर अपना मालिकाना हक जता रहे हैं और 15-20 दिन का बरसात का पानी देने की बात कह रहे हैं जबकि मूल समझौते में 120 दिन पानी देने की शर्त तय है तथा रेणुका बाँध बनने के पश्चात् 365 दिन प्रतिवर्ष पानी देना तय हुआ है । उन्होंने कहा कि हथनी कुण्ड बैराज 1917 क्यूसेक पानी राजस्थान के हिस्से का है जिसमें से एक बूंद भी पानी कम नहीं लेंगे ।
प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुये नीमकाथाना विधायक सुरेश मोदी ने कहा कि भाजपा की प्रदेश सरकार जल के मुद्दे पर समझौते कर रही है उसका खुलासा आम जनता के समक्ष ईमानदारी से होना चाहिये । उन्होंने कहा कि नीमकाथाना क्षेत्र में पानी की भारी समस्या है, सिंचाई तो दूर की बात है, पीने के पानी की उपलब्धता नहीं है । उन्होंने कहा कि कांग्रेस की ओर से यह मांग है कि राजस्थान की भाजपा सरकार नई-नई योजनायें एवं नये- नये समझौते कर रही है किन्तु पिछली कांग्रेस सरकार ने कुम्भाराम लिफ्ट कैनाल के नाम से मशहूर है जिसका नाम सीकर, नीमकाथाना व झुन्झुनूं जिले के शेष रहे गाँव व कस्बों को सतही पेयजल उपलब्ध करवाने हेतु इंदिरा गाँधी नहर आधारित प्रस्तावित वृहद पेयजल योजना है,
जैसा बड़ा कार्य किया । यह योजना स्वीकृत हुई थी जो 2022 2023 में स्वीकृत हुई, केन्द्र का कितना हिस्सा होगा, राज्य का कितना हिस्सा होगा यह भी तय हो चुका है। उन्होंने कहा कि केन्द्र ने 17 बार अपना हिस्सा बताने से बचने का प्रयास किया था किन्तु प्रदेश स्तरीय समिति की बैठक में दबाव में आकर केन्द्र को अपना हिस्सा तय करना पड़ा। इस परियोजना के लिये केन्द्र सरकार ने 2223 करोड़ रूपया देना स्वीकार किया था,
शेष 5500 करोड़ रूपये के लगभग राज्य सरकार ने वहन करना स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि इंदिरा गाँधी नहर की आरडी 103 से पानी लिया जाकर रॉ वॉटर रिजर्वायर, रॉ वॉटर पम्प हाउस, जल संशोधन सयंत्र के द्वारा जल शुद्ध कर पाईपलाईन द्वारा पम्प करके उच्च जलाशयों में भकर नलों द्वारा वितरित किया जाना प्रस्तावित है । इस परियोजना से सीकर, खण्डेला, धोंद व दांतारामगढ़, जिला सीकर तथा जिला नीमकाथाना के नीमकाथाना व श्रीमाधोपुर, जिला झुन्झुनूं के नवलगढ़ व पिलानी विधानसभा क्षेत्र की जनता लाभान्वित होगी।
उन्होंने कहा कि इस परियोजना की डीपीआर मंजूर हो चुकी है, फाईनेंस से मंजूरी हो चुकी है तथा राजस्थान वॉटर सप्लाई एवं सीवरेज निगम को इस प्रोजेक्ट को लागू करने की जिम्मेदारी प्रदान की थी । इस संस्था को ऋण के माध्यम से राशि की व्यवस्था कर प्रोजेक्ट लागू करना था । उन्होंने कहा कि इस योजना में इतनी प्रगति होने पर वर्तमान राजस्थान सरकार को केवल लोन अनुमत एवं टेण्डर ही करना बाकी है
क्योंकि यमुना कितना जल इस योजना के तहत् मिलना है, वह भी तय हो चुका है, समस्त कार्यवाही होने के बावजूद भाजपा जब से शासन में आई है उन्होंने इस योजना को आगे बढ़ाने का कार्य नहीं किया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार इस योजना को लेकर और इसकी प्रगति को लेकर किसी प्रकार का वक्तव्य जारी नहीं कर रही है, बल्कि धन्यवाद यात्रायें निकाल रही है और दूसरी ओर प्रदेश की जनता प्यासी बैठी है। उन्होंने कहा कि कवायद जिसमें केन्द्र व राज्य सरकार के समझौते हो चुके, के पश्चात् भाजपा की वर्तमान सरकार इस योजना को दरकिनार कर दूसरी योजना का झुन्झुना क्षेत्रवासियों को पकड़ाना चाहती है,
जबकि इस योजना को पूर्ण करने से क्षेत्रवासियों के पेयजल के संकट को दूर किया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार से मांग है कि जो योजना पूर्व स्वीकृत है उसे पूर्ण करने हेतु टेण्डर कर कार्य शुरू किया जाये ताकि आगामी तीन-चार वर्ष में कार्य पूर्ण होकर क्षेत्रवासियों को पेयजल का लाभ मिल सके।
भाजपा सरकार, मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री पहले ईआरसीपी जल समझौते की बात कर प्रदेश की जनता को गुमराह कर रहे थे और अब 17 फरवरी को राजस्थान के शेखावाटी में यमुना के पानी को लाने हेतु हरियाणा की सरकार से कोई एमओयू साइन किया जिसको लेकर आभार यात्रायें कर रहे हैं तथा भागीरथ मुख्यमंत्री आये हैं, इस प्रकार के होर्डिंग्स लगाकर भाजपा द्वारा प्रचार किया जा रहा है ।
यमुना जल समझौता 1994 में किया गया था तथा अपर यमुना जल बोर्ड में पाँच राज्य आते हैं, हिमाचल, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान। इसमें यह फैसला हुआ था कि शेखावाटी को 1917 क्यूसेक पानी मिलेगा। एक समझौता 2001-2002 में भी हुआ जिसमें हरियाणा से यह तय हुआ कि किस स्थान से पानी मिलेगा । उस समय हरियाणा का दावा 13 हजार क्यूसेक पर था, उसके अतिरिक्त पानी लेने हेतु आधारभूत ढाँचा तैयार किया जाना था, किन्तु हरियाणा ने उसकी एनओसी राजस्थान को नहीं दी।
हरियाणा ने बाद में अपनी डिमाण्ड बढ़ाकर 18 हजार कर ली और अभी जो कथित् समझौता होना बताया जा रहा है उसमें राजस्थान की भाजपा सरकार ने हरियाणा के समक्ष आत्म समर्पण कर दिया तथा समझौते पर हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहरलाल खट्टर कह रहे हैं कि 24 हजार क्यूसेक पानी पहले हरियाणा लेगा उसके पश्चात् बरसात के दिनों में 15-20 दिन अगर कोई अतिरिक्त पानी हुआ तो राजस्थान को देंगे, किन्तु उस अतिरिक्त पानी में से भी 25 प्रतिशत पानी पहले हरियाणा लेगा ।
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने आज प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय, जयपुर पर आयोजित प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुये व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि राजस्थान की सरकार ने आज तक देश व प्रदेश की जनता अथवा मीडिया के सामने ईआरसीपी के एमओयू की शर्तों वाली प्रति प्रस्तुत नहीं की, ना विधानसभा में, ना जनप्रतिनिधियों को जानकारी प्रदान की गई है।
उन्होंने कहा कि अब हरियाणा सरकार राजस्थान की भाजपा सरकार ने क्या समझौता किया है, कितने पानी का समझौता किया है, उसका खुलासा भी राजस्थान की भाजपा सरकार ने नहीं किया। जबकि वास्तविकता यह है कि पानी का समझौता तो वर्तमान राजस्थान सरकार को करने का अधिकार ही नहीं है, क्योंकि किसे कितना पानी मिलेगा, यह समझौता पूर्व में हो चुका है, वर्तमान में तो केवल पानी लाने हेतु पाईप लाईन बिछाने का एमओयू ही होना था।
उन्होंने कहा कि केवल आधारभूत ढाँचे के निर्माण की इजाजत देने के नाम पर हरियाणा सरकार ने 13 हजार से बढ़ाकर 24 हजार क्यूसेक पानी लेने हेतु राजस्थान की भाजपा सरकार से तय कर लिया, जिसमें यह भी तय कर लिया कि 15-20 दिन की बरसात के पश्चात् अतिरिक्त पानी में से 25 प्रतिशत हरियाणा के लेने के बाद कोई पानी बचा तो ही राजस्थान को दिया जायेगा।
उन्होंने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर द्वारा विधानसभा में दिये गये वक्तव्य के अनुसार राजस्थान की भाजपा सरकार ने प्रदेश की जनता के हितों से खिलवाड़ किया है। उन्होंने कहा कि राजस्थान में मुख्यमंत्री केवल भ्रमण करने का कार्य कर रहे हैं तथा आरएसएस के मुख्य एजेण्डे के अनुसरण में प्रदेश की जनता को भ्रमित करने का कार्य कर रहे हैं । उन्होंने कहा कि जिस प्रकार का समझौता कथित् रूप से किया गया है
उसमें राजस्थान को एक लीटर पानी भी मिलना सम्भव दिखाई नहीं दे रहा है, किन्तु राजस्थान के भ्रमणशील मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, राजीविका के कार्यकर्ताओं व सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को निर्देश देकर खुद का स्वागत करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान की भाजपा सरकार ने प्रदेशवासियों के साथ धोखा किया है।
उन्होंने कहा कि पहले ईआरसीपी के नाम पर धोखा किया गया, जहाँ इस योजना के तहत् 3510 एमसीएम पानी मिलना था, किन्तु 2400 एमसीएम पानी लेने का समझौता राजस्थान की जनता के हितों का सौदा भाजपा सरकार ने किया। उन्होंने कहा कि आज राजस्थान की भाजपा सरकार ने हरियाणा की सरकार के सामने घुटने टेक दिये, केवल इसलिये कि पाईप लाईन बिछाना की अनुमति मिलेगी अथवा नहीं।
उन्होंने कहा कि राजस्थान में भाजपा की डबल इंजन की सरकार के प्रदेशवासियों के हितों के साथ कुठाराघात किया है तथा जनता को धोखा दिया है । उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार केवल और केवल प्रदेशवासियों को भ्रमित कर आगामी लोकसभा चुनावों में वोटों का फायदा लेना चाहती है जिसमें भाजपा कामयाब नहीं होगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की मांग है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री महोदय जो भी समझौता ईआरसीपी योजना तथा 17 फरवरी को यमुना के जल हेतु हरियाणा सरकार से किया है उसे सार्वजनिक करें और जनता को सच्चाई से अवगत करवायें। उन्होंने कहा कि प्रदेश का दुर्भाग्य है कि सत्ताधारी लोग कागज उपलब्ध नहीं करवा रहे हैं, केवल भाषण दे रहे हैं ।
उन्होंने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस केवल विरोध करने के लिये विरोध नहीं कर रही है बल्कि राजस्थान के हितों के साथ कुठाराघात ना हो इसलिये अपनी बात उठा रही है ताकि प्रदेश की जनता के समक्ष सच्चाई आ सके। उन्होंने भाजपा की प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुये कहा कि यह भ्रमण करने वाली तथा भ्रमित करने वाली सरकार है, जो झूठ पर झूठ बोलकर असत्य को सत्य साबित करना चाहती है।
उन्होंने कहा कि राजस्थान की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने कुम्भाराम लिफ्ट कैनाल प्रोजेक्ट को लेकर पूरी डीपीआर तैयार कर ली थी और इस पर कार्य भी चालू हो गया था किन्तु आज नीमकाथाना में स्थानीय विधायक श्री सुरेश मोदी के नेतृत्व में स्थानीय जनता धरने पर बैठी है और मांग कर रही है कि जब इस परियोजना के कार्य हेतु सभी प्रकार की सेंशन निकल चुकी है तो कार्य प्रारम्भ क्यों नहीं हो रहा है।
जबकि राजस्थान के मुख्यमंत्री आभार यात्रायें निकालकर स्वागत करा रहे हैं । उन्होंने कहा कि हरियाणा से गुमनाम समझौता राजस्थान की भाजपा सरकार ने किया और उस आधार पर अभार यात्रायें निकाल रहे हैं जबकि राजस्थान की भाजपा सरकार ने प्रदेशवासियों के हितों के साथ कुठाराघात किया है।
प्रेसवार्ता के दौरान हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर द्वारा हरियाणा विधानसभा में दिये गये वक्तव्य का वीडियो दिखाया गया, साथ ही 2019 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जनसभा के दौरान हरियाणा का पानी चूरू मिल जाने का दावा करने के वक्तव्य का वीडियो भी चलाकर दिखाया गया ।
सम्बोधित करते हुये राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता यशवर्धन सिंह ने कहा कि 1994 में जब केन्द्र में प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार थी तब हिमाचल, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश व राजस्थान में यमुना जल बंटवारे का समझौता हुआ था । राजस्थान के भरतपुर क्षेत्र को ओखला से पानी मिलना था तथा चूरू, झुन्झुन, सीकर को हथनी कुण्ड बैराज से पानी मिलना तय हुआ था और इस समझौते को लागू कराने हेतु अपर यमुना रीवर बोर्ड का गठन हुआ था ।
उन्होंने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर यमुना के पानी पर मालिकाना हक जता रहे हैं जबकि हरियाणा को मिलने वाला हिस्सा पहले से तय है। उन्होंने कहा कि सन् 2001 में राजस्थान में जब कांग्रेस की सरकार थी तब उप मुख्यमंत्री कमला बेनीवाल ने हरियाणा सरकार से इस समझौते को लागू करने हेतु वार्ता की थी । उक्त समय राजस्थान सरकार ने पेशकश की थी कि हरियाणा की नहरों का पानी राजस्थान सीमा तक लाने हेतु इस्तेमाल करने की इजाजत प्रदान की जाये किन्तु हरियाणा के मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चोटाला ने इंकार कर दिया था,
उसके पश्चात् राजस्थान सरकार ने पुनः एमओयू भेजा कि हरियाणा में पड़ने वाली नहर का इस्तेमाल करने दे तो उक्त नहर का रख-रखाव एवं मेंटीनेंस राजस्थान सरकार कर लेगी, जिससे दोनों राज्यों का फायदा था किन्तु सहमति नहीं बनी। उन्होंने कहा कि 2006 में हरियाणा ने सूचित किया कि हथनी कुण्ड बैराज में पानी कम हो गया है किन्तु कमेटी ने जाँच के पश्चात् पाया कि पानी कम नहीं हुआ है, समझौते के तहत् ही पानी राजस्थान को दिया जायेगा।
उन्होंने कहा कि 2017 तक जब इस विषय पर कोई कार्य नहीं हुआ तो उनके द्वारा राजस्थान हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर की गई जिसमें केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री को रिट का जवाब देने हेतु एक माह का समय दिया गया था । उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने जब इस विषय पर कोई जवाब नहीं दिया तो 15 फरवरी, 2008 को केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री बैठक करी । यमुना जल समझौते के मुद्दे पर भाजपा की केन्द्र सरकार कितनी सीरियस थी यह उनके जवाब से समझ आता है जिसमें वर्णित किया गया है कि तत्कालीन केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री ने कहा कि बोर्ड के चेयरमेन ने कोर्ट के आदेश के बाद तीन साल के अंतराल पर बैठक की है जबकि तीन साल से बोर्ड की कोई बैठक ही नहीं हुई थी।
उन्होंने कहा कि 2018 में भी भ्रमित करने के प्रयास हुये थे, हिमाचल के रेणुका बाँध के विषय में एमओयू हुआ था उस एमओयू को राजस्थान के विधानसभा चुनावों में इस तरह से प्रचारित किया गया कि हरियाणा से यमुना जल समझौता हो गया है जो कि गलत तथ्य था । उस वक्त भी भ्रमित करने का कार्य भाजपा कर रही थी और आज भी कथित् समझौते को लेकर राजस्थान की जनता को भ्रमित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि 2018 में कोर्ट की फटकार के पश्चात् भाजपा सरकार ने 24 हजार करोड़ रूपये की एक डीपीआर बनाकर केन्द्र सरकार को भेजी लेकिन सत्ता परिवर्तन के पश्चात् केन्द्र की भाजपा ने राजस्थान की तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा बनाकर भेजी गई उक्त डीपीआर में कमियां निकालकर राजनैतिक दुर्भावना पेश की, क्योंकि कांग्रेस सरकार रहते हुये पानी ना मिल जाये, इसलिये उक्त डीपीआर जो कि भाजपा की ही सरकार ने बनाई थी को गलत ठहराया तथा यहाँ तक कहा दिया कि करोड़ो रूपये खर्च कर बनाई गई डीपीआर को बनाने के लिये तत्कालीन भाजपा की राजस्थान सरकार ने मौका मुआयना तक नहीं किया।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की अनदेखी के पश्चात् हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने पर उच्च न्यायालय ने केन्द्र सरकार को निर्देशित किया कि उक्त डीपीआर में जो भी कमियां उन्हें रेखांकित करते हुये दूर करने के लिये राजस्थान सरकार को जानकारी प्रदान की जाये । इस आदेश के पश्चात् राजस्थान की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने डीपीआर की कमियों को दूर कर केन्द्र सरकार को 2021-2022 में भी भेज दिया, किन्तु केन्द्र सरकार के कमीशन द्वारा उक्त रिपोर्ट को चार साल तक ठण्डे बस्ते में लटकाया गया क्योंकि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी ।
उन्होंने कहा कि राजस्थान की जनता को पानी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर इस प्रोजेक्ट को लटकाने से केन्द्र की भाजपा सरकार ने राजनैतिक द्वेषता का परिचय दिया है तथा साबित किया है कि भाजपा को राजस्थान की जनता की तकलीफों से कोई सरोकार नहीं है । उन्होंने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री यमुना के पानी पर अपना मालिकाना हक जता रहे हैं और 15-20 दिन का बरसात का पानी देने की बात कह रहे हैं जबकि मूल समझौते में 120 दिन पानी देने की शर्त तय है तथा रेणुका बाँध बनने के पश्चात् 365 दिन प्रतिवर्ष पानी देना तय हुआ है । उन्होंने कहा कि हथनी कुण्ड बैराज 1917 क्यूसेक पानी राजस्थान के हिस्से का है जिसमें से एक बूंद भी पानी कम नहीं लेंगे ।
प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुये नीमकाथाना विधायक सुरेश मोदी ने कहा कि भाजपा की प्रदेश सरकार जल के मुद्दे पर समझौते कर रही है उसका खुलासा आम जनता के समक्ष ईमानदारी से होना चाहिये । उन्होंने कहा कि नीमकाथाना क्षेत्र में पानी की भारी समस्या है, सिंचाई तो दूर की बात है, पीने के पानी की उपलब्धता नहीं है । उन्होंने कहा कि कांग्रेस की ओर से यह मांग है कि राजस्थान की भाजपा सरकार नई-नई योजनायें एवं नये- नये समझौते कर रही है किन्तु पिछली कांग्रेस सरकार ने कुम्भाराम लिफ्ट कैनाल के नाम से मशहूर है जिसका नाम सीकर, नीमकाथाना व झुन्झुनूं जिले के शेष रहे गाँव व कस्बों को सतही पेयजल उपलब्ध करवाने हेतु इंदिरा गाँधी नहर आधारित प्रस्तावित वृहद पेयजल योजना है,
जैसा बड़ा कार्य किया । यह योजना स्वीकृत हुई थी जो 2022 2023 में स्वीकृत हुई, केन्द्र का कितना हिस्सा होगा, राज्य का कितना हिस्सा होगा यह भी तय हो चुका है। उन्होंने कहा कि केन्द्र ने 17 बार अपना हिस्सा बताने से बचने का प्रयास किया था किन्तु प्रदेश स्तरीय समिति की बैठक में दबाव में आकर केन्द्र को अपना हिस्सा तय करना पड़ा। इस परियोजना के लिये केन्द्र सरकार ने 2223 करोड़ रूपया देना स्वीकार किया था,
शेष 5500 करोड़ रूपये के लगभग राज्य सरकार ने वहन करना स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि इंदिरा गाँधी नहर की आरडी 103 से पानी लिया जाकर रॉ वॉटर रिजर्वायर, रॉ वॉटर पम्प हाउस, जल संशोधन सयंत्र के द्वारा जल शुद्ध कर पाईपलाईन द्वारा पम्प करके उच्च जलाशयों में भकर नलों द्वारा वितरित किया जाना प्रस्तावित है । इस परियोजना से सीकर, खण्डेला, धोंद व दांतारामगढ़, जिला सीकर तथा जिला नीमकाथाना के नीमकाथाना व श्रीमाधोपुर, जिला झुन्झुनूं के नवलगढ़ व पिलानी विधानसभा क्षेत्र की जनता लाभान्वित होगी।
उन्होंने कहा कि इस परियोजना की डीपीआर मंजूर हो चुकी है, फाईनेंस से मंजूरी हो चुकी है तथा राजस्थान वॉटर सप्लाई एवं सीवरेज निगम को इस प्रोजेक्ट को लागू करने की जिम्मेदारी प्रदान की थी । इस संस्था को ऋण के माध्यम से राशि की व्यवस्था कर प्रोजेक्ट लागू करना था । उन्होंने कहा कि इस योजना में इतनी प्रगति होने पर वर्तमान राजस्थान सरकार को केवल लोन अनुमत एवं टेण्डर ही करना बाकी है
क्योंकि यमुना कितना जल इस योजना के तहत् मिलना है, वह भी तय हो चुका है, समस्त कार्यवाही होने के बावजूद भाजपा जब से शासन में आई है उन्होंने इस योजना को आगे बढ़ाने का कार्य नहीं किया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार इस योजना को लेकर और इसकी प्रगति को लेकर किसी प्रकार का वक्तव्य जारी नहीं कर रही है, बल्कि धन्यवाद यात्रायें निकाल रही है और दूसरी ओर प्रदेश की जनता प्यासी बैठी है। उन्होंने कहा कि कवायद जिसमें केन्द्र व राज्य सरकार के समझौते हो चुके, के पश्चात् भाजपा की वर्तमान सरकार इस योजना को दरकिनार कर दूसरी योजना का झुन्झुना क्षेत्रवासियों को पकड़ाना चाहती है,
जबकि इस योजना को पूर्ण करने से क्षेत्रवासियों के पेयजल के संकट को दूर किया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार से मांग है कि जो योजना पूर्व स्वीकृत है उसे पूर्ण करने हेतु टेण्डर कर कार्य शुरू किया जाये ताकि आगामी तीन-चार वर्ष में कार्य पूर्ण होकर क्षेत्रवासियों को पेयजल का लाभ मिल सके।
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