एफएमसीजी कंपनियों को लोगों की भर्ती करने, उनकी उत्पादकता बढ़ाने पर फोकस करना चाहिए
० योगेश भट्ट ०
बेंगलुरु : भारत की नियोजन, नियोजनीयता और व्यवसाय करने की आसानी के क्षेत्र में बुनियादी बदलाव लाने वाली अग्रणी स्टाफिंग कंपनी-समूह, टीमलीज सर्विसेज (NSE:TEAMLEASE) ने देश की तेजी से बिकने वाली उपभोक्ता वस्तुओं (एफएमसीजी) सेक्टर पर एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में ढेरों बदलाव लाने वाली जानकारियों का खुलासा किया गया है जिनसे उद्योग का परिदृश्य बदल सकता है। इसमें एफएमसीजी कार्यबल में काफी लैंगिक विषमता को चिन्हित किया गया है,
रिपोर्ट के अनुसार, मेट्रो शहरों में एट्रिशन (संघर्षण) दर सबसे ज्यादा (27%) है। उनके बाद टियर 1 और टियर 2 शहरों (26%) का स्थान है। टियर 3 और टियर 4 शहरों के लोगों में मेट्रो शहरों की अपेक्षा एट्रिशन दर कम है, जो ग्रामीण बाज़ारों में अपेक्षाकृत कम माँग का परिचायक है। रिपोर्ट दर्शाती है कि सक्रिय सहयोगियों की औसत उम्र 36 वर्ष है और संघर्षित कर्मचारियों की करीब 34 वर्ष।
बेंगलुरु : भारत की नियोजन, नियोजनीयता और व्यवसाय करने की आसानी के क्षेत्र में बुनियादी बदलाव लाने वाली अग्रणी स्टाफिंग कंपनी-समूह, टीमलीज सर्विसेज (NSE:TEAMLEASE) ने देश की तेजी से बिकने वाली उपभोक्ता वस्तुओं (एफएमसीजी) सेक्टर पर एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में ढेरों बदलाव लाने वाली जानकारियों का खुलासा किया गया है जिनसे उद्योग का परिदृश्य बदल सकता है। इसमें एफएमसीजी कार्यबल में काफी लैंगिक विषमता को चिन्हित किया गया है,
जहां आउटसोर्स्ड कार्यबल में 90% से अधिक पुरुष सहयोगी हैं। रिपोर्ट तैयार करने में कंपनी के असोसिएट्स डेटाबेस और सेकेंडरी रिसर्च से प्राप्त आतंरिक आँकड़ों का प्रयोग किया गया है और इसमें नियुक्ति एवं संकर्षण संबंधी रुझानों के साथ हितधारकों के लिए बहुमूल्य रणनैतिक मार्गदर्शन प्रस्तुत किया गया है। रिपोर्ट में जन आपूर्ति श्रृंखला (पीपल सप्लाई चेन) को इष्टतम करने के लिए तीन स्तंभों के रूप में हायरिंग, एट्रिशन और प्रोडक्टिविटी (एचएपी) पर जोर दिया गया है।
यह रिपोर्ट प्रमाणित रणनीतियों का विवरण देती है जो संगठनों के लिए तेजी से नियुक्ति करने, एट्रिशन, और उत्पादकता बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं। कुछ अनुशंसाओं में फ्रेशर की भर्ती की संभावना तलाशने, बेहतर मिलान के लिए साइकोमेट्रिक मूल्यांकन के साथ-साथ एलऐंडडी के लिए को-पे मॉडल शामिल हैं, जिनसे प्रशिक्षुओं को अपने करियर में ग्रोथ को फ़ास्ट-ट्रैक करने में मदद मिल सकती है।
मुंबई, बैंगलोर, चेन्नई, दिल्ली, और हैदराबाद, भारत के वे पाँच शीर्ष शहर हैं, जहाँ एफएमसीजी सेक्टर में नियुक्ति का ठोस इरादा दिखाई दे रहा है। रिपोर्ट में सेल्स, मार्केटिंग, और सूचना प्रौद्योगिकी के साथ-साथ कार्यालय सेवाएं, मानव संसाधन, और श्रमिक की भूमिकाओं वाली नौकरियों के लिए नई भर्ती में काफी वृद्धि दर्शायी गई है।
मुंबई, बैंगलोर, चेन्नई, दिल्ली, और हैदराबाद, भारत के वे पाँच शीर्ष शहर हैं, जहाँ एफएमसीजी सेक्टर में नियुक्ति का ठोस इरादा दिखाई दे रहा है। रिपोर्ट में सेल्स, मार्केटिंग, और सूचना प्रौद्योगिकी के साथ-साथ कार्यालय सेवाएं, मानव संसाधन, और श्रमिक की भूमिकाओं वाली नौकरियों के लिए नई भर्ती में काफी वृद्धि दर्शायी गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, मेट्रो शहरों में एट्रिशन (संघर्षण) दर सबसे ज्यादा (27%) है। उनके बाद टियर 1 और टियर 2 शहरों (26%) का स्थान है। टियर 3 और टियर 4 शहरों के लोगों में मेट्रो शहरों की अपेक्षा एट्रिशन दर कम है, जो ग्रामीण बाज़ारों में अपेक्षाकृत कम माँग का परिचायक है। रिपोर्ट दर्शाती है कि सक्रिय सहयोगियों की औसत उम्र 36 वर्ष है और संघर्षित कर्मचारियों की करीब 34 वर्ष।
इससे संकेत मिलता है कि अपेक्षाकृत कम उम्र के कर्मचारियों में संघर्षण की प्रवृत्ति अधिक होती है। इसी प्रकार सक्रिय और संघर्षित सहयोगियों का कार्यकाल क्रमशः 1.7 और 1.1 वर्ष है। रिपोर्ट में संघर्षण को दो भिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है : ‘खेदजनक’ और ‘गैर-खेदजनक’। खेदजनक संघर्षण 21% निकासी के लिए जिम्मेदार है जिसमें वे कर्मचारी शामिल हैं जिन्होंने अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन की बदौलत कंपनी के औसत से अधिक प्रोत्साहन राशि अर्जित की थी।
दूसरी ओर, गैर-खेदजनक संघर्षण, जिसका संघर्षण दर 39% है, उन मामलों में घटित होता है जहाँ कर्मचारी कोई प्रोत्साहन राशि अर्जित नहीं करते। टीमलीज़ सर्विसेज ने रिपोर्ट में यह भी बताया है कि चालू और संघर्षित सहयोगियों के लिए औसत सीटीसी दक्षिण भारत में सबसे ज्यादा है। उल्लेखनीय है कि जहाँ सक्रिय और संघर्षित सहयोगियों के वेतन के बीच फर्क ना के बराबर है, वहीं अर्जित प्रोत्साहन राशि का अंतर काफी बड़ा है। यह दर्शाता है कि संघर्षण की भविष्यवाणी के लिए वेतन की तुलना में प्रोत्साहन राशि काफी अधिक मजबूत घटक हैं, क्योंकि वेतन में लचीलापन प्रतीत नहीं होता।
भारत की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की तत्परता और महत्वपूर्ण सरकारी सहयोग को देखते हुए आने वाले वर्षों में एफएमसीजी उद्योग के आमदनी के महत्वपूर्ण माइलस्टोन पर पहुँच जाने का अनुमान है। एफडीआई भत्ते और पीएलआई योजना जैसी सरकारी पहलों से उद्योग की वृद्धि और निर्यात की संभावना को ताकत मिल रही है। ई-कॉमर्स का विस्तार और डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (सीधे उपभोक्ता तक) मॉडल बाज़ार में और विशेषकर ग्रामीण इलाकों में बाज़ार में पहुंच बनाने का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं।
भारत की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की तत्परता और महत्वपूर्ण सरकारी सहयोग को देखते हुए आने वाले वर्षों में एफएमसीजी उद्योग के आमदनी के महत्वपूर्ण माइलस्टोन पर पहुँच जाने का अनुमान है। एफडीआई भत्ते और पीएलआई योजना जैसी सरकारी पहलों से उद्योग की वृद्धि और निर्यात की संभावना को ताकत मिल रही है। ई-कॉमर्स का विस्तार और डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (सीधे उपभोक्ता तक) मॉडल बाज़ार में और विशेषकर ग्रामीण इलाकों में बाज़ार में पहुंच बनाने का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं।
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