सरकार के दोहरे मापदंड महिला आजादी में बाधक : नारी चेतना मंच

० आशा पटेल ० 
रीवा। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर नारी चेतना मंच के तत्वावधान में संगठन की अध्यक्ष वाणी मंजरी दास पटनायक भूवनेश्वर उड़ीसा की अध्यक्षता में सामाजिक राजनीतिक सवालों पर काल कान्फ्रेंसिंग के जरिए संवाद स्थापित किया गया। कार्यक्रम का संयोजन लोकतंत्र सेनानी नारी चेतना मंच के संयोजक अजय खरे ने किया। देश के संविधान में महिलाओं को बराबरी का दर्जा प्राप्त है लेकिन व्यवहार में आज भी महिलाओं को उपेक्षा का शिकार होना पड़ता है। 

आए दिन महिलाओं के साथ होने वाली घटनाएं बताती हैं कि उनकी सुरक्षा का सवाल काफी चिंताजनक है। समतामूलक समाज के लिए अभी लोगों की सोच बदलने की जरूरत है। साल के 364 दिनों तक उपेक्षित नारी के लिए महिला दिवस का आयोजन महज़ रस्म अदायगी नजर आता है। समाज में महिलाओं को दबाकर रखने की सोच बदलनी होगी। सास और बहू के बीच बिगड़ी सोच को दुरुस्त करना होगा। कॉन्फ्रेंसिंग में बताया गया कि एक तरफ बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ की बात होती है , 

वहीं दूसरी तरफ रीवा जैसे स्थान में नर्सिंग छात्राओं को शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय की मान्यता को तकनीकी कारणवश रद्द कर दिए जाने के बाद अध्ययन से वंचित रखा जा रहा है। विधिवत प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करके शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय में अध्ययनरत सैकड़ों छात्राओं को भवन और स्टाफ उपलब्ध कराना शासन प्रशासन की जवाबदेही है। लेकिन सड़कों पर विरोध प्रदर्शन जताने के बावजूद छात्राओं को न्याय के लिए इधर-उधर भटकने को मजबूर कर दिया गया है। नारी सशक्तिकरण की बातें होती हैं लेकिन उसका पालन नहीं हो पा रहा है।

कालं कान्फ्रेंसिंग में कहा गया कि महिलाओं को उपभोक्तावादी संस्कृति का शिकार होने से बचना होगा। मौजूदा बाजारवाद में औरत को एक वस्तु की तरह देखा जाता है। दहेज जैसी बुराई से महिलाओं को सबसे अधिक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है। कन्या दान की वस्तु नहीं है लेकिन प्रदेश सरकार विवाह के नाम पर मुख्यमंत्री कन्यादान योजना चलाकर उन्हें अपमानित कर रही है। सामान्य प्रसव की जगह सिजेरियन डिलीवरी महिलाओं के साथ क्रूर खिलवाड़ और आर्थिक लूट है।

 कठुआ कांड , अहमदाबाद विश्वविद्यालय में महिलाओं के साथ क्रूरता, बिल्किस बानो प्रकरण , महिला पहलवानों का यौन शोषण , मणिपुर में महिलाओं का चीरहरण और बलात्कार के सवाल पर सत्तारूढ़ भाजपा और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जुबान नहीं खुलती हैं वहीं बंगाल के संदेशखाली को लेकर दहाड़ते नजर आने की बात से उनका दोहरा चरित्र उजागर हुआ है।

काल कान्फ्रेंसिंग में पत्रकार आशा पटेल जयपुर, डॉ सुनीता त्यागी बिजनौर, मीना श्रीवास्तव बंगलौर, वीना सिन्हा प्रयागराज, माधुरी लाल भोपाल, आभा श्रीवास्तव जबलपुर, शोभा सक्सेना भोपाल ,सरस्वती दुबे कोलकाता , मीरां पटेल रीवा, नेहा त्रिपाठी रीवा, लीला पंवार इंदौर आदि ने भागीदारी निभाई।

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