परिवहन विभाग द्वारा ड्राइविंग लाइसेंस डिजिटल करना गम्भीर खतरा
० आशा पटेल ०
जयपुर | अन्तर्राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ और भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद के सदस्य डॉ कमल सोई ने राजस्थान राज्य में एक चिंताजनक मुद्दे पर रोशनी डाली है। परिवहन विभाग द्वारा 1 अप्रैल 2024 से केवल डिजिटल ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी करना मौजूदा कानूनों एवं दिशानिर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन है, जो सड़क सुरक्षा एवं कानूनी अनुपालन के लिए गंभीर खतरा है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा भौतिक रूप में (लैमिनेटेड कार्ड या स्मार्ट कार्ड) ड्राइविंग लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी करने के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद राजस्थान परिवहन विभाग कानूनी अध्यादेशों एवं दिशानिर्देशों की अवहेलना करते हुए सिर्फ डिजिटल दस्तावेज जारी करने पर ज़ोर दे रहा है। राजस्थान परिवहन विभाग ने 8 फरवरी 2024 को अधिसूचना जारी कर दी है कि 1 अप्रैल 2024 से ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन पंजीकरण प्रमाणपत्र केवल डिजिटल रूप में ही जारी किए जाएंगे।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की स्पष्ट अडवाइज़री का हवाला देते हुए डॉ सोई का कहना है कि केन्द्रीय मोटर वाहन नियम 1989 के अनुसार ड्राइविंग लाइसेंस एवं पंजीकरण प्रमाण पत्र सिर्फ भौतिक रूप में ही जारी किए जाने चाहिए। जबकि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने हाल ही में 18 जुलाई 2023 और 9 फरवरी 2024 को स्पष्टीकरण दिया है कि इन नियमों का अनुपालन करते हुए लेमिनेटेड-कार्ड प्रकार के दस्तावेज जारी करना अनिवार्य है।
डॉ सोई इस मुद्दे के समाधान के लिए निरंतर प्रयासरत रहे हैं, जिसमें राजस्थान परिवहन विभाग को 14 अप्रैल 2023, 4 मई 2023 और 4 नवम्बर 2023 को दिए गए अभ्यावेदन शामिल हैं, जिनके द्वारा कानूनी नियमों और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुपालन की मांग की गई है। हालांकि विभाग मानदण्डों की अवहेलना करते हुए सिर्फ डिजिटल दस्तावेज जारी करने पर कायम है। विभाग ने 8 फरवरी 2024 को अधिसूचना, 5 मार्च 2024; एनआईसीएसआई को दिए गए संचार दिनांकित 7 मार्च 2024 जारी किए हैं और सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक रूप में डीएल एवं आरसी जारी करने के लिए एनआईसीएसआई के साथ समझौता समाप्त कर दिया है।
राजस्थान परिहवन विभाग राज्य में डीएल/आरसी को प्रिंट करने के लिए ई-मित्रा केन्द्र रूट अपनाना चाहता है, इसके बजाए एनआईसीएसआई के माध्यम से इसे लागू नहीं करना चाहता है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने अपने निर्देशित पत्र दिनांकित 19 मई 2017 के माध्यम से कहा कि वेब-सर्विस इस्तेमाल करने वाले ऐप्लीकेशन/ऐप/पोर्टल का लेखापरीक्षण द्वारा अनुमोदित सुरक्षा लेखापरीक्षक द्वारा किया जाएगा और इसकी रिपोर्ट सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को भेजी जाएगी।
जयपुर | अन्तर्राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ और भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद के सदस्य डॉ कमल सोई ने राजस्थान राज्य में एक चिंताजनक मुद्दे पर रोशनी डाली है। परिवहन विभाग द्वारा 1 अप्रैल 2024 से केवल डिजिटल ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी करना मौजूदा कानूनों एवं दिशानिर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन है, जो सड़क सुरक्षा एवं कानूनी अनुपालन के लिए गंभीर खतरा है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा भौतिक रूप में (लैमिनेटेड कार्ड या स्मार्ट कार्ड) ड्राइविंग लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी करने के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद राजस्थान परिवहन विभाग कानूनी अध्यादेशों एवं दिशानिर्देशों की अवहेलना करते हुए सिर्फ डिजिटल दस्तावेज जारी करने पर ज़ोर दे रहा है। राजस्थान परिवहन विभाग ने 8 फरवरी 2024 को अधिसूचना जारी कर दी है कि 1 अप्रैल 2024 से ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन पंजीकरण प्रमाणपत्र केवल डिजिटल रूप में ही जारी किए जाएंगे।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की स्पष्ट अडवाइज़री का हवाला देते हुए डॉ सोई का कहना है कि केन्द्रीय मोटर वाहन नियम 1989 के अनुसार ड्राइविंग लाइसेंस एवं पंजीकरण प्रमाण पत्र सिर्फ भौतिक रूप में ही जारी किए जाने चाहिए। जबकि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने हाल ही में 18 जुलाई 2023 और 9 फरवरी 2024 को स्पष्टीकरण दिया है कि इन नियमों का अनुपालन करते हुए लेमिनेटेड-कार्ड प्रकार के दस्तावेज जारी करना अनिवार्य है।
डॉ सोई इस मुद्दे के समाधान के लिए निरंतर प्रयासरत रहे हैं, जिसमें राजस्थान परिवहन विभाग को 14 अप्रैल 2023, 4 मई 2023 और 4 नवम्बर 2023 को दिए गए अभ्यावेदन शामिल हैं, जिनके द्वारा कानूनी नियमों और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुपालन की मांग की गई है। हालांकि विभाग मानदण्डों की अवहेलना करते हुए सिर्फ डिजिटल दस्तावेज जारी करने पर कायम है। विभाग ने 8 फरवरी 2024 को अधिसूचना, 5 मार्च 2024; एनआईसीएसआई को दिए गए संचार दिनांकित 7 मार्च 2024 जारी किए हैं और सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक रूप में डीएल एवं आरसी जारी करने के लिए एनआईसीएसआई के साथ समझौता समाप्त कर दिया है।
राजस्थान परिहवन विभाग राज्य में डीएल/आरसी को प्रिंट करने के लिए ई-मित्रा केन्द्र रूट अपनाना चाहता है, इसके बजाए एनआईसीएसआई के माध्यम से इसे लागू नहीं करना चाहता है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने अपने निर्देशित पत्र दिनांकित 19 मई 2017 के माध्यम से कहा कि वेब-सर्विस इस्तेमाल करने वाले ऐप्लीकेशन/ऐप/पोर्टल का लेखापरीक्षण द्वारा अनुमोदित सुरक्षा लेखापरीक्षक द्वारा किया जाएगा और इसकी रिपोर्ट सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को भेजी जाएगी।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने ने निर्देश दिए हैं कि इस तरह का लेखापरीक्षण ही किया जाएगा। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने यह भी कहा है कि ऑडिट सर्टिफिकेट प्राप्त होने पर वेब सर्विस को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा सक्षम किया जाएगा और उपरोक्त बिन्दुओं के अनुपालन के संदर्भ में आधिकारिक लैटर-हैड पर सक्षम अधिकारी से वचनपत्र लिया जाएगा।
हर ई-मित्र केन्द्र के लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के कर्थित निर्देशों का अनुपालन करना और वेब सर्विस का उपयोग करने के लिए लेखापरीक्षण का प्रमाणपत्र पाना असंभव है। मान लीजिए, ऐसा हो भी जाए, हालांकि ऐसा संभव नहीं है कि हर ई-मित्र केन्द्र को ऑडिट सर्टिफिकेट मिल जाए, तब भी हर ई-मित्र केन्द्र के लिए यह सुनिश्चित करना संभव नहीं होगा कि किसी भी थर्ड पार्टी को ऐप्लीकेशन/ऐप के ज़रिए वेब सर्विस का एक्सेस न मिले और इस तरह डीएलआरसी के डेटा को सुरक्षित रखना असंभव हो जाएगा।
राजस्थान पाकिस्तान का सीमा राज्य है और आतंकवादी खतरों के लिए संवेदनशील है। ऐसे राज्य सरकार को इस मुद्दे की गंभीरता को समझना चाहिए और सख्ती से सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी डीएल/आरसी डेटा लीक न हो और न ही पब्लिक डोमेन में उपलब्ध हो। अगर सरकार ई-मित्र केन्द्र के माध्यम से डीएल/आरसी प्रिंट कराने की अनुमति देती है, जैसा कि परिवहन विभाग ने फैसला लिया है, तो यह सुनिश्चित करने के लिए कोई तरीका नहीं है कि डेटा लीक नहीं होगा /पब्लिक डोमेन में उपलब्ध नहीं होगा, जिसका उपयोग आतंकवादी एवं विघटनकारी गतिविधियों के लिए किया जा सके।
राजस्थान परिवहन विभाग को सख्त सलाह दी जाती है और अनुरोध किया जाता है कि राज्य में डीएल/आर प्रिंटिंग के लिए ई-मित्र केन्द्र रूट की अनुमति न दें और इसके बजाए एनआईसीएसआई के माध्यम से इसे लागू करें, जैसा कि पहले किया जाता रहा है। राजस्थान परिवहन विभाग से अनुरोध करता हूं कि भारत सरकार के निर्देशों के अनुरूप एनआईसीएसआई को जारी रखने पर विचार करें, जो वर्तमान में राजस्थान को अपनी सेवाएं प्रदान कर रही है।
हर ई-मित्र केन्द्र के लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के कर्थित निर्देशों का अनुपालन करना और वेब सर्विस का उपयोग करने के लिए लेखापरीक्षण का प्रमाणपत्र पाना असंभव है। मान लीजिए, ऐसा हो भी जाए, हालांकि ऐसा संभव नहीं है कि हर ई-मित्र केन्द्र को ऑडिट सर्टिफिकेट मिल जाए, तब भी हर ई-मित्र केन्द्र के लिए यह सुनिश्चित करना संभव नहीं होगा कि किसी भी थर्ड पार्टी को ऐप्लीकेशन/ऐप के ज़रिए वेब सर्विस का एक्सेस न मिले और इस तरह डीएलआरसी के डेटा को सुरक्षित रखना असंभव हो जाएगा।
राजस्थान पाकिस्तान का सीमा राज्य है और आतंकवादी खतरों के लिए संवेदनशील है। ऐसे राज्य सरकार को इस मुद्दे की गंभीरता को समझना चाहिए और सख्ती से सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी डीएल/आरसी डेटा लीक न हो और न ही पब्लिक डोमेन में उपलब्ध हो। अगर सरकार ई-मित्र केन्द्र के माध्यम से डीएल/आरसी प्रिंट कराने की अनुमति देती है, जैसा कि परिवहन विभाग ने फैसला लिया है, तो यह सुनिश्चित करने के लिए कोई तरीका नहीं है कि डेटा लीक नहीं होगा /पब्लिक डोमेन में उपलब्ध नहीं होगा, जिसका उपयोग आतंकवादी एवं विघटनकारी गतिविधियों के लिए किया जा सके।
राजस्थान परिवहन विभाग को सख्त सलाह दी जाती है और अनुरोध किया जाता है कि राज्य में डीएल/आर प्रिंटिंग के लिए ई-मित्र केन्द्र रूट की अनुमति न दें और इसके बजाए एनआईसीएसआई के माध्यम से इसे लागू करें, जैसा कि पहले किया जाता रहा है। राजस्थान परिवहन विभाग से अनुरोध करता हूं कि भारत सरकार के निर्देशों के अनुरूप एनआईसीएसआई को जारी रखने पर विचार करें, जो वर्तमान में राजस्थान को अपनी सेवाएं प्रदान कर रही है।
राजस्थान परिवहन विभाग को सलाह दी जाती है कि ई-मित्र केन्द्र रूट न अपनाएं, इसके बजाए स्मार्ट कार्ड वाले डीएल /आरीसी जारी करने के लिए एनआईसीएसआई की सेवाओं का इस्तेमाल जारी रखें, जिनके पास इस क्षेत्र में व्यापक अनुभव है और उनके साथ इस कार्य के लिए उद्योग जगत के विशेषज्ञ जुड़े हुए हैं।
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