छोटे शहर की रोमांटिक कॉमेडी है मैमराज़ी
० योगेश भट्ट ०
नई दिल्ली -मैमराज़ी एक ऐसी कहानी है जहां एक छोटे से मोहल्ले की औरतें मिल कर सबकी मदद करना चाहती है लेकिन वो मदद एक मुसीबत बन जाता है । लेखिका जयंती रंगनाथन द्वारा लिखित और और हेमंत अग्रवाल द्वारा निर्देशित मैमराज़ी का मंचन 7 अप्रैल को श्री राम सेंटर में किया जाएगा । नाटक की कहानी कुछ इस तरह से है शशांक दिल्ली से छोटे शहर में नौकरी के लिए आया है। उसके गेस्ट हाउस के पड़ोस में स्वीटी भाभी रहती हैं। जिसे आदत है दूसरे के पर्सनल लाइफ में घुसने की और नए ट्रेनी इंजीनियर के लिए लड़कियां फिक्स करने की, और यह सब वो सोशल सर्विस के नाम पर करती हैं।
जयंती रंगनाथन, मैमराजी की लेखिका ने कहा “जिन दिनों मैं मैमराजी: बजाएगी पैपराजी का बैंड, उपन्यास लिख रही थी, इसके हर किरदार मेरी आंखों के सामने चौबीसों घंटे बने रहते थे। ऐसा लगता था मैं एक नाटक देखते हुए लिख रही हूं। मैं लिखते हुए कभी हंसती थी, तो कभी आंखें भीग आती थीं। जब हेमंत अग्रवाल ने मुझे फोन करके बताया कि वो मेरे उपन्यास पर नाटक करना चाहते हैं, मेरी सबसे पहली प्रतिक्रिया यही हुई कि ये किरदार जीवंत हो कर कितने अच्छे लगेंगे। छोटे शहर की रोमांटिक कॉमेडी के ये किरदार हमारी जिंदगी के आसपास के हैं। मैं इस नाटक को देखने के लिए रोमांचित हूं”।
नई दिल्ली -मैमराज़ी एक ऐसी कहानी है जहां एक छोटे से मोहल्ले की औरतें मिल कर सबकी मदद करना चाहती है लेकिन वो मदद एक मुसीबत बन जाता है । लेखिका जयंती रंगनाथन द्वारा लिखित और और हेमंत अग्रवाल द्वारा निर्देशित मैमराज़ी का मंचन 7 अप्रैल को श्री राम सेंटर में किया जाएगा । नाटक की कहानी कुछ इस तरह से है शशांक दिल्ली से छोटे शहर में नौकरी के लिए आया है। उसके गेस्ट हाउस के पड़ोस में स्वीटी भाभी रहती हैं। जिसे आदत है दूसरे के पर्सनल लाइफ में घुसने की और नए ट्रेनी इंजीनियर के लिए लड़कियां फिक्स करने की, और यह सब वो सोशल सर्विस के नाम पर करती हैं।
महानगरों में स्टार्स के पीछे भागने वाले पैपराजियों की तरह शहर में आए एलिजिबल बैचलर के पीछे पड़ती हैं भाभियां उर्फ मैमराजी...क्या होता है जब शशांक का उससे पाला पड़ता है? हंसने-हंसाने-गुदगुदानेवाली रोमांटिक कॉमेडी का नाम है मैमराजी नाटक के निर्माता और निर्देशक ,हेमंत अग्रवाल ने कहा , "जयंती रंगनाथन" जी के उपन्यास पर नाटक खेलना इसलिए सोचा के एक बिल्कुल अलग कहानी आज के परिवेश में लिखी गई है ।ये कहानी लोगों को हंसाएगी भी और सोचने को मजबूर भी करेगी के पैपराजी शब्द को मैमराज़ी क्यों बनाया गया”।
जयंती रंगनाथन, मैमराजी की लेखिका ने कहा “जिन दिनों मैं मैमराजी: बजाएगी पैपराजी का बैंड, उपन्यास लिख रही थी, इसके हर किरदार मेरी आंखों के सामने चौबीसों घंटे बने रहते थे। ऐसा लगता था मैं एक नाटक देखते हुए लिख रही हूं। मैं लिखते हुए कभी हंसती थी, तो कभी आंखें भीग आती थीं। जब हेमंत अग्रवाल ने मुझे फोन करके बताया कि वो मेरे उपन्यास पर नाटक करना चाहते हैं, मेरी सबसे पहली प्रतिक्रिया यही हुई कि ये किरदार जीवंत हो कर कितने अच्छे लगेंगे। छोटे शहर की रोमांटिक कॉमेडी के ये किरदार हमारी जिंदगी के आसपास के हैं। मैं इस नाटक को देखने के लिए रोमांचित हूं”।
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