इम्पैक्ट ऑफ़ टेक्नोलॉजी ऑन रीडिंग हैबिट्स” विषय पर वेबिनार
० योगेश भट्ट ०
नई दिल्ली : विश्व पुस्तक दिवस अवसर पर दिल्ली के भारती विद्यापीठ एवं जयपुर से प्रकाशित कम्युनिकेशन टुडे के संयुक्त तत्वावधान में “इम्पैक्ट ऑफ़ टेक्नोलॉजी ऑन रीडिंग हैबिट्स” विषय पर वेबिनार आयोजित हुई । इस वेबिनार में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली के सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज की अध्यक्ष डॉ शुचि यादव ने कहा कि पुस्तकें पढ़ना हमारे सामाजिक परिवेश का हिस्सा है। पुस्तक पढ़कर ही हम प्राथमिक स्रोतों की खोज कर सकते हैं।
नई दिल्ली : विश्व पुस्तक दिवस अवसर पर दिल्ली के भारती विद्यापीठ एवं जयपुर से प्रकाशित कम्युनिकेशन टुडे के संयुक्त तत्वावधान में “इम्पैक्ट ऑफ़ टेक्नोलॉजी ऑन रीडिंग हैबिट्स” विषय पर वेबिनार आयोजित हुई । इस वेबिनार में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली के सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज की अध्यक्ष डॉ शुचि यादव ने कहा कि पुस्तकें पढ़ना हमारे सामाजिक परिवेश का हिस्सा है। पुस्तक पढ़कर ही हम प्राथमिक स्रोतों की खोज कर सकते हैं।
चौधरी देवीलाल यूनिवर्सिटी सिरसा के पत्रकारिता जनसंचार विभाग के प्रोफेसर डॉ सेवा सिंह बाजवा ने कहा कि ऑनलाइन माध्यमों में हमें इनफॉरमेशन, मिस इनफॉरमेशन और डिसइनफॉरमेशन को भी समझना होगा । उन्होंने शैक्षिक मूल्य में हो रही गिरावट पर भी चिंता प्रकट की। साथ ही एमिटी यूनिवर्सिटी राजस्थान की पत्रकारिता की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ तनुश्री मुखर्जी ने कहा कि तकनीक ने नए द्वार खोले हैं। अब एआई जनित टेक्नोलॉजी ने एक क्लिक पर हजारों पृष्ठों तक हमारी पहुंच को आसान बना दिया है।
राजस्थान विश्वविद्यालय में जनसंचार केंद्र के पूर्व अध्यक्ष एवं कम्यूनिकेशन टुडे के संपादक प्रो. संजीव भानावत ने 'कागज से स्क्रीन' तक की यात्रा में आने वाली चुनौतियों की चर्चा करते हुए 'डिजिटल एडिक्शन ' की बात की। उनका मानना था कि डिजिटल पढ़ाई और पुस्तकों की पढ़ाई - दोनों का अनुभव अलग-अलग है। तकनीक हमारे ध्यान को भटकाती है जबकि पुस्तक पढ़ने में जहां स्पर्श के सुख की अनुभूति है वहीं एक विशिष्ट आनंद की अनुभूति भी उसमें निहित है।
चर्चा में दिल्ली के लेखक-वरिष्ठ पत्रकार प्रो. एस. एस. डोगरा व मीडिया कर्मी डॉ चेतन निमाड़े ने भी अपने अनुभव सुनाते हुए कहा कि हर माध्यम के साथ सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव जुड़े हुए हैं। हमें तकनीक का गुलाम बनने की बजाय उसके लाभदायक पक्ष पर ध्यान देते हुए समकालीन चुनौतियां का सामना करना चाहिए। भारती विद्यापीठ में पत्रकारिता विभाग की सहायक प्रोफेसर प्रियंका सिंह ने ई-बुके से अतिथियों का स्वागत किया तथा कार्यक्रम के अंत में ई-सर्टिफिकेट तथा ई-स्मृति चिन्ह भेंट किए ।
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