10 में से 7 मरीज हाईपरटेंशन से प्रभावित हैंःडॉ. भूपेन्द्र सिंह

० योगेश भट्ट ० 
नयी दिल्ली - हाईपरटेंशन को उच्च रक्तचाप भी कहते हैं। यह एक साईलेंट किलर है, जिससे दुनिया में लाखों लोग प्रभावित हैं। इस स्थिति में रक्तवाहिकाओं की दीवारों पर रक्त बहाव का बल काफी बढ़ जाता है, जिसकी वजह से स्वास्थ्य की गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।  हाईपरटेंशन के बारे में डॉ. भूपेन्द्र सिंह, सलाहकार कार्डियोलॉजी, मणिपाल हॉस्पिटल, गाजियाबाद ने कहा, ‘‘भारतीय आबादी में हाईपरटेंशन स्वास्थ्य की सबसे आम समस्याओं में से एक है, 

जिसकी वजह से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। हमारे ओपीडी में आने वाले 10 में से 7 मरीज हाईपरटेंशन से पीड़ित होते हैं। हालाँकि हाईपरटेंशन को जीवनशैली में परिवर्तन और समय पर निदान द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।’ स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखने और हाईपरटेंशन को प्रभावी तरीके से नियंत्रित करने के लिए कुछ आवश्यक सुझाव दिए जा रहे हैंः-

. आहार में परिवर्तनः फलों, सब्जियों, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन, और स्वस्थ फैट से भरपूर एक संतुलित आहार लेना शुरू करें। रक्तचाप को नियंत्रण में रखने के लिए सोडियम, सैचुरेटेड फैट, और ट्रांस फैट का सेवन कम करें।  शारीरिक गतिविधिः नियमित रूप से शारीरिक गतिविधि शुरू करें, जिसमें वॉकिंग, जॉगिंग, स्विमिंग या साईक्लिंग शामिल हो। सप्ताह में कम से कम 5 दिन तक प्रतिदिन 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि करें। व्यायाम से रक्तचाप को कम करने और हृदय को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।
 वजन नियंत्रित रखेंः संतुलित आहार और नियमित व्यायाम द्वारा वजन को नियंत्रित रखें। ज्यादा वजन होने पर हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और रक्तचाप बढ़ जाता है। मदिरासेवन में संयम बरतेंः ज्यादा मदिरासेवन से रक्तचाप बढ़ सकता है। पुरुषों को मदिरा सेवन प्रतिदिन दो स्टैंडर्ड ड्रिंक्स तक सीमित कर देना चाहिए, जबकि महिलाओं को एक स्टैंडर्ड ड्रिंक से ज्यादा मदिरा सेवन नहीं करना चाहिए। धूम्रपान न करेंः धूम्रपान से हाईपरटेंशन एवं अन्य कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। धूम्रपान न करने से हाईपरटेंशन और अन्य संबंधित बीमारियों का जोखिम काफी कम हो जाता है।

हाईपरटेंशन के शुरुआती लक्षण दिखाई नहीं दे सकते हैं, लेकिन समय पर मेडिकल सहायता प्राप्त करने के लिए उनके बारे में जागरुक होना बहुत जरूरी है। हाईपरटेंशन के कुछ सामान्य लक्षणों में थकान, कमजोरी, सिर में दर्द, मितली और उबकाई आना, साँस फूलना और छाती में दर्द शामिल हैं। इनमें से कोई भी लक्षण नजर आने पर फौरन डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। हाईपरटेंशन की समय पर पहचान और इलाज से स्वास्थ्य की गंभीर समस्याओं, जैसे हृदय रोग, स्ट्रोक और किडनी को फेल होने से बचाया जा सकता है।

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