शास्त्र कौशल विशिष्ट ग्रन्थ के अध्ययन के लिए बहुत ही आवश्यक -कुलपति प्रो वरखेड़ी
० योगेश भट्ट ०
नयी दिल्ली - अखिल भारतीय शास्त्र प्रशिक्षण के लिए चयनित अभ्यर्थियों जिनका प्रशिक्षण केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के राजीव गांधी परिसर , श्रृंगेरी , श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर ,देव प्रयाग तथा जयपुर परिसर, जयपुर में होना सुनिश्चित किया गया है । प्रो वरखेड़ी ने कार्यक्रम में उन सभी 90 सफल छात्र छात्राओं के नामों की उद्घोषणा करते उन्हें हार्दिक बधाई देते भारत सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया जिनके मार्गदर्शन में अष्टादशी परियोजना के अन्तर्गत यह कार्यक्रम का श्रीगणेश गणेश किया गया है। कुलपति ने आगे यह भी कहा कि सीएसयू द्वारा प्रत्येक वर्ष संस्कृत शास्त्र संरक्षण तथा संबर्धन के लिए जो अखिल भारतीय शास्त्र स्पर्धा का आयोजन किया जाता है उसी परम्परा को और सुदृढ़ करने की दिशा में यह एक महत्त्वपूर्ण कदम है ,ताकि इस परम्परा में छात्र छात्राएं अपनी पूरी तैयारी के साथ भाग ले कर संस्कृत शास्त्र को दुनिया भर में और अधिक चमत्कृत कर सकें।साथ ही साथ उन्होंने आगे यह भी कहा कि शास्त्र ज्ञान व शास्त्र कौशल दोनों ही महत्त्वपूर्ण है ,
लेकिन शास्त्र कौशल विशिष्ट ग्रन्थ के अध्ययन के लिए बहुत ही आवश्यक है। इसके लिए एक विशेष संस्कार की आवश्यक होती है । आशा है इसके उन्नयन में यह नवाचारी शास्त्र प्रशिक्षण अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी । ध्यातव्य है कि इसमें औन लाईन के माध्यम से लिखित तथा वाक् दोनों परीक्षाओं के ज्ञान रुपी अग्नि परीक्षा में सफलता के बाद ही उनको चयनित किया गया । साथ ही साथ भारत के विविध प्रान्तों के छात्र-छात्राओं ने भाग लेकर अपनी सफलता पायी है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो के. ई . देवनाथन , पूर्व कुलपति ,कर्णाटक विश्वविद्यालय ने कहा कि इस तरह के नवोन्मेषी शास्त्र प्रशिक्षण संस्कृत की महत्ता को और अधिक स्थापित करेगी । प्रो ब्रज भूषण ओझा ,बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय ,दिल्ली जो इस प्रशिक्षण के लिए विशेषज्ञ के रूप में नामित किये गये हैं , उन्होंने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में देश के जाने माने संस्कृत विद्वान शास्त्र पिपासु छात्र छात्राओं को प्रशिक्षण देने के लिए कुलपति श्रीनिवास वरखेड़ी द्वारा नामित किया गये गये हैं । इस प्रशिक्षण वर्ग के संयोजक प्रो कुलदीप शर्मा तथा डा अमृता कौर क्रमशः कार्यक्रम का वैशिष्ट्य तथा रुपरेखा और संचालन किया ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो के. ई . देवनाथन , पूर्व कुलपति ,कर्णाटक विश्वविद्यालय ने कहा कि इस तरह के नवोन्मेषी शास्त्र प्रशिक्षण संस्कृत की महत्ता को और अधिक स्थापित करेगी । प्रो ब्रज भूषण ओझा ,बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय ,दिल्ली जो इस प्रशिक्षण के लिए विशेषज्ञ के रूप में नामित किये गये हैं , उन्होंने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में देश के जाने माने संस्कृत विद्वान शास्त्र पिपासु छात्र छात्राओं को प्रशिक्षण देने के लिए कुलपति श्रीनिवास वरखेड़ी द्वारा नामित किया गये गये हैं । इस प्रशिक्षण वर्ग के संयोजक प्रो कुलदीप शर्मा तथा डा अमृता कौर क्रमशः कार्यक्रम का वैशिष्ट्य तथा रुपरेखा और संचालन किया ।
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