निम्स हार्ट एंड ब्रेन हॉस्पिटल जयपुर ने व्यक्ति को ब्रेन स्ट्रोक से बचाया
० आशा पटेल ०
जयपुर | निम्स हार्ट एंड ब्रेन हॉस्पिटल के सेंटर चीफ एंड चीफ न्यूरो इंटरवेंशनलिस्ट, डॉ. मदन मोहन गुप्ता के नेतृत्व में एन.एच.बी.एच की टीम ने 57 वर्षीय मनोज भार्गव की स्टेंटिंग प्रक्रिया द्वारा विकट एंजियोप्लास्टी सफलतापूर्वक की गयी। इस सर्जरी में डिजिटल सब्ट्रैक्शन एंजियोग्राफी का उपयोग करके निम्स हार्ट एंड ब्रेन डॉक्टर्स टीम ने मरीज के मस्तिष्क की ब्लाक हुई रक्त वाहिका की सटीक पहचान की। मनोज भार्गव को उनकी दाहिनी इंटरनल कैरोटिड धमनी (मस्तिष्क रक्त वाहिकाओं) के 80% सिकुडन के कारण बार-बार होने वाले ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक (टीआईए) के लिए एन.एच.बी.एच में भर्ती कराया गया था।
डिजिटल सबट्रैक्शन एंजियोग्राफी सेरेब्रल एंजियोग्राफी सहित डायग्नोस्टिक इमेजिंग ने तीन धमनियों में पूरी तरह से ब्लॉकिंग दिखाई। जिसमे ब्रेन की दो धमनियां पूरी तरह ब्लाक हो चुकी हैं और एक धमनी 80 % ब्लाक थी जिसकी वजह से मरीज को बार बार स्ट्रोक आते थे। इससे पहले मरीज की धमनी की समस्याओं के कारण हार्ट की बाईपास सर्जरी भी हो चुकी है। डीएसए ब्लड वेसल्स में जाकर जांच करने में मरीज के सिर की नसों और पेट में जमने वाले थक्के को हटाने में ब्रेन की नसों से ब्लॉकेज हटाने में ज्यादा खून बहने पर लकवा मारने से रोकने में ब्रेन और पेट की एंजियोग्राफी में नसों को सिकुडऩे से रोकने में ट्यूमर की जांच में, स्त्री रोगों की जांच के लिए किया जाता है।
यह प्रक्रिया कैथ लैब में बिना चीर फाड़ के की जाती है इसमें पैर की धमनी में एक कैथेटर (एक छोटी, पतली ट्यूब) डालना और इसे मस्तिष्क में रक्त वाहिकाओं तक पहुंचाना शामिल है। कैथेटर के माध्यम से एक कंट्रास्ट डाई इंजेक्ट की जाती है और ब्लड वेस्स्लेस का एक्स-रे किया जाता है। डॉ. मदन मोहन गुप्ता, चीफ न्यूरो इंटरवेंशनलिस्ट एन.एच.बी.एच ने कहा, “मनोज भार्गव की सफल सर्जरी से हम बहुत उत्साहित हैं। हमने सभी जांच करने के बाद, विशेष रूप से उनके शूगर को ध्यान में रखते हुए ही हाई रिस्क प्रोसीजर को करने का फैसला किया और जाँच में पता चला की मरीज को ब्रेन में खून की नसों में ब्लॉकेज होने से कभी भी बड़ा स्ट्रोक हो सकता था बल्कि जान भी जा सकती थी निम्स हार्ट एंड ब्रेन हॉस्पिटल हमेशा स्वास्थ्य सेवाओं में अपनी भागीदारी के लिए तत्पर रहता है।
जयपुर | निम्स हार्ट एंड ब्रेन हॉस्पिटल के सेंटर चीफ एंड चीफ न्यूरो इंटरवेंशनलिस्ट, डॉ. मदन मोहन गुप्ता के नेतृत्व में एन.एच.बी.एच की टीम ने 57 वर्षीय मनोज भार्गव की स्टेंटिंग प्रक्रिया द्वारा विकट एंजियोप्लास्टी सफलतापूर्वक की गयी। इस सर्जरी में डिजिटल सब्ट्रैक्शन एंजियोग्राफी का उपयोग करके निम्स हार्ट एंड ब्रेन डॉक्टर्स टीम ने मरीज के मस्तिष्क की ब्लाक हुई रक्त वाहिका की सटीक पहचान की। मनोज भार्गव को उनकी दाहिनी इंटरनल कैरोटिड धमनी (मस्तिष्क रक्त वाहिकाओं) के 80% सिकुडन के कारण बार-बार होने वाले ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक (टीआईए) के लिए एन.एच.बी.एच में भर्ती कराया गया था।
डिजिटल सबट्रैक्शन एंजियोग्राफी सेरेब्रल एंजियोग्राफी सहित डायग्नोस्टिक इमेजिंग ने तीन धमनियों में पूरी तरह से ब्लॉकिंग दिखाई। जिसमे ब्रेन की दो धमनियां पूरी तरह ब्लाक हो चुकी हैं और एक धमनी 80 % ब्लाक थी जिसकी वजह से मरीज को बार बार स्ट्रोक आते थे। इससे पहले मरीज की धमनी की समस्याओं के कारण हार्ट की बाईपास सर्जरी भी हो चुकी है। डीएसए ब्लड वेसल्स में जाकर जांच करने में मरीज के सिर की नसों और पेट में जमने वाले थक्के को हटाने में ब्रेन की नसों से ब्लॉकेज हटाने में ज्यादा खून बहने पर लकवा मारने से रोकने में ब्रेन और पेट की एंजियोग्राफी में नसों को सिकुडऩे से रोकने में ट्यूमर की जांच में, स्त्री रोगों की जांच के लिए किया जाता है।
यह प्रक्रिया कैथ लैब में बिना चीर फाड़ के की जाती है इसमें पैर की धमनी में एक कैथेटर (एक छोटी, पतली ट्यूब) डालना और इसे मस्तिष्क में रक्त वाहिकाओं तक पहुंचाना शामिल है। कैथेटर के माध्यम से एक कंट्रास्ट डाई इंजेक्ट की जाती है और ब्लड वेस्स्लेस का एक्स-रे किया जाता है। डॉ. मदन मोहन गुप्ता, चीफ न्यूरो इंटरवेंशनलिस्ट एन.एच.बी.एच ने कहा, “मनोज भार्गव की सफल सर्जरी से हम बहुत उत्साहित हैं। हमने सभी जांच करने के बाद, विशेष रूप से उनके शूगर को ध्यान में रखते हुए ही हाई रिस्क प्रोसीजर को करने का फैसला किया और जाँच में पता चला की मरीज को ब्रेन में खून की नसों में ब्लॉकेज होने से कभी भी बड़ा स्ट्रोक हो सकता था बल्कि जान भी जा सकती थी निम्स हार्ट एंड ब्रेन हॉस्पिटल हमेशा स्वास्थ्य सेवाओं में अपनी भागीदारी के लिए तत्पर रहता है।
मरीज को अस्पताल द्वारा रेगुलर मोनिटरिंग कर उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया है और वो अगले सप्ताह से कही भी ट्रेवल कर सकते हैं, जिसके लिए उन्हें अस्पताल द्वारा स्वीकृति दे दी गयी है। हाई रिस्क सफल सर्जरी के बाद मनोज भार्गव ने डॉ. मदन मोहन गुप्ता और उनकी टीम को धन्यवाद देते हुए आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा,मैं सर्जरी से बहुत संतुष्ट हूं। अब मैं बिना किसी जटिलता के यात्रा कर सकता हूं। डॉक्टरों ने मेरे लिए समस्या को सरल बना दिया और यहां की टीम वास्तव में विशेषज्ञ है।
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