दिल्ली पुलिस द्वारा विभिन्न स्थानों पर तीनो आपराधिक क़ानूनों के सम्बंध में जागरूकता कार्यक्रम
० संवाददाता द्वारा ०
नई दिल्ली/ सामाजिक जिम्मेदारी के एक हिस्से के तौर पर सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड व सिंघानिया एंड कंपनी के पार्टनर एडवोकेट असलम अहमद ने दिल्ली पुलिस द्वारा, नए लागू किए गए आपराधिक कानूनों के सम्बंध में पुलिस व पब्लिक के लिए आयोजित जागरूकता कार्यक्रमों में भाग लेने आये लोगों को ख़िताब किया। 1 जुलाई से पूरे भारतवर्ष में लागू किये गए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (सीआरपीसी 1973 की जगह), भारतीय न्याय संहिता 2023 (आईपीसी 1860 की जगह) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 (आईईए 1872 की जगह) के बारे में जागरूकता के लिए आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला में भाग लिया।
नई दिल्ली/ सामाजिक जिम्मेदारी के एक हिस्से के तौर पर सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड व सिंघानिया एंड कंपनी के पार्टनर एडवोकेट असलम अहमद ने दिल्ली पुलिस द्वारा, नए लागू किए गए आपराधिक कानूनों के सम्बंध में पुलिस व पब्लिक के लिए आयोजित जागरूकता कार्यक्रमों में भाग लेने आये लोगों को ख़िताब किया। 1 जुलाई से पूरे भारतवर्ष में लागू किये गए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (सीआरपीसी 1973 की जगह), भारतीय न्याय संहिता 2023 (आईपीसी 1860 की जगह) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 (आईईए 1872 की जगह) के बारे में जागरूकता के लिए आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला में भाग लिया।
कार्यक्रम में दिल्ली के विभिन्न रेज़िडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों के सदस्यों, स्कूली छात्रों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और दिल्ली पुलिस के अधिकारियों द्वारा भाग लिया गया। न्यू अशोक नगर और गाजीपुर के पुलिस स्टेशनों द्वारा इस विषय पर लोगों को जागरूक करने के लिए असलम अहमद को आमंत्रित किया गया था। असलम ने कई सकारात्मक बदलावों के बारे में बताया। जिसमे खासतौर से प्रक्रियात्मक रूप से, 1/3 सजा भुगतने पर जमानत देने का प्रावधान है, जीरो एफआईआर, ई एफआईआर, महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान और यह सुनिश्चित करने का प्रयास कि झूठी एफआईआर को बढ़ावा न दिया जाए।
लापरवाही से गाड़ी चलाने (मृत्यु का कारण बनने) पर प्रावधान लागू नहीं है। अब घोषित अपराधियों पर भी मुकदमा चलाया जा सकता है। कबीले गौर बात यह है कि पुलिस हिरासत अवधि बढ़ा दी गई है, इसे नागरिक अधिकारों के खिलाफ माना जा सकता है और जमानत प्रावधानों को जमानत के लिए और अधिक अनुकूल बनाया जा सकता था, इसे भी नागरिक स्वतंत्रता के खिलाफ माना जा सकता है क्योंकि यह कानूनी सिद्धांत के खिलाफ है कि जब तक दोषी साबित न हो जाए, तब तक निर्दोष होता है।
कुल मिलाकर, नए कानून प्रगतिशील हैं और साक्ष्य संग्रह के कई चरणों में फोरेंसिक और वीडियोग्राफी के उपयोग के साथ आधुनिक विकास और प्रौद्योगिकी को अपनाने की दिशा में स्वागत योग्य कदम हैं। हम दिल्ली पुलिस, रयान स्कूल, आरडब्ल्यूए और वसुंधरा एन्क्लेव के संयुक्त मंच जहां कार्यक्रम आयोजित किए गए इन कानूनों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए धन्यवाद देते हैं। कानून एक महासागर है और हम सभी नए क़ानूनों को सीखते रहेंगे और पुराने कानून भी पिछली अवधि के अपराधों के लिए लागू रहेंगे। अगले कुछ वर्ष सभी के लिए नई सीख लेकर आएंगे।
लापरवाही से गाड़ी चलाने (मृत्यु का कारण बनने) पर प्रावधान लागू नहीं है। अब घोषित अपराधियों पर भी मुकदमा चलाया जा सकता है। कबीले गौर बात यह है कि पुलिस हिरासत अवधि बढ़ा दी गई है, इसे नागरिक अधिकारों के खिलाफ माना जा सकता है और जमानत प्रावधानों को जमानत के लिए और अधिक अनुकूल बनाया जा सकता था, इसे भी नागरिक स्वतंत्रता के खिलाफ माना जा सकता है क्योंकि यह कानूनी सिद्धांत के खिलाफ है कि जब तक दोषी साबित न हो जाए, तब तक निर्दोष होता है।
कुल मिलाकर, नए कानून प्रगतिशील हैं और साक्ष्य संग्रह के कई चरणों में फोरेंसिक और वीडियोग्राफी के उपयोग के साथ आधुनिक विकास और प्रौद्योगिकी को अपनाने की दिशा में स्वागत योग्य कदम हैं। हम दिल्ली पुलिस, रयान स्कूल, आरडब्ल्यूए और वसुंधरा एन्क्लेव के संयुक्त मंच जहां कार्यक्रम आयोजित किए गए इन कानूनों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए धन्यवाद देते हैं। कानून एक महासागर है और हम सभी नए क़ानूनों को सीखते रहेंगे और पुराने कानून भी पिछली अवधि के अपराधों के लिए लागू रहेंगे। अगले कुछ वर्ष सभी के लिए नई सीख लेकर आएंगे।
टिप्पणियाँ