सरस्वती प्रज्ञा सम्मान' से अलंकृत किए गए प्रो.संजय द्विवेदी
० योगेश भट्ट ०
भोपाल। शिक्षक और लेखक प्रो.संजय द्विवेदी को 'सरस्वती प्रज्ञा सम्मान -2024' से सम्मानित किया गया । उन्हें यह सम्मान भोपाल स्थित गांधी भवन में निर्दलीय प्रकाशन,जन संगठन दृष्टि की ओर से आयोजित समारोह में पद्मश्री वरिष्ठ पत्रकार विजयदत्त श्रीधर ने प्रदान किया। इस अवसर पर नव नालंदा महाविहार विश्वविद्यालय के प्रो.विजय कुमार कर्ण, गांधी भवन न्यास के सचिव दयाराम नामदेव, पत्रकार कैलाश आदमी, गांधीवादी विचारक आर के पालीवाल, प्रिंस अभिषेक अज्ञानी विशेष रूप से उपस्थित थे।
प्रो.संजय द्विवेदी भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक हैं। वे माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के प्रभारी कुलपति भी रह चुके हैं। उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण समाचार पत्रों में संपादक के रूप में काम किया है। मीडिया और राजनीतिक संदर्भों पर उनकी 35 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। सक्रिय पत्रकार,लेखक और संपादक के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनाई है।
इस अवसर पर अपने संबोधन में प्रो.द्विवेदी ने कहा हमारा मीडिया पश्चिमी मानकों पर खड़ा है, उसे भारतीय मूल्यों पर आधारित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि समाज के सब क्षेत्रों की तरह मीडिया भी औपनिवेशिक विचारों से मुक्त नहीं हो सका है। हमें संचार, संवाद की भारतीय अवधारणा पर काम करते हुए लोक-मंगल को केंद्र में रखना होगा और संचार के भारतीय माडल बनाने होंगे। इसके लिए समाधानपरक पत्रकारिता का विचार प्रासंगिक हो सकता है। कार्यक्रम का संचालन विमल भंडारी ने किया।
भोपाल। शिक्षक और लेखक प्रो.संजय द्विवेदी को 'सरस्वती प्रज्ञा सम्मान -2024' से सम्मानित किया गया । उन्हें यह सम्मान भोपाल स्थित गांधी भवन में निर्दलीय प्रकाशन,जन संगठन दृष्टि की ओर से आयोजित समारोह में पद्मश्री वरिष्ठ पत्रकार विजयदत्त श्रीधर ने प्रदान किया। इस अवसर पर नव नालंदा महाविहार विश्वविद्यालय के प्रो.विजय कुमार कर्ण, गांधी भवन न्यास के सचिव दयाराम नामदेव, पत्रकार कैलाश आदमी, गांधीवादी विचारक आर के पालीवाल, प्रिंस अभिषेक अज्ञानी विशेष रूप से उपस्थित थे।
प्रो.संजय द्विवेदी भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक हैं। वे माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के प्रभारी कुलपति भी रह चुके हैं। उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण समाचार पत्रों में संपादक के रूप में काम किया है। मीडिया और राजनीतिक संदर्भों पर उनकी 35 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। सक्रिय पत्रकार,लेखक और संपादक के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनाई है।
इस अवसर पर अपने संबोधन में प्रो.द्विवेदी ने कहा हमारा मीडिया पश्चिमी मानकों पर खड़ा है, उसे भारतीय मूल्यों पर आधारित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि समाज के सब क्षेत्रों की तरह मीडिया भी औपनिवेशिक विचारों से मुक्त नहीं हो सका है। हमें संचार, संवाद की भारतीय अवधारणा पर काम करते हुए लोक-मंगल को केंद्र में रखना होगा और संचार के भारतीय माडल बनाने होंगे। इसके लिए समाधानपरक पत्रकारिता का विचार प्रासंगिक हो सकता है। कार्यक्रम का संचालन विमल भंडारी ने किया।
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