दिल्ली के 360 गाँवों की महापंचायत जंतर मंतर पर होगी

० योगेश भट्ट ० 
नयी दिल्ली - राष्ट्रीय राजधानी के 360 गांवों के खाप नेताओं ने दिल्ली के समूचे ग्रामीण क्षेत्र से जुड़ी मांगों को लेकर 15 सितंबर को जंतर-मंतर पर महापंचायत करने का फैसला किया है। पालम 360 खाप प्रमुख चौधरी सुरेन्द्र सोलंकी की अध्यक्षता में बवाना गांव में हुई बैठक में प्रधानों ने यह फैसला लिया। 360 गांवों के नेता सोलंकी ने बताया कि गांवों के प्रतिनिधियों और प्रधानों ने पिछले साल की तुलना में अधिक प्रभावी तरीके से महापंचायत करने का फैसला किया है, ताकि शहर के ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े ग्यारह प्रमुख मुद्दों को उठाया जा सके। सोलंकी ने कहा कि पिछले साल उनकी महापंचायत के बाद सरकार और उपराज्यपाल ने तीन से चार मुद्दों पर विचार किया था,
लेकिन अभी तक बाकी मुद्दों पर कुछ नहीं किया गया है। खाप नेता ने शहर के गांवों के निवासियों और मूल निवासियों को संदेश देते हुए कहा कि वे महापंचायत में शामिल होकर आवाज उठाएं और उन ज्वलंत मुद्दों को उठाएं जो लंबे समय से शहर की ग्रामीण आबादी को प्रभावित कर रहे हैं। चौधरी सोलंकी ने कहा कि दिल्ली में ऐसा कानून लागू है जो पूरे देश में कहीं नहीं है। गांव के नेता ने दिल्ली भूमि सुधार (डीएलआर) अधिनियम में संशोधन की मांग करते हुए कहा कि यह पुराना और अप्रचलित हो चुका है। 

उन्होंने यह भी दावा किया कि शहर के गांवों की जमीन बहुत कम कीमत पर अधिग्रहित की गई है और बदले में गांवों को बुनियादी नागरिक सुविधाएं ठीक से नहीं दी गई हैं, जिससे मूल निवासी दयनीय स्थिति में रहने को मजबूर हैं। खाप प्रमुख के अनुसार, प्रमुख मांगों में भूमि का म्यूटेशन शुरू करना, मास्टर प्लान 2041 को लागू करना, धारा 74/4 के तहत गरीब किसानों को भूखंड और कृषि भूमि का आवंटन करना शामिल है, जो बहुत लंबे समय से लंबित है, जिससे भूमिहीन किसानों का जीवन प्रभावित हो रहा है।

 इन मुद्दों में दिल्ली सरकार द्वारा अधिग्रहित कृषि भूमि के बदले वैकल्पिक भूखंडों का आवंटन और शहर के गांवों में बुनियादी ढांचे के विकास की कमी के कारण कई अन्य नागरिक समस्याएं शामिल हैं, जिससे शहर का ग्रामीण क्षेत्र गंभीर संकट में फंस गया है। खाप नेताओं ने गांवों में चल रही सीलिंग को रोकने और स्वामित्व योजना के तहत मालिकाना हक देने की भी मांग की है। सोलंकी ने कहा है कि शहरीकरण के नाम पर ये गांव अब गांव नहीं रह गए हैं और विकास कार्यों से दूर हैं,

 जिससे इनकी हालत झुग्गी-झोपड़ियों जैसी हो गई है। सोलंकी ने शहर में जल निकायों की उपेक्षा का मुद्दा भी उठाया और साहिबी नदी का जिक्र करते हुए कहा कि जो नदी कभी छोटी नदी हुआ करती थी, वह अब नाले में तब्दील हो गई है और इसकी स्थिति सुधारने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है। चौधरी धारा सिंह प्रधान बवाना 52, चौधरी नरेश प्रधान लाडो सराय 96, राव त्रिभुवन सिंह प्रधान सुरेहरा 18, सुरेश शौकीन प्रधान नांगलोई 9, श्री राम यादव गुमानहेड़ा, एच के यादव झुलझुली, आजाद शौकीन मंगोलपुर

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