वरिष्ठ पत्रकार उमेश उपाध्याय नहीं रहे
० योगेश भट्ट ०
भोपाल, एक अनुभवी पत्रकार व कम्युनिकेटर के रूप में उमेश ने मीडिया की हर विधा में काम किया। टीवी पत्रकारिता से प्रारंभ कर वे आनलाइन माध्यम और कारपोरेट कम्युनिकेशन के भी सिद्ध हस्ताक्षर बने। उन्होंने एक ग्राउंड रिपोर्टर से एक अनुभवी संपादक तक का सफर तय किया। उपाध्याय ने प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया', 'ऑल इंडिया रेडियो', 'डीडी न्यूज', 'नेटवर्क18' और 'जी न्यूज' सहित कई अन्य न्यूज नेटवर्क के साथ काम किया। जेएनयू, डीयू और FTII के छात्र रह चुके उमेश उपाध्याय का अंतरराष्ट्रीय संबंधों और मीडिया के प्रति उनका जुनून उनके लेखों में स्पष्ट होता है। उन्होंने कई न्यूज व टॉक शो बनाए।
भोपाल, एक अनुभवी पत्रकार व कम्युनिकेटर के रूप में उमेश ने मीडिया की हर विधा में काम किया। टीवी पत्रकारिता से प्रारंभ कर वे आनलाइन माध्यम और कारपोरेट कम्युनिकेशन के भी सिद्ध हस्ताक्षर बने। उन्होंने एक ग्राउंड रिपोर्टर से एक अनुभवी संपादक तक का सफर तय किया। उपाध्याय ने प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया', 'ऑल इंडिया रेडियो', 'डीडी न्यूज', 'नेटवर्क18' और 'जी न्यूज' सहित कई अन्य न्यूज नेटवर्क के साथ काम किया। जेएनयू, डीयू और FTII के छात्र रह चुके उमेश उपाध्याय का अंतरराष्ट्रीय संबंधों और मीडिया के प्रति उनका जुनून उनके लेखों में स्पष्ट होता है। उन्होंने कई न्यूज व टॉक शो बनाए।
भारतीय जन संचार संस्थान के पूर्व महानिदेशक प्रो.संजय द्विवेदी ने वरिष्ठ पत्रकार उमेश उपाध्याय के असामयिक निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि उपाध्याय के निधन से हिन्दी मीडिया का एक सितारा अस्त हो गया। वे वैश्विक मीडिया के भारत विरोधी चेहरे को उजागर करने वाले साहसी पत्रकार थे। उमेश उपाध्याय का एक सितंबर को निधन हो गया है। उमेश उपाध्याय के दिल्ली स्थित घर पर कुछ काम चल रहा था, इसी दौरान कुछ काम करते समय वह गिरकर घायल हो गए थे। तत्काल ही उमेश उपाध्याय को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका निधन हो गया।
हाल में आई उनकी किताब ‘वेस्टर्न मीडिया नरेटिव्स ऑन इंडिया फ्रॉम गांधी टू मोदी’ (WESTERN MEDIA NARRATIVES ON INDIA FROM GANDHI TO MODI) उनके विलक्षण अध्यवसायी और शोधकर्ता होने का प्रमाण है। ऐसे समय में जब देश वैश्विक स्तर पर नरेटिव की जंग लड़ रहा है, वैश्विक मीडिया के भारत विरोधी पाखंड को उजागर करने और उसकी समझ रखने वाले पत्रकार का निधन पीड़ादायक है।
हाल में आई उनकी किताब ‘वेस्टर्न मीडिया नरेटिव्स ऑन इंडिया फ्रॉम गांधी टू मोदी’ (WESTERN MEDIA NARRATIVES ON INDIA FROM GANDHI TO MODI) उनके विलक्षण अध्यवसायी और शोधकर्ता होने का प्रमाण है। ऐसे समय में जब देश वैश्विक स्तर पर नरेटिव की जंग लड़ रहा है, वैश्विक मीडिया के भारत विरोधी पाखंड को उजागर करने और उसकी समझ रखने वाले पत्रकार का निधन पीड़ादायक है।
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