खादी सम्मेलन : पैटर्न ऑफ असिस्टेंस बदलने से होगा रोजगार का संकट
० आशा पटेल ०
जयपुर | खादी तथा ग्रामोद्योग आयोग के खादी संस्थाओं को दी जाने वाली सहायता के पैटर्न में बदलाव करने से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का संकट पैदा हो जाएगा। जाहिर है इस बदलाव से खादी संस्थाओं को मिलने वाली कार्यशील पूंजी में भी कटौती हो जाएगी। अत: पैटर्न ऑफ असिस्टेंट में बदलाव को शीघ्रातिशीघ्र स्थगित किया जाए।यह प्रस्ताव बजाज नगर स्थित खादी संस्था संघ के कांफ्रेंस होल में नेशनल कोंफ्रेंस में खादी ग्रामोद्योग संस्था संघ और खादी मिशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित खादी प्रतिनिधियों के सम्मेलन में पारित किया गया।खादी ग्रामोद्योग आयोग के पूर्व सदस्य बसंत भाई ने कहा कि अखिल भारत चरखा संघ के शताब्दी वर्ष में खादी संस्थाओं को दी जाने वाली सहायता में बदलाव करना बिलकुल ही अनुचित है। खादी मिशन सेवा ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी इंदुभूषण गोइल ने कहा कि खादी संस्थओं द्वारा कम पूंजी में लाखों लोगों को रोजगार दिया जा रहा है। रामदास शर्मा ने कहा की इस सहायता पैटर्न में बदलाव होने पर देशभर में संचालित खादी क्षेत्र की सभी संस्थायें संकट में आ जाएगा। आयोग को इस पर शीघ्रातिशीघ्र पुनर्विचार करना चाहिए।
हरियाणा के बालिराम, पश्चिम बंगाल के नित्यानंद चौधरी, बिहार के लोकेंद्र भारतीय, उत्तरप्रदेश के राजेन्द्र चौहान, मध्यप्रदेश के रमाकांत शर्मा, भरतपुर के सीताराम , अशोक शर्मा और राजेंद्र अग्रवाल ने भी खादी क्षेत्र की समस्याओं पर अपने विचार व्यक्त किये। डॉ. पुष्पेन्द्र दुबे ने प्रस्ताव का वाचन किया। सम्मेलन में जवाहर सैठिया ने बैंक कंसोर्टियम फाइनेंस और खादी पर लागू जीएसटी के संबंध में जानकारी दी। सम्मेलन में खादी ग्रामोद्योग आयोग से खादी संस्थाओं के ऋण को माफ करने की भी मांग की गयी और जीएसटी काउंसिल से खादी क्षेत्र में जीएसटी को भी युक्तिसंगत बनाने का आग्रह किया गया।
सम्मेलन में गिरधारी, संजय गर्ग, कनु गोइल, सोहनलाल सैनी, राजेंद्र अग्रवाल, भुवनेश गौड़ ,अशोक शर्मा , हजारीलाल देवड़ा, श्रीकिशन जाट, झंवरलाल पन्नू , नरेन्द्र शर्मा , सहित देशभर की खादी संस्थाओं और खादी सेवकों सहित एक सौ दस प्रतिनिधि उपस्थित रहे । संचालन राजस्थान खादी ग्रामोद्योग संस्था संघ मंत्री अनिल कुमार शर्मा ने किया। आभार भगवती प्रसाद पारीख ने किया ।
जयपुर | खादी तथा ग्रामोद्योग आयोग के खादी संस्थाओं को दी जाने वाली सहायता के पैटर्न में बदलाव करने से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का संकट पैदा हो जाएगा। जाहिर है इस बदलाव से खादी संस्थाओं को मिलने वाली कार्यशील पूंजी में भी कटौती हो जाएगी। अत: पैटर्न ऑफ असिस्टेंट में बदलाव को शीघ्रातिशीघ्र स्थगित किया जाए।यह प्रस्ताव बजाज नगर स्थित खादी संस्था संघ के कांफ्रेंस होल में नेशनल कोंफ्रेंस में खादी ग्रामोद्योग संस्था संघ और खादी मिशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित खादी प्रतिनिधियों के सम्मेलन में पारित किया गया।खादी ग्रामोद्योग आयोग के पूर्व सदस्य बसंत भाई ने कहा कि अखिल भारत चरखा संघ के शताब्दी वर्ष में खादी संस्थाओं को दी जाने वाली सहायता में बदलाव करना बिलकुल ही अनुचित है। खादी मिशन सेवा ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी इंदुभूषण गोइल ने कहा कि खादी संस्थओं द्वारा कम पूंजी में लाखों लोगों को रोजगार दिया जा रहा है। रामदास शर्मा ने कहा की इस सहायता पैटर्न में बदलाव होने पर देशभर में संचालित खादी क्षेत्र की सभी संस्थायें संकट में आ जाएगा। आयोग को इस पर शीघ्रातिशीघ्र पुनर्विचार करना चाहिए।
हरियाणा के बालिराम, पश्चिम बंगाल के नित्यानंद चौधरी, बिहार के लोकेंद्र भारतीय, उत्तरप्रदेश के राजेन्द्र चौहान, मध्यप्रदेश के रमाकांत शर्मा, भरतपुर के सीताराम , अशोक शर्मा और राजेंद्र अग्रवाल ने भी खादी क्षेत्र की समस्याओं पर अपने विचार व्यक्त किये। डॉ. पुष्पेन्द्र दुबे ने प्रस्ताव का वाचन किया। सम्मेलन में जवाहर सैठिया ने बैंक कंसोर्टियम फाइनेंस और खादी पर लागू जीएसटी के संबंध में जानकारी दी। सम्मेलन में खादी ग्रामोद्योग आयोग से खादी संस्थाओं के ऋण को माफ करने की भी मांग की गयी और जीएसटी काउंसिल से खादी क्षेत्र में जीएसटी को भी युक्तिसंगत बनाने का आग्रह किया गया।
सम्मेलन में गिरधारी, संजय गर्ग, कनु गोइल, सोहनलाल सैनी, राजेंद्र अग्रवाल, भुवनेश गौड़ ,अशोक शर्मा , हजारीलाल देवड़ा, श्रीकिशन जाट, झंवरलाल पन्नू , नरेन्द्र शर्मा , सहित देशभर की खादी संस्थाओं और खादी सेवकों सहित एक सौ दस प्रतिनिधि उपस्थित रहे । संचालन राजस्थान खादी ग्रामोद्योग संस्था संघ मंत्री अनिल कुमार शर्मा ने किया। आभार भगवती प्रसाद पारीख ने किया ।
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