गांधी की अहिंसा वादी विचारधारा से ही देश प्रगति करेगा
मोहनदास करमचंद गांधी जी की अहिंसावादी विचारधारा और उनके आदर्शों पर चलकर ही हमारा देश भारत प्रगति कर सकता है गांधी जी ने अपनी सूझबूझ , उच्च विचारों वाली शिक्षा, उपवास, यात्राओं, और अहिंसावादी आंदोलनों, आत्म शक्ति, दृढ़ निश्चय के बलबूते अंग्रेज़ों से पहले अफ्रीका में और फिर भारत में बिना किसी हिंसा के भारत छोड़ो आंदोलन किया और विजय पाई उनकी विचारधारा से उनके जीवन दर्शन से हमें सीखना चाहिए किस तरीके से हम संयम और दृढ़ निश्चय के बलबूते सत्य के मार्ग पर चलते हुए कामयाबी हासिल कर सकते हैं ।
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जो कि राजस्थान का था जिसमें एक भगवाधारी हिंदु युवक एक मुस्लिम सब्ज़ी वाले से उस निम्न स्तर की भाषा प्रयोग कर रहा था जो कि दुनिया के किसी भी स्कूल में नहीं पढाई जाती इसका मतलब यह है कि ये और इस जेसे लाखों नौजवान व्हाट्स अप यूनिवर्सिटी के प्रोडक्ट्स हैं जहां युवाओं को धार्मिक उन्माद की शिक्षा दी जाती है।
वहीं दूसरी तरफ़ वक़्फ़ बोर्ड के नाम पर कुछ मुस्लिम संगठनों ने हाय तौबा मचा रखी है जबकि इस बात पर भी ध्यान देने की ज़रूरत है कि मुसलमानों इन संपत्तियों की देखभाल अब तक कौन लोग कर रहे थे ? कुछ मौलानाओं की मिली भगत से ही उनकी आंखों के सामने भ्रष्ट मुस्लिम ज़िम्मेदारों और चेयरमैन के रूप में बैठे नेताओं ने वक्फ की ज़मीनों को बेच बेच कर आपनी हवेलियां बना लीं इनमें कुछ वे मौलाना भी हैं जिन्होंने वक़्फ़ की संपत्तियों पर अपना कब्ज़ा जमा रखा है और हर वर्ष ज़कात, फितरा, सदक़ा मदरसे के नाम पर लाखों रुपए का चंदा हड़प कर के अपनी कोठियां बना लीं और आलीशान घरों में रह कर कारों में घूमते हैं और लड़ने के लिए अवाम को आगे कर देते हैं।
मौजूदा दौर में गांधी जी की विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाने और उसपर अमल करने की बहुत आवश्यकता है , जैसा कि आजकल देखने में आ रहा है भारत के विभिन्न राज्यों में हिंसात्मक नारेबाजी , उग्र धार्मिक विचारधारा और बुलडोज़र की राजनीति परवान चढ़ती जा रही है, कहीं फल वालों से नाम लिखवाने की मनमर्ज़ी चलाई जा रही है तो तो कहीं लोगों की हंडिया में तांक झांक कर उन्हें मौलिक अधिकारों तक से वंचित किया जा रहा है, ये कैसी मानसिकता है कि बिना किसी अदालत के फैसले के निर्दोष लोगों के घरों पर बुलडोजर चला ज़मींदोज़ किया जा रहा है! मानो न्यायमूर्ति के गरिमामय पद पर अब किसी माननीय उच्चस्तरीय व्यक्ति के स्थान अब न्यायमूर्ति बुलडोज़र की नियुक्ति सरकार की हठधर्मी द्वारा की गई हो।
ऐसा लगता है कहीं ना कहीं हमारे देश में गांधी जी की अहिंसावादी विचारधारा के विपरीत गोडसेवादी विचारधारा उत्पन्न होती जा रही है , मानो हमारे देश की जनसंख्या का एक बड़ा भाग बेरोज़गार युवाओं के रुप में अज्ञानता के अंधेरे में धार्मिक उन्माद के इस भाड़ में झुक जाएगा और वहां से लौट पाना मुश्किल होगा, इसलिए हमें चाहिए कि हम देश में किसी भी धार्मिक उन्माद को न पनपने दें,हम मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के धर्म का पालन करें न कि अपनी तानाशाही से बनाए नियमों को बलपूर्वक लागू करवाएं। हम हज़रत मुहम्मद साहब को जीवनी पढ़ें और उनके आदर्शों को अपनाएं।
एकता, सद्भाव, आपसी भाईचारा , सामाजिक सामंजस्य स्थापित कर एक दूसरे की धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करें सुख-दुख में शामिल रहें , देश को आर्थिक , शैक्षिक, सामाजिक मज़बूती प्रदान करें । ग़रीबी, भुखमरी, बेरोज़गारी न रहे इसके बारे में चिंतन मनन व मंथन करें, हठधर्मी और अज्ञानता के अभिशाप से स्वयं बाहर निकलें व मित्रों को निकलने में निःसंकोच अपना सहयोग करें। तब ही हम सही मायने में गांधी जी की जयंती पर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर पाने में सफल होंगे।
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जो कि राजस्थान का था जिसमें एक भगवाधारी हिंदु युवक एक मुस्लिम सब्ज़ी वाले से उस निम्न स्तर की भाषा प्रयोग कर रहा था जो कि दुनिया के किसी भी स्कूल में नहीं पढाई जाती इसका मतलब यह है कि ये और इस जेसे लाखों नौजवान व्हाट्स अप यूनिवर्सिटी के प्रोडक्ट्स हैं जहां युवाओं को धार्मिक उन्माद की शिक्षा दी जाती है।
वहीं दूसरी तरफ़ वक़्फ़ बोर्ड के नाम पर कुछ मुस्लिम संगठनों ने हाय तौबा मचा रखी है जबकि इस बात पर भी ध्यान देने की ज़रूरत है कि मुसलमानों इन संपत्तियों की देखभाल अब तक कौन लोग कर रहे थे ? कुछ मौलानाओं की मिली भगत से ही उनकी आंखों के सामने भ्रष्ट मुस्लिम ज़िम्मेदारों और चेयरमैन के रूप में बैठे नेताओं ने वक्फ की ज़मीनों को बेच बेच कर आपनी हवेलियां बना लीं इनमें कुछ वे मौलाना भी हैं जिन्होंने वक़्फ़ की संपत्तियों पर अपना कब्ज़ा जमा रखा है और हर वर्ष ज़कात, फितरा, सदक़ा मदरसे के नाम पर लाखों रुपए का चंदा हड़प कर के अपनी कोठियां बना लीं और आलीशान घरों में रह कर कारों में घूमते हैं और लड़ने के लिए अवाम को आगे कर देते हैं।
मौजूदा दौर में गांधी जी की विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाने और उसपर अमल करने की बहुत आवश्यकता है , जैसा कि आजकल देखने में आ रहा है भारत के विभिन्न राज्यों में हिंसात्मक नारेबाजी , उग्र धार्मिक विचारधारा और बुलडोज़र की राजनीति परवान चढ़ती जा रही है, कहीं फल वालों से नाम लिखवाने की मनमर्ज़ी चलाई जा रही है तो तो कहीं लोगों की हंडिया में तांक झांक कर उन्हें मौलिक अधिकारों तक से वंचित किया जा रहा है, ये कैसी मानसिकता है कि बिना किसी अदालत के फैसले के निर्दोष लोगों के घरों पर बुलडोजर चला ज़मींदोज़ किया जा रहा है! मानो न्यायमूर्ति के गरिमामय पद पर अब किसी माननीय उच्चस्तरीय व्यक्ति के स्थान अब न्यायमूर्ति बुलडोज़र की नियुक्ति सरकार की हठधर्मी द्वारा की गई हो।
ऐसा लगता है कहीं ना कहीं हमारे देश में गांधी जी की अहिंसावादी विचारधारा के विपरीत गोडसेवादी विचारधारा उत्पन्न होती जा रही है , मानो हमारे देश की जनसंख्या का एक बड़ा भाग बेरोज़गार युवाओं के रुप में अज्ञानता के अंधेरे में धार्मिक उन्माद के इस भाड़ में झुक जाएगा और वहां से लौट पाना मुश्किल होगा, इसलिए हमें चाहिए कि हम देश में किसी भी धार्मिक उन्माद को न पनपने दें,हम मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के धर्म का पालन करें न कि अपनी तानाशाही से बनाए नियमों को बलपूर्वक लागू करवाएं। हम हज़रत मुहम्मद साहब को जीवनी पढ़ें और उनके आदर्शों को अपनाएं।
एकता, सद्भाव, आपसी भाईचारा , सामाजिक सामंजस्य स्थापित कर एक दूसरे की धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करें सुख-दुख में शामिल रहें , देश को आर्थिक , शैक्षिक, सामाजिक मज़बूती प्रदान करें । ग़रीबी, भुखमरी, बेरोज़गारी न रहे इसके बारे में चिंतन मनन व मंथन करें, हठधर्मी और अज्ञानता के अभिशाप से स्वयं बाहर निकलें व मित्रों को निकलने में निःसंकोच अपना सहयोग करें। तब ही हम सही मायने में गांधी जी की जयंती पर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर पाने में सफल होंगे।
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