शिवाजी महाराज,शाहू महाराज जैसे लोग नहीं होते तो यह संविधान नहीं होता : राहुल गांधी
० आनंद चौधरी ०
कोल्हापुर ,महाराष्ट्र - राहुल गांधी ने विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज हम यहां यह मूर्ति का इनॉगरेशन कर रहे हैं शिवाजी महाराज की। यह सिर्फ एक मूर्ति नहीं है, मूर्ति तब बनाई जाती है, जब हम किसी व्यक्ति की विचारधारा को, उनके कर्मों का दिल से समर्थन करते हैं। हम यहां आए या कोई यहां आए और मूर्ति इनॉग्रेट कर दी और जो इन्होंने पूरी जिंदगी, जिसके लिए वह लड़े, अगर हम उसके लिए लड़े ना, तो मूर्ति का कोई मतलब ही नहीं। तो जब हम इनकी मूर्ति का इनॉगरेशन करते हैं, तो हम यह भी वचन लेते हैं कि जिन चीजों के लिए यह लड़े थे, जिस तरीके से यह जिए थे... उनके जितना नहीं, शायद हम ना कर पाएं, मगर थोड़ा सा तो हमें भी करना चाहिए।
शिवाजी महाराज ने देश को, दुनिया को क्या मैसेज दिया था - सबसे पहले उन्होंने कहा था - कि देश सबका है, सबको लेकर चलना है, अन्याय नहीं करना है। तो अगर हम सोचें कि इनकी सोच का जो आज कौन सा चिन्ह है - तो यह है (संविधान को दिखाकर कहा) सीधा सीधा सा कनेक्शन है। जो शिवाजी महाराज ने कहा, 21वी सदी का जो उसका ट्रांसलेशन है,वह यह (संविधान) है। इसमें आपको एक ऐसी चीज नहीं मिलेगी, जिसके लिए वह नहीं लड़े। पूरी जिंदगी जब वह लड़े, उन्होंने जो भी कर्म किए, उन्हीं की सोच से यह कांस्टिट्यूशन आया। इसको हम दूसरे तरीके से भी कह सकते हैं- अगर शिवाजी महाराज जैसे लोग नहीं होते, शाहू जी महाराज जैसे लोग नहीं होते, तो यह (संविधान) नहीं होता, मतलब सीधा कनेक्शन है।
अब हिंदुस्तान में दो विचारधाराओं की लड़ाई है - एक विचारधारा, जो इसकी (संविधान) रक्षा करती है, समानता की बात करती है, एकता की बात करती और वह शिवाजी महाराज की विचारधारा है और दूसरी विचारधारा - जो कॉन्स्टिट्यूशन को, संविधान को खत्म करने में लगी हुई है। सुबह उठते हैं और प्लानिंग करते हैं कि शिवाजी महाराज की जो विचारधारा का कॉन्स्टिट्यूशन है, उसे खत्म कैसे किया जाए। हिंदुस्तान की संस्थाओं पर आक्रमण करते हैं, लोगों को डराते हैं, धमकाते हैं और फिर जाकर शिवाजी महाराज की मूर्ति के सामने मत्था टेकते हैं। इसका कोई मतलब ही नहीं है, अगर आप शिवाजी महाराज की बात करो, अगर आप उनकी मूर्ति के सामने जाकर हाथ जोड़ो, तो फिर आपको इसकी रक्षा करनी ही चाहिए।
आप देखिए, विचारधारा बहुत पुरानी है, इनके समय भी यही लड़ाई चल रही थी। जब इनका राज्याभिषेक होना था, उसी विचारधारा ने राज्याभिषेक नहीं होने दिया। यह कोई नई बात नहीं... यह मत सोचिए कि यह नई लड़ाई चल रही है, कांस्टिट्यूशन की लड़ाई नई नहीं है, यह हजारों साल पुरानी लड़ाई है और वही विचारधारा की लड़ाई है, जिससे शिवाजी महाराज लड़े थे, उसी के खिलाफ, उसी विचारधारा के साथ आज कांग्रेस पार्टी लड़ रही है और आपने देखा, नीयत दिख जाती है, नीयत को छुपाया नहीं जा सकता है।
उन्होंने शिवाजी महाराज की मूर्ति बनाई और कुछ ही दिन बाद वह मूर्ति टूट कर गिर गई। नीयत गलत थी, मूर्ति ने उनको मैसेज दिया कि आप अगर शिवाजी महाराज की मूर्ति बनाओगे, तो फिर शिवाजी महाराज की विचारधारा की रक्षा करनी ही पड़ेगी। इसीलिए वो मूर्ति गिरी है, क्योंकि उनकी विचारधारा गलत है। वह सामने जाकर हाथ जोड़ते हैं और फिर 24 घंटा शिवाजी महाराज की सोच के खिलाफ काम करते हैं।
इनका राज्याभिषेक नहीं होने दिया, राम मंदिर के इनॉगरेशन में, पार्लियामेंट के इनॉगरेशन में आदिवासी राष्ट्रपति को जाने नहीं दिया। सोच एक ही है, सोच में कोई फर्क नहीं आया, विचारधारा एक ही है और लड़ाई एक ही है। यह राजनीतिक लड़ाई नहीं है, यह विचारधारा की लड़ाई है, यह कॉन्स्टिट्यूशन, संविधान की लड़ाई है और इसके अंदर, संविधान के अंदर शिवाजी महाराज हैं। उनकी आवाज है, उनकी सोच, उनकी विचारधारा है।
तो अगली बार आपके पास अगर कोई आए और आपसे कहे कि मैं शिवाजी महाराज को मानता हूं। तो आप उससे पूछिए - आप मूर्ति के सामने हाथ जोड़ते हो, मगर क्या आप हिंदुस्तान के संविधान को बचाते हो, क्या आप हिंदुस्तान की संस्थाओं को बचाते हो, क्या आप हिंदुस्तान में गरीबों की रक्षा करते हो, क्योंकि अगर आप नहीं करते हो, तो फिर मूर्ति के सामने जाकर हाथ जोड़ने का कोई मतलब नहीं। दिल में बात होनी चाहिए, दिल के अंदर सोच होनी चाहिए, बाहर कोई भी कुछ दिखा दे, उसका कोई मतलब नहीं होता, महाराष्ट्र के लोग इस बात को बहुत अच्छी तरह समझते हैं।
यह जो विचारधारा है, मैंने कहा - कि शिवाजी महाराज की विचारधारा है। मगर शिवाजी महाराज को यह विचारधारा कहां से आई - महाराष्ट्र से आई, महाराष्ट्र की धरती से आई, महाराष्ट्र की जनता से आई और यह आपके खून में है। जब भी मैं महाराष्ट्र आता हूं, मुझे यह दिखाई देती है। आपके चेहरों में, आपके कर्मों में, आपके दिल में हर रोज शिवाजी महाराज दिखाई देते हैं, उनकी सोच दिखाई देती है और आप लड़ते हो इसके लिए।
कांग्रेस के जो कार्यकर्ता हैं और जो हमारे विचारधारा के लोग हैं, उनसे मैं कहना चाहता हूं – आपका काम शिवाजी महाराज की विचारधारा की रक्षा करने का है, आपका काम संविधान को बचाने का है, इसकी रक्षा करने का है, क्योंकि जब आप इसकी रक्षा (संविधान की रक्षा) करते हैं, तो आप शिवाजी महाराज की याद का आदर करते हैं, रिस्पेक्ट करते हैं।
राम मंदिर के इनॉगरेशन में, पार्लियामेंट के इनॉगरेशन में आदिवासी राष्ट्रपति को जाने नहीं दिया। सोच एक ही है, सोच में कोई फर्क नहीं आया, विचारधारा एक ही है और लड़ाई एक ही है। यह राजनीतिक लड़ाई नहीं है, यह विचारधारा की लड़ाई है, यह कॉन्स्टिट्यूशन, संविधान की लड़ाई है और इसके अंदर, संविधान के अंदर शिवाजी महाराज हैं। उनकी आवाज है, उनकी सोच, उनकी विचारधारा है।
कोल्हापुर ,महाराष्ट्र - राहुल गांधी ने विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज हम यहां यह मूर्ति का इनॉगरेशन कर रहे हैं शिवाजी महाराज की। यह सिर्फ एक मूर्ति नहीं है, मूर्ति तब बनाई जाती है, जब हम किसी व्यक्ति की विचारधारा को, उनके कर्मों का दिल से समर्थन करते हैं। हम यहां आए या कोई यहां आए और मूर्ति इनॉग्रेट कर दी और जो इन्होंने पूरी जिंदगी, जिसके लिए वह लड़े, अगर हम उसके लिए लड़े ना, तो मूर्ति का कोई मतलब ही नहीं। तो जब हम इनकी मूर्ति का इनॉगरेशन करते हैं, तो हम यह भी वचन लेते हैं कि जिन चीजों के लिए यह लड़े थे, जिस तरीके से यह जिए थे... उनके जितना नहीं, शायद हम ना कर पाएं, मगर थोड़ा सा तो हमें भी करना चाहिए।
शिवाजी महाराज ने देश को, दुनिया को क्या मैसेज दिया था - सबसे पहले उन्होंने कहा था - कि देश सबका है, सबको लेकर चलना है, अन्याय नहीं करना है। तो अगर हम सोचें कि इनकी सोच का जो आज कौन सा चिन्ह है - तो यह है (संविधान को दिखाकर कहा) सीधा सीधा सा कनेक्शन है। जो शिवाजी महाराज ने कहा, 21वी सदी का जो उसका ट्रांसलेशन है,वह यह (संविधान) है। इसमें आपको एक ऐसी चीज नहीं मिलेगी, जिसके लिए वह नहीं लड़े। पूरी जिंदगी जब वह लड़े, उन्होंने जो भी कर्म किए, उन्हीं की सोच से यह कांस्टिट्यूशन आया। इसको हम दूसरे तरीके से भी कह सकते हैं- अगर शिवाजी महाराज जैसे लोग नहीं होते, शाहू जी महाराज जैसे लोग नहीं होते, तो यह (संविधान) नहीं होता, मतलब सीधा कनेक्शन है।
अब हिंदुस्तान में दो विचारधाराओं की लड़ाई है - एक विचारधारा, जो इसकी (संविधान) रक्षा करती है, समानता की बात करती है, एकता की बात करती और वह शिवाजी महाराज की विचारधारा है और दूसरी विचारधारा - जो कॉन्स्टिट्यूशन को, संविधान को खत्म करने में लगी हुई है। सुबह उठते हैं और प्लानिंग करते हैं कि शिवाजी महाराज की जो विचारधारा का कॉन्स्टिट्यूशन है, उसे खत्म कैसे किया जाए। हिंदुस्तान की संस्थाओं पर आक्रमण करते हैं, लोगों को डराते हैं, धमकाते हैं और फिर जाकर शिवाजी महाराज की मूर्ति के सामने मत्था टेकते हैं। इसका कोई मतलब ही नहीं है, अगर आप शिवाजी महाराज की बात करो, अगर आप उनकी मूर्ति के सामने जाकर हाथ जोड़ो, तो फिर आपको इसकी रक्षा करनी ही चाहिए।
आप देखिए, विचारधारा बहुत पुरानी है, इनके समय भी यही लड़ाई चल रही थी। जब इनका राज्याभिषेक होना था, उसी विचारधारा ने राज्याभिषेक नहीं होने दिया। यह कोई नई बात नहीं... यह मत सोचिए कि यह नई लड़ाई चल रही है, कांस्टिट्यूशन की लड़ाई नई नहीं है, यह हजारों साल पुरानी लड़ाई है और वही विचारधारा की लड़ाई है, जिससे शिवाजी महाराज लड़े थे, उसी के खिलाफ, उसी विचारधारा के साथ आज कांग्रेस पार्टी लड़ रही है और आपने देखा, नीयत दिख जाती है, नीयत को छुपाया नहीं जा सकता है।
उन्होंने शिवाजी महाराज की मूर्ति बनाई और कुछ ही दिन बाद वह मूर्ति टूट कर गिर गई। नीयत गलत थी, मूर्ति ने उनको मैसेज दिया कि आप अगर शिवाजी महाराज की मूर्ति बनाओगे, तो फिर शिवाजी महाराज की विचारधारा की रक्षा करनी ही पड़ेगी। इसीलिए वो मूर्ति गिरी है, क्योंकि उनकी विचारधारा गलत है। वह सामने जाकर हाथ जोड़ते हैं और फिर 24 घंटा शिवाजी महाराज की सोच के खिलाफ काम करते हैं।
इनका राज्याभिषेक नहीं होने दिया, राम मंदिर के इनॉगरेशन में, पार्लियामेंट के इनॉगरेशन में आदिवासी राष्ट्रपति को जाने नहीं दिया। सोच एक ही है, सोच में कोई फर्क नहीं आया, विचारधारा एक ही है और लड़ाई एक ही है। यह राजनीतिक लड़ाई नहीं है, यह विचारधारा की लड़ाई है, यह कॉन्स्टिट्यूशन, संविधान की लड़ाई है और इसके अंदर, संविधान के अंदर शिवाजी महाराज हैं। उनकी आवाज है, उनकी सोच, उनकी विचारधारा है।
तो अगली बार आपके पास अगर कोई आए और आपसे कहे कि मैं शिवाजी महाराज को मानता हूं। तो आप उससे पूछिए - आप मूर्ति के सामने हाथ जोड़ते हो, मगर क्या आप हिंदुस्तान के संविधान को बचाते हो, क्या आप हिंदुस्तान की संस्थाओं को बचाते हो, क्या आप हिंदुस्तान में गरीबों की रक्षा करते हो, क्योंकि अगर आप नहीं करते हो, तो फिर मूर्ति के सामने जाकर हाथ जोड़ने का कोई मतलब नहीं। दिल में बात होनी चाहिए, दिल के अंदर सोच होनी चाहिए, बाहर कोई भी कुछ दिखा दे, उसका कोई मतलब नहीं होता, महाराष्ट्र के लोग इस बात को बहुत अच्छी तरह समझते हैं।
यह जो विचारधारा है, मैंने कहा - कि शिवाजी महाराज की विचारधारा है। मगर शिवाजी महाराज को यह विचारधारा कहां से आई - महाराष्ट्र से आई, महाराष्ट्र की धरती से आई, महाराष्ट्र की जनता से आई और यह आपके खून में है। जब भी मैं महाराष्ट्र आता हूं, मुझे यह दिखाई देती है। आपके चेहरों में, आपके कर्मों में, आपके दिल में हर रोज शिवाजी महाराज दिखाई देते हैं, उनकी सोच दिखाई देती है और आप लड़ते हो इसके लिए।
कांग्रेस के जो कार्यकर्ता हैं और जो हमारे विचारधारा के लोग हैं, उनसे मैं कहना चाहता हूं – आपका काम शिवाजी महाराज की विचारधारा की रक्षा करने का है, आपका काम संविधान को बचाने का है, इसकी रक्षा करने का है, क्योंकि जब आप इसकी रक्षा (संविधान की रक्षा) करते हैं, तो आप शिवाजी महाराज की याद का आदर करते हैं, रिस्पेक्ट करते हैं।
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