बिन तेरे मेरे प्रभु, नहीं मेरी पहचान
० सुषमा भंडारी ०
है जिसमे तेरी रजा, उसमे मेरी शान
बिन तेरे मेरे प्रभु, नहीं मेरी पहचान.....
हिय हर्षित हो कह रहा, आओ बिराजो नाथ
तेरे ही आशीष से जीवन मे प्रभात....
लिप्त हुआ संसार में, मोह माया का फेर
सब मालिक के हाथ में, हम माटी का ढेर...
पूर्ण समर्पण हो जहाँ, वहीं आस- विश्वास
जिस दिल मे राघव बसे, चहुँदिस है उल्लास....
राघव तेरा द्वार हो, जब भी खोलूँ नैन
तेरा सिमरन जब मिले,पाऊँ प्रभु जी चैन
मन का रावण हो स्वाह , मन में हों बस राम
जितनी हों कठिनाइयां, जाऊं सीधे धाम
बिन तेरे मेरे प्रभु, नहीं मेरी पहचान.....
हिय हर्षित हो कह रहा, आओ बिराजो नाथ
तेरे ही आशीष से जीवन मे प्रभात....
लिप्त हुआ संसार में, मोह माया का फेर
सब मालिक के हाथ में, हम माटी का ढेर...
पूर्ण समर्पण हो जहाँ, वहीं आस- विश्वास
जिस दिल मे राघव बसे, चहुँदिस है उल्लास....
राघव तेरा द्वार हो, जब भी खोलूँ नैन
तेरा सिमरन जब मिले,पाऊँ प्रभु जी चैन
मन का रावण हो स्वाह , मन में हों बस राम
जितनी हों कठिनाइयां, जाऊं सीधे धाम
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