द्वारका श्री रामलीला सोसाइटी द्वारा रामलीला मंचन हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालु
० योगेश भट्ट ०
नयी दिल्ली : द्वारका श्री रामलीला सोसाइटी द्वारा आयोजित श्री रामलीला के दूसरे दिन का मंचन द्वारका सेक्टर 10 के डीडीए ग्राउंड में अत्यंत उत्साहपूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ। संरक्षक राजेश गहलोत के नेतृत्व में इस वर्ष की रामलीला ने संस्कृति और धार्मिक मूल्यों का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया, जिसमें हजारों दर्शक भावविभोर होकर शामिल हुए।दूसरे दिन की रामलीला का आरंभ रावण और नंदी के बीच भीषण युद्ध से हुआ, जिसके बाद भगवान शिव ने प्रसन्न होकर रावण को चंद्रहास नामक दिव्य तलवार भेंट की। इस तलवार को प्राप्त कर रावण और भी अहंकारी हो गया, जिसने उसकी शक्तियों और उसकी अहंकार को और बढ़ा दिया। इस दृश्य ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।इसके बाद रावण द्वारा ऋषि-मुनियों पर अत्याचार और धरती पर किए गए आतंक का मंचन किया गया, जिससे दर्शकों में आक्रोश और उत्सुकता की भावना उत्पन्न हुई। धरती की प्रार्थना पर भगवान विष्णु ने अवतार लेकर रावण के अंत का वचन दिया, जिससे राम के आगमन की पृष्ठभूमि तैयार हुई और दर्शक इस दिव्य कथा से गहराई से जुड़ गए।श्री राम के जन्म की भूमिका अयोध्या के राजा दशरथ द्वारा किए गए पुत्रेष्टि यज्ञ के दृश्य में दर्शाई गई, जिसने भगवान राम के आगमन की प्रतीक्षा को और भी बढ़ा दिया। इस महत्वपूर्ण दृश्य ने दर्शकों को धार्मिक आस्था से भर दिया और मंचन का आनंद कई गुना बढ़ा दिया।
मंचन का एक और प्रमुख आकर्षण ताड़का वध का दृश्य रहा। इस दृश्य में भगवान राम ने ऋषि विश्वामित्र के मार्गदर्शन में राक्षसी ताड़का का वध किया, जिसने वन क्षेत्र में अत्याचार फैलाया हुआ था। राम का यह वीरतापूर्ण कार्य बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक बनकर दर्शकों के दिलों में गूंज उठा। ताड़का वध के इस दृश्य ने दर्शकों को उत्साहित और रोमांचित कर दिया, और राम की वीरता की गूंज पूरे कार्यक्रम में सुनाई दी।
द्वारका श्री रामलीला सोसाइटी की यह रामलीला केवल धार्मिक मंचन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं की एक जीवंत प्रस्तुति है। हर दृश्य को इस तरह तैयार किया गया है कि दर्शक इसे गहराई से महसूस करें और भारतीय संस्कृति की जड़ों से जुड़ सकें। साथ ही, मेले में लगे झूले, दुकानें और सांस्कृतिक गतिविधियाँ सभी उम्र के लोगों के लिए एक अद्वितीय और आनंददायक अनुभव प्रदान कर रही हैं कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक राजेश गहलोत ने कहा, “हमारा उद्देश्य न केवल भगवान राम के जीवन और उनके आदर्शों को मंचित करना है, बल्कि इसे एक ऐसा अनुभव बनाना है, जिसे हर उम्र के लोग अपने दिल में संजोएं। हम हर साल इसे और भी भव्य बनाने का प्रयास करते रहेंगे।”
नयी दिल्ली : द्वारका श्री रामलीला सोसाइटी द्वारा आयोजित श्री रामलीला के दूसरे दिन का मंचन द्वारका सेक्टर 10 के डीडीए ग्राउंड में अत्यंत उत्साहपूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ। संरक्षक राजेश गहलोत के नेतृत्व में इस वर्ष की रामलीला ने संस्कृति और धार्मिक मूल्यों का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया, जिसमें हजारों दर्शक भावविभोर होकर शामिल हुए।दूसरे दिन की रामलीला का आरंभ रावण और नंदी के बीच भीषण युद्ध से हुआ, जिसके बाद भगवान शिव ने प्रसन्न होकर रावण को चंद्रहास नामक दिव्य तलवार भेंट की। इस तलवार को प्राप्त कर रावण और भी अहंकारी हो गया, जिसने उसकी शक्तियों और उसकी अहंकार को और बढ़ा दिया। इस दृश्य ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।इसके बाद रावण द्वारा ऋषि-मुनियों पर अत्याचार और धरती पर किए गए आतंक का मंचन किया गया, जिससे दर्शकों में आक्रोश और उत्सुकता की भावना उत्पन्न हुई। धरती की प्रार्थना पर भगवान विष्णु ने अवतार लेकर रावण के अंत का वचन दिया, जिससे राम के आगमन की पृष्ठभूमि तैयार हुई और दर्शक इस दिव्य कथा से गहराई से जुड़ गए।श्री राम के जन्म की भूमिका अयोध्या के राजा दशरथ द्वारा किए गए पुत्रेष्टि यज्ञ के दृश्य में दर्शाई गई, जिसने भगवान राम के आगमन की प्रतीक्षा को और भी बढ़ा दिया। इस महत्वपूर्ण दृश्य ने दर्शकों को धार्मिक आस्था से भर दिया और मंचन का आनंद कई गुना बढ़ा दिया।
मंचन का एक और प्रमुख आकर्षण ताड़का वध का दृश्य रहा। इस दृश्य में भगवान राम ने ऋषि विश्वामित्र के मार्गदर्शन में राक्षसी ताड़का का वध किया, जिसने वन क्षेत्र में अत्याचार फैलाया हुआ था। राम का यह वीरतापूर्ण कार्य बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक बनकर दर्शकों के दिलों में गूंज उठा। ताड़का वध के इस दृश्य ने दर्शकों को उत्साहित और रोमांचित कर दिया, और राम की वीरता की गूंज पूरे कार्यक्रम में सुनाई दी।
द्वारका श्री रामलीला सोसाइटी की यह रामलीला केवल धार्मिक मंचन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं की एक जीवंत प्रस्तुति है। हर दृश्य को इस तरह तैयार किया गया है कि दर्शक इसे गहराई से महसूस करें और भारतीय संस्कृति की जड़ों से जुड़ सकें। साथ ही, मेले में लगे झूले, दुकानें और सांस्कृतिक गतिविधियाँ सभी उम्र के लोगों के लिए एक अद्वितीय और आनंददायक अनुभव प्रदान कर रही हैं कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक राजेश गहलोत ने कहा, “हमारा उद्देश्य न केवल भगवान राम के जीवन और उनके आदर्शों को मंचित करना है, बल्कि इसे एक ऐसा अनुभव बनाना है, जिसे हर उम्र के लोग अपने दिल में संजोएं। हम हर साल इसे और भी भव्य बनाने का प्रयास करते रहेंगे।”
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