ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत दिल्ली स्टेट की बैठक : वक़्फ़ बिल,पैग़म्बर साहब के अपमान के ख़िलाफ़ जैसे मुद्दों पर प्रस्ताव पास

० संवाददाता द्वारा ० 
नई दिल्ली: नवनिर्वाचित ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मशवारत दिल्ली स्टेट की जनरल बॉडी की पहली बैठक दिल्ली स्थित मुख्य कार्यालय में सम्पन्न हुई, जिसकी अध्यक्षता दिल्ली मशवारत के अध्यक्ष डॉ. इदरीस कुरेशी ने की अपने भाषण में उन्होंने कहा कि हम दिल्ली के मुसलमानों की समस्याओं को दूर करने के लिये पूरी ताकत से कार्य करेंगे और इसके लिए हम राज्य में मशवारत को और अधिक सक्रिय और सभी जिलों में कमेटी का गठन करने के लिए संस्था के सदस्यों, मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों और मस्जिदों के इमामों से संपर्क कर रहे हैं।

मशवारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष फिरोज अहमद एडवोकेट ने इस मौके पर कहा कि किसी भी राष्ट्रीय स्तर के संगठन के लिए उसकी प्रांतीय इकाईया ही उसके बाज़ू और ताक़त होती है। जिन्हें मजबूत करने के लिए हम राज्य इकाई को हर संभव सहयोग देंगे। इससे पहले बैठक में राजनीतिक एवं सामाजिक मुद्दों पर प्रस्ताव प्रस्तुत किये गये, जिस पर मौजूद सदस्यों ने खुलकर चर्चा में भाग लिया, सुझाव प्रस्तुत किये और सभी प्रस्तावों को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी गयी।

इस मौके पर पैगंबर-ए-इस्लाम के सम्मान में सांप्रदायिक तत्वों की गुस्ताखी पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। इंजीनियर अबू सईद ने इस मुद्दे पर एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें उन्होंने विशेष रूप से डासना के तथाकथित स्वामी यति नरसिंहानंद की कड़ी निंदा की। उक्त बदजुबान व्यक्ति के निंदनीय शब्दों को सबसे खराब उकसावे वाला और असहनीय कृत्य करार देते हुए यह मांग की गई कि ऐसे व्यक्ति को अविलंब पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर सख़्त से सख़्त क़ानूनी सज़ा दी जानी चाहिए। क्योंकि उसके कृत्य से देश में बेचैनी पैदा हो गयी है और शांति व्यवस्था खतरे में है।

बैठक में वर्तमान वक़्फ़ बिल 2024 के संशोधन पर भी खासतौर से चर्चा हुई। जिसके विरोध में सचिव एडवोकेट रईस अहमद द्वारा एक प्रस्ताव पेश किया गया जिसका सभी मौजूद सदस्यों ने समर्थन देकर पास किया। जबकि उत्तर पूर्वी दिल्ली (2020) साम्प्रदायिक हिंसा के गंभीर परिणाम हुए, जिसके लिये इस मौके पर अधिवक्ता मुहम्मद तैय्यब खान द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव में दंगो में मारे गए 55 निर्दोष लोगों तथा हजारों लोगों के घायल होने तथा बड़ी संख्या में निर्दोष लोगों के विस्थापन को लेकर पीड़ितों से तत्काल सहायता एवं न्याय की मांग की तथा कहा कि न्याय में देरी न्याय से वंचित करने के समान है। 

प्रस्ताव में कहा गया है कि उमर खालिद, खालिद सैफी, गुल अफशा फातिमा और उनके जैसे अन्य कार्यकर्ताओं को लगातार कारावास की चिंताजनक स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। यह उन लोगों की ओर भी ध्यान आकर्षित करता है जिन्हें उनकी शांतिपूर्ण गतिविधियों के बावजूद अन्यायपूर्ण तरीके से जेल में डाल दिया गया है। न्याय में यह देरी पीड़ितों के दर्द को बढ़ाती है और न्यायिक प्रक्रिया पर भी सवाल उठाती है।

2024-25 के लिए बजट एसएम यामीन कुरेशी (सीए) द्वारा प्रस्तुत किया गया। दिल्ली स्टेट मशवारत की इस बैठक में अपने बोर्ड के सदस्यों के नामों की घोषणा की और मौलाना निसार अहमद नक्शबंदी, मसरूरुल हसन सिद्दीकी एडवोकेट और इंजीनियर अबू सईद उपाध्यक्ष, डॉ. इकबाल अहमद महासचिव, रईस अहमद एडवोकेट और सैयद इशरत सचिव के तौर पर सदस्यों से रूबरू कराया गया। इनके अलावा अजीजुल रहमान राही, अशरफ अली बस्तवी, अतहर इब्राहिम, बदरुल इस्लाम किरानवी, डॉ. रेहाना, फिरोज अहमद सिद्दीकी, कबीर खान एडवोकेट, मुहम्मद इलियास सफी, मुहम्मद तकी, मुहम्मद रईसुल आजम फैजी, रईस आजम खान, सनोबर कुरेशी एडवोकेट, 

तकी हैदर और जीशान खालिक को सदस्य नियुक्त किया गया है। जबकि असलम अहमद जमाल एडवोकेट को कानूनी मामलों की समिति के संयोजक और मोइनुद्दीन हबीबी (जामिया मिलिया इस्लामिया के पूर्व रजिस्ट्रार) को शिक्षा समिति के संयोजक के रूप में नामित किया गया है बैठक की शुरुआत हाफिज आतिफ की तिलावत से हुई, जबकि डॉ. इकबाल अहमद ने संचालन के कर्तव्यों का निर्वहन किया, वहीं बैठक में शरीक हुए लोगों का शुक्रिया मंसूर अहमद ने अदा किया। आखिर में दिल्ली मशवारत के सदस्यों को राष्ट्रीय अध्यक्ष फिरोज अहमद एडवोकेट व दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष सैयद मंसूर आगा और अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा सदस्यता प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।

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