80% ग्रामीण महिला उद्यमियों ने डिजिटल साक्षरता की कमी के बावजूद सोशल कॉमर्स का लाभ उठाया
० योगेश भट्ट ०
नई दिल्ली : Nasscom Foundation और LEAD at Krea University ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसका शीर्षक "डिजिटल डिविडेंड्स : ग्रामीण भारत में महिला उद्यमियों द्वारा सोशल कॉमर्स के उपयोग को समझना" है। यह अध्ययन ग्रामीण महिला उद्यमियों (आरडब्ल्यूई) द्वारा डिजिटल टूल्स और सोशल कॉमर्स को अपनाने में आने वाली चुनौतियों और अवसरों का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करता है, साथ ही उनके उद्यमों को समर्थन और विस्तार देने के लिए व्यावहारिक सिफारिशें प्रदान करता है। यह रिपोर्ट उन व्यवसायों पर टेक्नोलॉजी के परिवर्तनकारी प्रभाव को भी दर्शाती है, जिनका नेतृत्व ग्रामीण महिलाओं द्वारा किया जाता है, विशेष रूप से कृषि और संबद्ध सेवाओं, हथकरघा और हस्तशिल्प, विनिर्माण, प्रसंस्करण और खुदरा क्षेत्रों में।
नई दिल्ली : Nasscom Foundation और LEAD at Krea University ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसका शीर्षक "डिजिटल डिविडेंड्स : ग्रामीण भारत में महिला उद्यमियों द्वारा सोशल कॉमर्स के उपयोग को समझना" है। यह अध्ययन ग्रामीण महिला उद्यमियों (आरडब्ल्यूई) द्वारा डिजिटल टूल्स और सोशल कॉमर्स को अपनाने में आने वाली चुनौतियों और अवसरों का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करता है, साथ ही उनके उद्यमों को समर्थन और विस्तार देने के लिए व्यावहारिक सिफारिशें प्रदान करता है। यह रिपोर्ट उन व्यवसायों पर टेक्नोलॉजी के परिवर्तनकारी प्रभाव को भी दर्शाती है, जिनका नेतृत्व ग्रामीण महिलाओं द्वारा किया जाता है, विशेष रूप से कृषि और संबद्ध सेवाओं, हथकरघा और हस्तशिल्प, विनिर्माण, प्रसंस्करण और खुदरा क्षेत्रों में।
इस अध्ययन का उद्देश्य उन कारकों की पड़ताल करना है, जो महिला उद्यमियों को प्रभावित करते हैं। विशेष रूप से यह इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि टेक्नोलॉजी, खासकर सोशल कॉमर्स, उनके व्यवसाय से संबंधित गतिविधियों पर कैसे प्रभाव डाल सकता है। यह रिपोर्ट भारत भर के 24 जिलों की 792 महिला उद्यमियों (15-60 वर्ष) के सर्वेक्षण पर आधारित है। इसमें 18 आकांक्षी जिले भी शामिल हैं, जो विविध जनसांख्यिकीय प्रोफाइल का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रतिभागियों पर किया गया सर्वे उनकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि, डिजिटल तत्परता, वित्तीय पहुँच और सोशल कॉमर्स के उपयोग को लेकर जानकारी हासिल करने पर आधारित था।
Rostow Ravanan, Chairperson, Nasscom Foundation ने कहा, "ग्रामीण महिला उद्यमियों के सशक्त बनने से न सिर्फ रोजगार के अवसर बढ़ते हैं, बल्कि स्थायी और आत्मनिर्भर समुदायों को भी बढ़ावा मिलता है। छह महीने के इस पूरे अध्ययन के माध्यम से, यह बात स्पष्ट हुई है कि इन उद्यमों को उन्नत करने में डिजिटल टूल्स और सोशल कॉमर्स कैसे योगदान दे सकते हैं। मजबूत संकल्प के बावजूद, कई महिअलों को डिजिटल के पूरी तरह से एकीकरण में कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ता है, लेकिन टेक्नोलॉजी और सोशल प्लेटफॉर्म्स को अपनाने को लेकर वे काफी तत्पर हैं।
यह रिपोर्ट Krea University और LEAD के बीच साझेदारी में तैयार की गई है, जो स्टेकहोल्डर्स को डिजिटल विभाजन के अंतर को खत्म करने में मदद करेगी। इससे न सिर्फ स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को बल मिलेगा, बल्कि भारत की ग्रामीण महिला उद्यमियों के लिए सामाजिक-आर्थिक समानता को भी बढ़ावा मिलेगा।" Sharon Buteau, Executive Director, LEAD at Krea University ने कहा, "आज के समय में महिला, जो ग्रामीण भारत में अपने घर से हस्तशिल्प व्यवसाय का संचालन करती है, वह व्यापक और विविध ग्राहकों के सामने अपने उत्पादों को पेश कर सकती है। इससे न सिर्फ भौगोलिक बाधाएँ दूर होंगी, बल्कि बिचौलियों की भूमिका में भी कमी आएगी।
ये सोशल प्लेटफॉर्म्स महिलाओं को समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने और अपने स्थानीय समुदायों से परे ग्राहकों तक पहुँचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं और साथ ही उनकी नेटवर्किंग की क्षमताओं का लाभ भी उठा सकते हैं। हालाँकि, हमने पाया है कि टेक्नोलॉजी की पहुँच हमेशा निष्पक्ष नहीं होती। इन चुनौतियों को समझना महत्वपूर्ण है, ताकि महिलाओं को डिजिटल और सोशल कॉमर्स में सशक्त बनाया जा सके और उनका समर्थन करने के लिए उचित स्ट्रेटजीस पर काम किया जा सके। हमें उम्मीद है कि रिपोर्ट में जो अंतर्दृष्टियाँ प्रस्तुत की गई हैं, वे टेक्नोलॉजी और सोशल प्लेटफॉर्म्स की भूमिका पर बारीकी से जानकारीपूर्ण बातचीत को बढ़ावा देंगी और प्रभावी नीतियों और समाधानों को पेश करने में योगदान देंगी।"
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