नव वर्ष तेरा करूँ स्वागत बारम्बार
० सुषमा भंडारी ०
नव वर्ष तेरा करूँ स्वागत बारम्बार
द्वेष ईर्ष्या न दिखे दीखे केवल प्यार।
सर सर सर बहती हवा दे चलने की सीख
अंधियारा मिट जाएगा ,स्वर्णिम हो तारीख।
बेखौफ हों बेटियाँ , करें वो नभ की सैर
पत्थर दिल भी मोम हो, ना हो कोई गैर।
कल- कल- कल झरना बहे , स्वर हो मीठी तान
ऊंँच-नीच जग से मिटे, फैले बस मुस्कान।
नव वर्ष तेरा करूँ स्वागत बारम्बार
द्वेष ईर्ष्या न दिखे दीखे केवल प्यार।
सर सर सर बहती हवा दे चलने की सीख
अंधियारा मिट जाएगा ,स्वर्णिम हो तारीख।
बेखौफ हों बेटियाँ , करें वो नभ की सैर
पत्थर दिल भी मोम हो, ना हो कोई गैर।
कल- कल- कल झरना बहे , स्वर हो मीठी तान
ऊंँच-नीच जग से मिटे, फैले बस मुस्कान।
मन से मन का योग हो , हो प्यार का भाव
सत्ता का मद हो खतम, हो न बुरा प्रभाव।
सूने पनघट फिर कहें , भरो प्यार का नीर
ईद दिवाली साथ हो, यही तो है जागीर।
अक्षत रोली ले करूँ, मौसम का शृंगार
चहुँ ओर बस प्यार हो, मिट जाय बस खार।
सुखमय हो घर आंँगना, वंश बेल की धूम
नया वर्ष आया सखी, आजा इसको चूम।
रिसते जख्मों पर करूँ, मैं चंदन का लेप
मिलकर के सारे रहें,हो न कोई आक्षेप।
सत्ता का मद हो खतम, हो न बुरा प्रभाव।
सूने पनघट फिर कहें , भरो प्यार का नीर
ईद दिवाली साथ हो, यही तो है जागीर।
अक्षत रोली ले करूँ, मौसम का शृंगार
चहुँ ओर बस प्यार हो, मिट जाय बस खार।
सुखमय हो घर आंँगना, वंश बेल की धूम
नया वर्ष आया सखी, आजा इसको चूम।
रिसते जख्मों पर करूँ, मैं चंदन का लेप
मिलकर के सारे रहें,हो न कोई आक्षेप।
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