ईपीसीएच द्वारा “डिजाइन, ट्रेंड और निर्यात अनुपालन” पर श्रीनगर में वर्कशॉप आयोजित

० आशा पटेल ० 
नई दिल्ली l हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद ने “डिजाइन, पूर्वानुमान और निर्यात अनुपालन” पर जम्मू और कश्मीर के श्रीनगर में एक संवादात्मक सत्र का आयोजन किया। ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर. के. वर्मा ने बताया कि इस मौके पर ईपीसीएच के उपाध्यक्ष नीरज खन्ना; ईपीसीएच के पूर्व अध्यक्ष राज कुमार मल्होत्रा; ईपीसीएच के पूर्व अध्यक्ष रवि के पासी; ईपीसीएच के सीओए सदस्य अरशद मीर; अमला श्रीवास्तव, ईपीसीएच की डिजाइनर, कश्मीर क्षेत्र के प्रमुख निर्यातक  उपस्थित रहे ।
अरशद मीर, सदस्य सीओए-ईपीसीएच ने सीओए सदस्यों और जम्मू-कश्मीर के प्रमुख निर्यातकों का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि निर्यातकों को आगामी सत्र के लिए हस्तशिल्प में नवीनतम डिजाइन, रुझान और पूर्वानुमान के बारे में गहन जानकारी प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करने के लिए आयोजित किया गया है। ईपीसीएच कारीगरों के लिए स्वास्थ्य जांच शिविर, कारीगरों के बच्चों के लिए शिक्षा, एम्बुलेंस दान और विभिन्न अन्य पहलों का आयोजन करके सीएसआर पहलों की दिशा में लगातार काम कर रहा है।
मीर ने आगे बताया कि भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई), देहरादून के सहयोग से ईपीसीएच ने देहरादून में उन्नत पश्मीना प्रमाणन प्रयोगशाला के माध्यम से पश्मीना उत्पादों के लिए अपनी परीक्षण क्षमताओं को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। स्थापित किए गए उन्नत उपकरण पश्मीना शॉल की परीक्षण प्रक्रिया को मजबूत करेंगे, जिससे निर्यातकों को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों के कड़े मानकों को पूरा करना सुनिश्चित होगा।

ईपीसीएच अध्यक्ष दिलीप बैद ने बताया ईपीसीएच हमेशा अखिल भारतीय स्तर पर एक्सपर्ट फैकल्टी के माध्यम से जागरूकता सेमिनारों की सीरीज आयोजित करने में सबसे आगे रहा है। बहुप्रतीक्षित विश्व का सबसे बड़ा हस्तशिल्प मंच "आईएचजीएफ अप्रैल मेला 2025", जो इंडिया एक्सपो सेंटर ऐंड मार्ट लिमिटेड में 16 से 19 अप्रैल, 2025 तक आयोजित किया जाएगा, वो निर्यातकों को उनके उत्पादों को प्रदर्शित करने और अंतरराष्ट्रीय खरीदारों से जुड़ने के लिए एक वैश्विक मंच प्रदान करेगा।

ईपीसीएच के उपाध्यक्ष नीरज खन्ना ने वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए कौशल बढ़ाने, क्षमता बढ़ाने और बाजार अनुकूलन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने पारंपरिक कला को समकालीन ट्रेंड के साथ मिलाया जा सके इसके लिए लगातार प्रशिक्षण कार्यक्रमों और डिजाइनरों के साथ सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। डिजिटल मार्केटिंग और ई-कॉमर्स की भूमिका पर जोर देते हुए, उन्होंने सदस्यों को विश्व स्तर पर अपनी पहुंच और दृश्यता (विजिबिलिटी) को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया।

ईपीसीएच के पूर्व अध्यक्ष राज कुमार मल्होत्रा ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मानक और अनुपालन, हस्तशिल्प निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता और निर्यात अवसरों को विस्तार देने की क्षमता तक पहुंचने के प्रमुख निर्धारकों के रूप में उभर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय हस्तशिल्प का करीब 70% निर्यात उन बाजारों में होता है जो अनुपालन के प्रति जागरूक हैं, और वैश्विक ब्रांड्स एवं खरीदार ऐसे भारतीय आपूर्तिकर्ताओं को ऑर्डर देना पसंद करते हैं जो बेहतर कार्य स्थितियों, कार्यस्थल मानकों, और पर्यावरण की दृष्टि से दीर्घकालिक उत्पादन का पालन कर रहे हैं।

ईपीसीएच के पूर्व अध्यक्ष रवि के. पासी ने हस्तशिल्प निर्यात के क्षेत्र में अपने विशाल अनुभव को साझा करते हुए उपस्थित गणमान्य लोगों को संबोधित किया। पासी ने कश्मीर के युवा उद्यमियों को आगे आकर अपना निर्यात बढ़ाने के लिए ईपीसीएच की जानकारी का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया।
ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर. के. वर्मा ने बताया कि प्रकृति से प्रेरणा लेकर और जैविक तथा प्रकृति से प्रेरित डिजाइनों को उत्पाद श्रृंखलाओं में शामिल करके हम अपने उत्पादों को और भी बेहतर बना रहे हैं। डिजाइन प्रकृति से जुड़ाव पैदा करते हैं और तेज-तर्रार आधुनिक जीवनशैली से राहत प्रदान करते हैं। उन्होंने ईपीसीएच की यात्रा और पिछले 35 वर्षों में ईपीसीएच द्वारा की गई नई पहलों के बारे में भी बताया।

सुश्री अमला श्रीवास्तव, सहायक निदेशक डिजाइन, ईपीसीएच ने आगामी स्प्रिंग/समर 2026 पर एक प्रेजेंटेशन दिया और यह बताया कि मिनिमलिज्म (यानी केवल आवश्यक और महत्वपूर्ण चीजों के साथ जीवन यापन करना) और सादगी समकालीन डिजाइन की पहचान बन गई है। उन्होंने बताया कि वनस्पति ट्रेंड्स को प्राथमिकता देते हुए साफ-सुथरी रेखाओं, चमकीले रंगों की पैलेट्स के इस्तेमाल से एक ऐसी सुरुचिपूर्ण सुंदरता बनाई जा सकती है, जो उन ग्राहकों को आकर्षित करते हैं जो आसपास शांति का एहसास महसूस करना चाहते हैं। उन्होंने पारंपरिक शिल्प को सामयिक शैली, पैटर्न और सिल्हूट (सिलूएट) में बनाने के बारे में भी जानकारी दी।

हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद देश से हस्तशिल्प के निर्यात को बढ़ावा देने और देश के विभिन्न शिल्प समूहों में होम, लाइफस्टाइल, टेक्सटाइल, फर्नीचर और फैशन जूलरी और एक्सेसरीज उत्पादों को बनाने में लगे लाखों कारीगरों और शिल्पकारों के प्रतिभाशाली हाथों के जादू की ब्रांड छवि बनाने की एक नोडल एजेंसी है। वर्ष 2023-24 के दौरान हस्तशिल्प का निर्यात 32,759 करोड़ रुपये (3,956 मिलियन अमेरिकी डॉलर) का हुआ, इसमें पिछले वर्ष की तुलना में रुपये के संदर्भ में 9.13% जबकि डॉलर के संदर्भ में 6.11% की वृद्धि दर्ज की गई। ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक श्री आर.के. वर्मा ने बताया कि वर्ष 2023-24 के दौरान जम्मू और कश्मीर से 15.64 करोड़ का निर्यात हुआ।

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