एलन ने किया चैम्पियन स्टूडेंट्स का सम्मान
० आशा पटेल ०
कोटा - एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट की ओर से चैम्पियंस-डे कोटा में आयोजित किया गया। यहां अकेडमिक उपलब्धियों के साथ अन्य क्षेत्रों में भी श्रेष्ठ करने वाले कक्षा 3 से 10 तक के स्टूडेंट्स को गोल्ड व सिल्वर मैडल, कैश रिवार्ड व उपहार देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पूरे देश से स्टूडेंट्स परिवार के साथ कोटा पहुंचे। हर क्लास से टाॅप-10 स्टूडेंट्स को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि टी-20 वल्र्डकप-2024 टीम का हिस्सा रहे इंडियन क्रिकेटर कुलदीप यादव रहे।
स्टूडेंट्स को मेरा मैसेज रहता है कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। जमकर मेहनत करते रहें फल मिलेगा ही। फेल्योर से घबराना नहीं है। मैंने 11 वर्ष की उम्र में खेलना शुरू किया, कई बार फेल हुआ। पहले फुटबाॅल खेलता था, इंजरी हुई तो चाचा ने मुझे क्रिकेट खेलने की सलाह दी। इसके बाद बहुत कठिन सफर रहा तब जाकर क्रिकेटर बन सका।
कोटा - एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट की ओर से चैम्पियंस-डे कोटा में आयोजित किया गया। यहां अकेडमिक उपलब्धियों के साथ अन्य क्षेत्रों में भी श्रेष्ठ करने वाले कक्षा 3 से 10 तक के स्टूडेंट्स को गोल्ड व सिल्वर मैडल, कैश रिवार्ड व उपहार देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पूरे देश से स्टूडेंट्स परिवार के साथ कोटा पहुंचे। हर क्लास से टाॅप-10 स्टूडेंट्स को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि टी-20 वल्र्डकप-2024 टीम का हिस्सा रहे इंडियन क्रिकेटर कुलदीप यादव रहे।
कुलदीप ने अपने जीवन के अनुभवों से कोटा आए देशभर के टैलेंट को मोटिवेट किया। उन्होंने खेल और पढ़ाई की चुनौतियों में समानता बताते हुए इनसे बाहर आने और सफलता प्राप्त करने के टिप्स भी दिए। इस दौरान एलन के निदेशक डाॅ.गोविन्द माहेश्वरी, राजेश माहेश्वरी, नवीन माहेश्वरी व डाॅ.बृजेश माहेश्वरी मौजूद रहे। क्रिकेटर कुलदीप यादव ने कहा कि कोटा कॅरियर बनाता है। यहां से पढ़े डाॅक्टर, इंजीनियर पूरे देश-दुनिया में हैं। कुलदीप यादव ने कहा कि सफल होने से ज्यादा अच्छा इंसान होना जरूरी है। आपके मन में सामने वाले के लिए सम्मान होना चाहिए।
स्टूडेंट्स को मेरा मैसेज रहता है कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। जमकर मेहनत करते रहें फल मिलेगा ही। फेल्योर से घबराना नहीं है। मैंने 11 वर्ष की उम्र में खेलना शुरू किया, कई बार फेल हुआ। पहले फुटबाॅल खेलता था, इंजरी हुई तो चाचा ने मुझे क्रिकेट खेलने की सलाह दी। इसके बाद बहुत कठिन सफर रहा तब जाकर क्रिकेटर बन सका।
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