राष्ट्रीय हैंडलूम एक्सपो : 15 राज्यों के शिल्पकारों की कला और संस्कृति का प्रदर्शन

० योगेश भट्ट ० 
नई दिल्ली : नेशनल सेंटर फॉर हेरिटेज टेक्सटाइल (हैंडलूम हाट) में भारतीय हस्तकला और हथकरघा की समृद्ध परंपराओं को समर्पित राष्ट्रीय हैंडलूम एक्सपो 'विरासत' का आयोजन किया गया । यह आयोजन भारतीय संस्कृति और शिल्पकला के जादू को करीब से महसूस करने का अवसर प्रदान कर रहा है। 27 मार्च से 08 अप्रैल तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में 15 राज्यों के 80 स्टॉल्स लगे हैं, जिनमें से 16 दिव्यांग शिल्पकारों द्वारा लगाए गए स्टॉल्स विशेष आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। पूर्वोत्तर राज्यों के शिल्पकारों द्वारा प्रस्तुत की गई अनूठी कलाकृतियां इस आयोजन की शोभा बढ़ा रही हैं। असम सरकार के राभा हासोंग स्वायत्त परिषद द्वारा आयोजित इस प्रदर्शनी में शिल्पकारों की सृजनशीलता और मेहनत का भव्य प्रदर्शन देखने को मिल रहा है।

इस अवसर पर राभा हासोंग स्वायत्त परिषद के आरआरएडब्ल्यूएफईडी के प्रबंध निदेशक सैफुल इस्लाम ने कहा, "भारतीय हस्तकला और हथकरघा हमारी सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक हैं। पूर्वोत्तर भारत की विशेष कलाएं न केवल इसे समृद्ध कर रही हैं, बल्कि इन्हें दिल्ली में पहचान भी मिल रही है।" उन्होंने इस आयोजन में 2 करोड़ रुपये की बिक्री का लक्ष्य निर्धारित किया है। मेघालय, मणिपुर, असम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा और सिक्किम जैसे पूर्वोत्तर राज्यों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर और आंध्र प्रदेश के शिल्पकारों ने भी अपने कलात्मक उत्पादों का प्रदर्शन किया है। विभिन्न राज्यों से आई हस्तनिर्मित वस्त्र और शिल्प वस्तुओं का यह संगम दर्शकों को भारतीयता की छटा से परिचित करा रहा है।

भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय की उप निदेशक शिल्पी चौहान ने कहा, "यह उद्योग लाखों शिल्पकारों की आजीविका का आधार है और हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। ऐसे आयोजन इस उद्योग को नई ऊर्जा प्रदान करते हैं।" इस प्रदर्शनी में शिल्पकारों द्वारा ऑर्गेनिक उत्पाद, पारंपरिक हस्तशिल्प और हस्तकरघा से बने अद्वितीय वस्त्र प्रदर्शित किए जा रहे हैं। साथ ही, बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले और पारंपरिक खाद्य पदार्थों के स्टॉल भी इस प्रदर्शनी का हिस्सा हैं। इस प्रदर्शनी का उद्देश्य न केवल शिल्पकारों को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठा दिलाना है, बल्कि छोटे उद्यमों को प्रोत्साहन देकर उन्हें बड़ा मंच देना भी है। टेक्स्टाइल कमिटी के फिल्ड अधिकारी विवेक शर्मा ने कहा, "यह प्रदर्शनी शिल्पकारों को संवाद और प्रशिक्षण का अवसर प्रदान करती है, जिससे वे तकनीकी नवाचारों को अपनाकर अपने उत्पादों को और भी बेहतर बना सकें।"

दिल्ली के जनपथ स्थित नेशनल सेंटर फॉर हेरिटेज टेक्सटाइल (हैंडलूम हाट) में महिला समूहों द्वारा बनाए गए पापड़, अचार, और हस्तनिर्मित वस्त्रों का भी प्रदर्शन हो रहा है, जिससे महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा मिल रहा है। 'विरासत' प्रदर्शनी शिल्पकारों की कलात्मक उत्कृष्टता और भारतीयता की सजीव अभिव्यक्ति का अद्भुत संगम है। यह आयोजन न केवल भारतीय हस्तशिल्प को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने का मंच है, बल्कि स्थानीय उद्यमियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी है।  

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