समाज में उत्कृष्ट योगदान देने वाली 20 महिलाएं "सत्य स्त्री सम्मान 2025" से सम्मानित

० संवाददाता द्वारा ० 
जयपुर : समाज में उत्कृष्ट योगदान देने वाली 20 महिलाओं को सम्मानित करने हेतु "सत्य स्त्री सम्मान 2025" का आयोजन जयपुर में हुआ। इस सम्मान समारोह का आयोजन सत्य फाउंडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट और सत्य इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज (SIMHANS) द्वारा किया गया। विभिन्न क्षेत्रों में प्रेरणादायक कार्य करने वाली महिलाओं को लीडरशिप, मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक परिवर्तन, शिक्षा, कला-संस्कृति, उद्यमिता, पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य सेवा और महिला सशक्तिकरण जैसी 20 श्रेणियों में सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर जोधपुर स्थित अर्णा झरना: द थार डेजर्ट म्यूज़ियम की प्रोग्राम निदेशक डॉ. अनीता कोठारी को "सत्य स्त्री सम्मान 2025" के अंतर्गत "आर्ट्स, कल्चर एंड मीडिया इम्पैक्ट अवार्ड" से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं संवर्धन में उनके अनुकरणीय योगदान हेतु प्रदान किया गया। उन्होंने पद्मभूषण सम्मानित एथ्नोम्यूज़िकोलॉजिस्ट कोमल कोठारी की विरासत को आगे बढ़ाते हुए अर्णा झरना को एक सक्रिय शैक्षणिक केंद्र के रूप में विकसित किया है।

मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. प्रेमचंद बैरवा (उप-मुख्यमंत्री, राजस्थान सरकार) उपस्थित रहे। साथ ही, अतिथि सम्माननीय के रूप में मालिनी अग्रवाल, आईपीएस (महानिदेशक – सिविल राइट्स एवं एंटी-ह्यूमन ट्रैफिकिंग) और डॉ. अल्का गौड़ (अध्यक्ष, फोर्टी वुमन विंग) ने गरिमा बढ़ाई। संस्था के चेयरपर्सन डॉ. प्रकाश गिरी ने बताया कि इस पुरस्कार समारोह का उद्देश्य समाज में उत्कृष्ट योगदान देने वाली महिलाओं को सम्मानित करना है।

डॉ. अनीता कोठारी ने अर्णा झरना: द थार डेजर्ट म्यूज़ियम को केवल एक प्रदर्शनी स्थल तक सीमित न रखते हुए इसे एक प्रभावशाली मीडिया प्लेटफॉर्म के रूप में विकसित किया है, जो परंपरागत लोक कला, संगीत और पर्यावरण संरक्षण को व्यापक स्तर पर प्रचार करता है। उनके प्रयासों के अंतर्गत लोक वाद्य यंत्रों का अनूठा संग्रह, पारंपरिक हस्तकला कार्यशालाएं और लोककथाओं पर आधारित संवाद सत्र आयोजित किए जाते हैं, जिनसे हर वर्ष हजारों छात्र लाभान्वित होते हैं।

उनके सतत प्रयासों ने इस संग्रहालय को राजस्थान के सांस्कृतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में स्थापित किया है। उनके कार्य राजस्थान की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने और युवा पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने के लिए एक सशक्त माध्यम बन रहे हैं।

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