40 क्रांतिकारी शहीदों के परिजनों का शहीद दिवस पर सम्मान

० आशा पटेल ० 
जयपुर । शहीद दिवस आयोजन समिति की ओर से शहीद दिवस पर एक सम्मान समारोह का आयोजन हुआ। इस अवसर पर संस्थाओं ने शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की शहादत को नमन करने के साथ ही वर्ष 1857 से 1947 तक आजादी की जंग में प्राण न्योछावर करने वाले 40 क्रांतिकारी शहीदों के परिवारजनों को सम्मानित किया l मुख्य अतिथि पूर्व सी एम अशोक गहलोत ने मीसा के तहत जेल जाने वाले बंदियों को सम्मान दिए जाने पर सवाल भी उठाए।
कार्यक्रम के संयोजक गिरधारी सिंह बापना ने बताया कि महावीर विकलांग समिति डीआर मेहता, राजेंद्र सिंह , वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण चंद छाबड़ा व अशोक कुमार पांडेय सहित अतिथियों ने आजादी के आंदोलन में क्रांतिकारियों के योगदान को याद किया। इस अवसर पर क्रांतिकारियों के परिवारों ने कहा कि देश में आज हिंदू-मुस्लिम एकजुटता की बेहद जरूरत है। हमारे लिए धर्म बाद में और देश पहले होना चाहिए। क्रांतिकारी अशफाकुल्ला खान के पोते अशफाकुल्ला ने मांग की कि गुमनाम क्रांतिकारियों की
शहादत को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। शहीद सुखदेव के पोते अनुज थापर ने कहा कि महात्मा गांधी की तरह सभी शहीदों के स्मारक स्थल बनें। 
पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि आज समाज में नफरत और सांप्रदायिकता बढ़ रही है। युवाओं को आजादी के मायने और क्रांतिकारियों के योगदान के बारे में बताने की जरूरत है। क्रांतिकारियों ने कभी नहीं सोचा होगा कि आजादी के बाद भी देश में हिंदू-मुसलमान होगा। उस दौर में हिंदू मुसलमान, सिख, ईसाई सभी ने मिलकर आजादी दिलाई थी । उन्होंने मीसा के तहत जेल जाने वाले बंदियों को ‘लोकतंत्र सेनानियों’ के तौर पर सम्मान देने और उस पर लाए जाने वाले बिल पर सवाल उठाए। कहा की ऐसा ही रहा, तो कोई सरकार भविष्य में यह भी प्रस्तावित कर सकती है। 2014 के बाद जिन पत्रकारों-साहित्यकारों को जेल में डाला उन्हें भी पेंशन दी जाए।

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