दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा ’गरिमा के स्वर : कवयित्री सम्मेलन’ का आयोजन

० योगेश भट्ट ० 
नई दिल्ली : दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा ’गरिमा के स्वर : कवयित्री सम्मेलन’ का आयोजन हिंदी भवन, दिल्ली में संपन्न हुआ। सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ठ कवयित्री एवं सम्मेलन की अध्यक्ष इंदिरा मोहन ने की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप मेें लोकसभा सांसद बाँसुरी स्वराज उपस्थिति रही। सान्निध्य डाॅ॰ रत्नावली कौशिक, सह-मंत्री हिंदी भवन का प्राप्त हुआ। स्वागताध्यक्ष के रूप में समाजसेवी हेमलता अग्रवाल उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का प्रारंभ वरिष्ठ कवयित्री अंजु जैन द्वारा सरस्वती आराधना प्रस्तुत की गई। सम्मेलन के महामंत्री प्रो॰ हरीश अरोड़ा ने साहित्यिक अतीत की एवं विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ये संस्था हिंदी के प्रचार एवं प्रसार में सतत लगी हुई है।

इस अवसर पर सम्मेलन द्वारा प्रकाशित 'गरिमा के स्वर' स्मारिका का लोकार्पण अतिथियों द्वारा एवं स्मारिका के संपादक एवं वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य अनमोल द्वारा किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में सांसद बाँसुरी स्वराज ने कहा कि कवि सदा ही एक जागरूक और गंभीर चिंतक होते हैं दूसरों की भावनाओं और समस्याओं को सहज रूप से प्रकट कर समाज को जाग्रत करते हैं। उन्होंने कहा कि नारियाँ भगवान की अनूठी कृति हैं, इसलिए इनको भगवान नेे त्याग, तपस्या और प्रेम की मूर्ति बनाया है। आज वे अपने तपबल से दुनिया के हर क्षेत्र में पहुँच बना चुकी हैं।

कार्यक्रम की स्वागताध्यक्ष हेमलता अग्रवाल ने आयोजन के लिए सभी कवयित्रियों एवं संयोजकों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। सम्मेलन की अध्यक्ष एवं वरिष्ठ साहित्यकार इंदिरा मोहन ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में बताया कि गत 44 वर्षों से दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन महिला दिवस के उपलक्ष्य में महिलाओं की सृजन क्षमता का आवाहन करता आ रहा है। हिंदी भाषा और साहित्य का यह कवितामय संवाद महिला गरिमा को तो प्रस्तुत करता ही है, समाज में सकारात्मक बदलाव को जाग्रत कर सनातन संस्कारों को भी पुष्ट करता आ रहा है।

 डाॅ॰ रत्नावली कौशिक ने कहा कि आज महिलाएँ देश को नया आयाम दे रही हैं। आज की महिलाएँ जिस प्रकार का योगदान समाज कल्याण के लिए कर रही हैं, वह विश्व के लिए एक उदाहरण है, इस काल में महिलाएँ पहले से ज्यादा सशक्त हो रही हैं। उन्होंने सुंदर आयोजन के लिए अध्यक्ष इंदिरा मोहन एवं सम्मेलन परिवार को बधाई दी। कवयित्री सम्मेलन का संचालन सम्मेलन की साहित्य मंत्री प्रो॰ रचना बिमल ने किया।  इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ॰ सरिता शर्मा को हिंदी भाषा की सेवा के लिए ’वागीश्वरी सम्मान’ से सम्मानित किया गया। उन्हें सम्मान स्वरूप शाॅल एवं प्रशस्ति पत्र और प्रतीक चिह्न भेंट किए गए। डाॅ॰ सरिता शर्मा ने दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सम्मेलन द्वारा सम्मान पाना मेरे लिए गौरव की बात है।

इस अवसर पर सम्मेलन कार्यालय के सहायक नवीन झा की गत 38 वर्षों की निरंतर सेवा के लिए ‘श्रीराम दरवार’ प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर आमंत्रित कवयित्रियों में डॉ० सरिता शर्मा, अंजु जैन, अलका सिन्हा, कल्पना शुक्ला, सुधा संजीवनी और उषा श्रीवास्तव 'उषाराज' की कविताओं से सभागार में तालियों की गूँज सुनाई देती रही। कार्यक्रम के समापन पर सम्मेलन के पूर्व महामंत्री प्रो० रवि शर्मा 'मधुप' ने सभी अतिथियों का धन्यवाद किया। कार्यक्रम में हिंदी अकादमी के उप सचिव ऋषि कुमार, राकेश शर्मा, डाॅ॰ वीणा गौतम, गजेन्द्र सोलंकी, नवरत्न अग्रवाल, डॉ० सुधा शर्मा पुष्प, ओंकार त्रिपाठी, सुनील विज, प्रमिला भारती, मनवीर मधुर, उपेंद्र पांडे, डाॅ॰ संजीव सक्सेना आदि अनेक साहित्यकार,पत्रकार एवं हिंदी प्रेमी उपस्थित रहे।

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