त्र ज्ञान से मानसिक तनाव बढ़ा : डॉ. सुरेश मोनी
० योगेश भट्ट ०
पुणे : आज की दुनिया में तकनीक ने भारत समेत पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया है। हर महीने नई-नई तकनीकी प्रगति हो रही है, जिससे लोगों को तेजी से बदलावों के साथ तालमेल बिठाना मुश्किल हो रहा है। खासकर एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) जैसी तकनीकों के कारण सूचना की बमबारी लगातार मानव मस्तिष्क पर प्रभाव डाल रही है। इससे यह तय करना कठिन हो जाता है कि कौन सी जानकारी सही है और किस पर विश्वास किया जाए, जिससे मानसिक तनाव बढ़ रहा है। यह विचार बेंगलोर स्थित नार्से मोन्जी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज के पूर्व निदेशक प्रोफेसर डॉ. सुरेश मोनी ने व्यक्त किए।वे एमआईटी आर्ट, डिज़ाइन और टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय के संत ज्ञानेश्वर महाराज विश्व शांति डोम में 'इनोवेटिव ग्लोबल टेक्नोलॉजी ट्रेंड्स' विषय पर आधारित सातवें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे। इस अवसर पर अजिंक्य डी.वाई. पाटिल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रा. डॉ. एकनाथ खेडकर, 'एमआईटी एडीटी' विश्वविद्यालय के कार्याध्यक्ष प्रा. डॉ. मंगेश कराड, कार्यकारी निदेशक प्रा. डॉ. सुनीता कराड, कुलपति प्रा. डॉ. राजेश एस., प्र. कुलपति डॉ. रामचंद्र पुजेरी, डॉ. मोहित दुबे, कुलसचिव डॉ. महेश चोपडे सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। डॉ. खेडकर ने अपने संबोधन में कहा कि पहले चीन, अमेरिका और जर्मनी जैसे देशों का पेटेंट पंजीकरण पर एकाधिकार था, लेकिन अब भारतीय शोधकर्ताओं की मेहनत से भारत ने भी इस क्षेत्र में अपनी मजबूत पहचान बनाई है। उन्होंने कहा कि चैट जीपीटी और डीपी सेक जैसी तकनीकों के कारण हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि मानवीय ज्ञान कम न हो।
पुणे : आज की दुनिया में तकनीक ने भारत समेत पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया है। हर महीने नई-नई तकनीकी प्रगति हो रही है, जिससे लोगों को तेजी से बदलावों के साथ तालमेल बिठाना मुश्किल हो रहा है। खासकर एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) जैसी तकनीकों के कारण सूचना की बमबारी लगातार मानव मस्तिष्क पर प्रभाव डाल रही है। इससे यह तय करना कठिन हो जाता है कि कौन सी जानकारी सही है और किस पर विश्वास किया जाए, जिससे मानसिक तनाव बढ़ रहा है। यह विचार बेंगलोर स्थित नार्से मोन्जी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज के पूर्व निदेशक प्रोफेसर डॉ. सुरेश मोनी ने व्यक्त किए।वे एमआईटी आर्ट, डिज़ाइन और टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय के संत ज्ञानेश्वर महाराज विश्व शांति डोम में 'इनोवेटिव ग्लोबल टेक्नोलॉजी ट्रेंड्स' विषय पर आधारित सातवें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे। इस अवसर पर अजिंक्य डी.वाई. पाटिल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रा. डॉ. एकनाथ खेडकर, 'एमआईटी एडीटी' विश्वविद्यालय के कार्याध्यक्ष प्रा. डॉ. मंगेश कराड, कार्यकारी निदेशक प्रा. डॉ. सुनीता कराड, कुलपति प्रा. डॉ. राजेश एस., प्र. कुलपति डॉ. रामचंद्र पुजेरी, डॉ. मोहित दुबे, कुलसचिव डॉ. महेश चोपडे सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। डॉ. खेडकर ने अपने संबोधन में कहा कि पहले चीन, अमेरिका और जर्मनी जैसे देशों का पेटेंट पंजीकरण पर एकाधिकार था, लेकिन अब भारतीय शोधकर्ताओं की मेहनत से भारत ने भी इस क्षेत्र में अपनी मजबूत पहचान बनाई है। उन्होंने कहा कि चैट जीपीटी और डीपी सेक जैसी तकनीकों के कारण हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि मानवीय ज्ञान कम न हो।
प्रा. डॉ. सुनीता कराड ने बताया कि एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय हर साल यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करता है। इस वर्ष इसका सातवां संस्करण है और अब तक इसके माध्यम से 60 से अधिक स्टार्टअप को सहयोग और 3000 से अधिक छात्रों को रोजगार दिया गया है। इस वर्ष 20 से अधिक विषयों पर तीन दिनों तक चर्चा होगी।दीप प्रज्ज्वलन और सरस्वती पूजन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। प्रा. डॉ. सुनीता कराड ने प्रस्तावना प्रस्तुत की, जबकि डॉ. मोहित दुबे ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. स्नेहा वाघटकर और डॉ. स्वप्निल शिरसाठ ने किया ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रा. डॉ. मंगेश कराड ने कहा कि दुनिया इस समय कई चुनौतियों का सामना कर रही है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भू-राजनीतिक स्थिति में बड़ा बदलाव आया है। ऐसे वैश्विक मुद्दों पर मंथन करने के लिए यह सम्मेलन आयोजित किया जाता है। उन्होंने आगाह किया कि बदलती एआई तकनीकों का सकारात्मक उपयोग करते समय उनके संभावित खतरों से भी सतर्क रहना आवश्यक है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रा. डॉ. मंगेश कराड ने कहा कि दुनिया इस समय कई चुनौतियों का सामना कर रही है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भू-राजनीतिक स्थिति में बड़ा बदलाव आया है। ऐसे वैश्विक मुद्दों पर मंथन करने के लिए यह सम्मेलन आयोजित किया जाता है। उन्होंने आगाह किया कि बदलती एआई तकनीकों का सकारात्मक उपयोग करते समय उनके संभावित खतरों से भी सतर्क रहना आवश्यक है।
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