लोकमत पत्रकारिता सम्मान समारोह में राज्यपाल बोले पत्रकारिता में सजग और जागरूक रहना जरूरी

० आशा पटेल ० 
जयपुर। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा कि पत्रकारिता में सजग और जागरूक रहना जरूरी है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में शब्द की संस्कृति जुड़ी होती है। इसे फिजूल में बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने पत्रकारिता के स्वस्थ मूल्यों के लिए कार्य करने का आह्वान किया। राज्यपाल लोकमत समाचार समूह द्वारा आयोजित वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी और लोकमत के संस्थापक स्व. जवाहर लाल दर्डा स्मृति लोकमत पत्रकारिता पुरस्कार वितरण समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने स्व.जवाहर लाल दर्डा से जुड़ी पत्रकारिता के नैतिक मूल्यों से जुड़ी यादें साझा करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी विचारधारा के लिए नहीं लोगों के हित में, उनके लिए समाचार पत्र निकाला।
राज्यपाल ने कहा कि देश में संविधान निर्माण की शुरुआत अखंड हिंदुस्तान की सोच के साथ हुई थी। आजादी के बाद 26 नवंबर को राष्ट्रपति को जब संविधान सुपुर्द किया तब उसमें भारतीय संस्कृति से जुड़े 22 भागों के चित्र भी थे। पहला चित्र हड़प्पा से जुड़ा था। संविधान के चित्र बनाने वालों में जयपुर के कृपाल सिंह शेखावत भी थे। विधान सभा अध्यक्ष प्रो. वासुदेव देवनानी ने आजादी आंदोलन में पत्रकारिता की भूमिका की चर्चा करते हुए कहा कि राष्ट्र हित में पत्रकारिता का विकास हो। उन्होंने कहा कि आज भी अच्छे पत्रकारों की समाज को जरूरत हैं। उन्होंने राजनीति और पत्रकारिता के संबंधों की चर्चा करते हुए कहा कि हर पक्ष सही दिशा में चले। "राष्ट्र प्रथम" की सोच के साथ पत्रकारिता आगे बढ़े। मूल्यों से जुड़ी रहेगी तभी पत्रकारिता दीर्घ समय तक जीवंतता बनाए रख सकेगी।
उन्होंने अच्छे समाचारों, सकारात्मक सोच को आगे बढ़ाते हुए पत्रकारिता के स्वस्थ मूल्यों के लिए कार्य करने का आह्वान किया। राज्य के नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की चर्चा करते हुए कहा कि पत्रकारिता के व्यावसायिकरण के साथ इसका स्तर गिरता चला गया। उन्होंने पत्रकारिता के जीवन मूल्यों पर कार्य करने पर जोर दिया। लोकमत समूह के अध्यक्ष विजय दर्डा ने कहा कि लोकमत समूह के संस्थापक स्व. जवाहर लाल दर्डा प्रखर पत्रकार थे, इसलिए उनके नाम से पुरस्कार की पहल की गई। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता पुरस्कार के लिए चयन की ज्यूरी पत्रकारों की ही रहतीं है।
उन्होंने निष्पक्ष पत्रकारिता को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि बाबूजी ने कभी अपने संपादकीय में लिखा था कि केवल राजनीतिक स्वतंत्रता ही पर्याप्त नहीं है, जब तक गरीबी, भूख, शिक्षा और सांप्रदायिकता के संकट रहेंगे तब तक पूर्ण स्वतंत्रता नहीं मानी जा सकती। उन्होंने राज्यपाल के आदर्श व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए कहा कि ईमानदारी और समय पाबंदी के साथ वह अनुशासन प्रिय राजनीतिज्ञ हैं। लोकमत मीडिया के प्रधान संपादक और महाराष्ट्र के पूर्व उद्योग और शिक्षा मंत्री राजेंद्र दर्डा ने लोकमत समाचार पत्र समूह की यात्रा और तेजी से हो रहे विस्तार के बारे में जानकारी दी। उन्होंने लोकमत समूह के संस्थापक स्व जवाहर लाल दर्डा के योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि लोकमत स्वस्थ पत्रकारिता के साथ सामाजिक सरोकारों से जुड़ा है।
 उन्होंने राज्यपाल बागडे को किसान और आम जन का हितैषी बताते हुए कहां की महाराष्ट्र में प्यार से उन्हें नाना कहा जाता है। वह जमीन से जुड़े शुचिता वाले राजनीतिज्ञ हैं। इससे पहले वरिष्ठ पत्रकार विजय विद्रोही ने कहा कि पत्रकारिता तेजी से बदल रही है। उन्होंने कहा कि इस समय प्रीत पत्रकारिता का दौर चल रहा है। उन्होंने नगाड़ा और तूती पत्रकारिता की चर्चा करते हुए पत्रकारिता चुनौतियों के आलोक में मीडिया काउंसिल ऑफ इंडिया गठित किए जाने की प्रस्तावना की। समारोह में राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण चंद छाबड़ा को विशेष रूप से सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि मेरे जीवन में पुस्तकों की बड़ी भूमिका रही है। पत्रकारिता का मूल मंत्र भी पढ़ना, पढ़ना और पढ़ना हैं। इस अवसर पर लोकमत पत्रकारिता पुरस्कार ज्यूरी के सदस्य वरिष्ठ पत्रकार गुलाब बत्रा और आनंद चौधरी सहित पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले पत्रकारों को विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कृत कर सम्मानित किया गया।

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