देश को सबल हाथों में सौंपने में जहां मतदाता का योगदान है वहीं योग्य प्रतिनिधि का चयन आवश्यक है
बदलता परिवेश आदिकाल से सृष्टि में परिवर्तन भौगोलिक,मौसम,जलवायु परिवर्तन और ऋतुओं के आधार पर अविरल होता चला आया है। यही नही उतरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुवों में जो परिवर्तन हुआ है उसमें सूर्य की किरणों का आधार माना गया है।जलवायु के परिवर्तन स्वरूप पेड़ पौधों जीव जंतुओं को भी अलग अलग आकार प्रकार में भी बिभक्त होते देखा जा सकता है। रहन सहन,खान पान जीवन शैली पर भी लगातार परिवर्तन होते रहते हैं।सामाजिक संरचनाओं के आधार पर हर प्रकार के परिवर्तन चक्रीय होते हैं। आज हमारा जो पहनाव है कल वह बदल जाता है इसी तरह बोली भाषा में भी देश काल के अनुसार स्वाभाविक बदलाव होते हैं मातृभाषा के साथ हम कई अन्य भाषाओं का भी अध्ययन इस लिए करते हैं कि अपने व्यवसाय तथा रोजगार में उसका उपयोग कर सकें। वर्तमान समय में आज का मानवीय स्वरूप भी परिवर्तन की शरण में लगातार बदलता चला जा रहा है,कभी संयुक्त परिवार होते थे,आज एकल परिवारों की संख्या बढ़ती चली जा रही है।लोग आपस में एक-दूसरे का दुःख दर्द बांटा करते थे। चिठ्ठी पत्री भेजी जाती थी फोन पर बात होती थी। आज पाश्चात्य रीति रिवाजों को लेकर गुड नाईट और गुड मॉर्निंग के शॉर्ट ...