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क्षेत्रीय शिक्षक पुरस्कार 17 अध्यापकों,4 सर्वोत्तम विद्यालय तथा 4 सर्वोत्तम चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को सम्मानित किया

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नयी दिल्ली - क्षेत्रीय शिक्षक पुरस्कार वितरण समारोह एक नये अंदाज में महापौर द्वारा पश्चिमी क्षेत्र के 17 अध्यापकों , 4 सर्वोत्तम विद्यालय तथा 4 सर्वोत्तम चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को सिविक सेन्टर में सम्मानित किया गया। इस मौके पर सुनीता कांगड़ा महापौर,डॉ नंदिनी शर्मा अध्यक्ष शिक्षा समिति,सदस्य शिक्षा समिति यशपाल आर्य,अतिरिक्त आयुक्त शिक्षा श्री राहुल गर्ग ,पूर्व अध्यक्ष शिक्षा समिति सुनील सहदेव सहित मुख्यालय के सभी डी डी ई डॉ सुरेन्द्र भांडोरिया, मुक्तमय मण्डल, कंवलजीत, श्रीमती पुष्पा, श्रीमती गीता व पश्चिमी क्षेत्र के डी डी ई रिषिपाल राणा व सभी अधिकारी अनीता डागर,महेश चंद्रा,प्रागी लाल ,सुभाष चंद सुषमा भंडारी उपस्थित रहे I पश्चिमी क्षेत्र की इस वर्ष की उपलब्धियों से सम्बन्धित तीन मिनिट की सक्षिप्त विडियो क्लिप भी दिखाई गई। महापौर सहित सभी गणमान्यों ने मैडल,प्रतीक चिन्ह, प्रमाण-पत्र देकर पुरस्कृत किया व सभी 17 पुरस्कृत शिक्षकों+ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 5000/-रूपये की राशि उनके खाते में पुरस्कार स्वरूप देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर सुप्रीति चावला द्वारा मंच संचालन सुंदर और गरिमापू...

गांधी जी का भारतीय साहित्य पर प्रभाव "

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सुरेखा शर्मा  (लेखिका/समीक्षक) जब भी गांधी जी का नाम लिया जाता है तो सोहन लाल द्विवेदी जी की ये पंक्तियाँ स्वतः ही स्मरण हो आती हैं----- आँसू बिखराते बीतेंगी जलती जीवन की घड़ियां बिना चढ़ाए शीश, नहीं टूटेंगी माँ की कड़ियाँ। आइंस्टाइन ने गांधी जी के लिए कहा था---- आने वाली पीढ़ियाँ शायद ही विश्वास करेंगी कि इस तरह का हाड-माँस का कोई  व्यक्ति  इस धरती पर चला था।वास्तव में  ही साबरमती के संत ने वो कर दिखाया जिसे आज सम्पूर्ण विश्व नमन करता है। "एकाएक चल पड़ा आत्मा का पिंजर,मूर्ति की ठठरी।  नाक पर चश्मा, हाथ में डंडा, कंधे पर बोरा ,हाथ में बच्चा ।''आजादी की लड़ाई लड़ने के लिए । आजादी कोई वस्तु नहीं है जो उपहार में मिल जाए।उसे हासिल करना पड़ता है ,और हासिल करने के लिए लड़ना पड़ता है। ब्रिटिश शासन से भारत को आजादी भी एक लंबी लड़ाई के बाद मिली थी ।इसकी शुरुआत हुई थी गाँधी जी के चंपारण  आन्दोलन से,जिसके अब सौ वर्ष पूरे हो चुके हैं।आज यह कल्पना करना मुश्किल है कि चंपारण की लड़ाई कैसी थी।यह अहिंसक आन्दोलन था। अब तक का एक ऐसा आन्दोलन जिनमें न जलूस निकले,न लाठी चार्ज न ...

जिसे प्यार नहीं मातृभूमि से मृतक और अभागा है

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विजय सिंह बिष्ट गुफा कंदराओं से उतराखंण्डी जागा है। जिसे प्यार नहीं मातृभूमि से मृतक और अभागा है। गंगा यमुना का उद्गम उफन कर आया है। किरीट हिमालय का उत्तराखण्ड पर छापा है। बोल उठा जनमानस उत्तराखण्ड हमारा है। नर नारी बाल वृद्ध का यही एक नारा है। सुन नहीं रहा मुलायम चुप्पी साधे शासन है। नारी का चीरहरण किया वह दुष्ट दुशासन है।। भूल चुका वह अब भी कई कृष्ण मुरारी हैं। मातृभूमि की रक्षा में अनेकों नेक पुजारी हैं। लेके रहेंगे उत्तराखण्ड पक्का संकल्प हमारा है। जनमानस मुखरित हो उठा यह प्रदेश हमारा है। सड़कों गलियों गांव गांव से आज एक ही नारा है।                                                                                          उत्तराखण्ड लेके रहेंगे  यह प्रदेश हमारा है। इस पावन धरती पर शिव ने अलख जगाया था। गोरखों को पछाड़ा फिरंगियों को भगाया था। उस धरती के बीर सपू...

सतासीन सरकारें जो भी आई है समस्त उतराखंडियों की उपेक्षा ही कर रही है

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उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण की घोषणा मुख्यमंत्री द्वारा किए जाने का हार्दिक अभिनंदन, बीस वर्ष का समय व्यतीत हो चुका है लेकिन राज्य की स्थापना के पश्चात भी उत्तराखण्ड का जनमानस यह नहीं समझ पाया है कि आखिर राज्य की स्थाई राजधानी कहां है। राज्य प्राति के लिए जिन लोगों ने संघर्ष किया अपना बलिदान किया आज ऐसा लगता है राज्य की सतासीन सरकारें जो भी आई है समस्त उतराखंडियों की उपेक्षा ही कर रही है। गैरसैंण ही क्यों? बीस वर्ष पहले गैरसैंण मात्र एक खाली भू भाग था। लेकिन उस समय के बिचारकों और प्रबुद्ध जनों ने यह निर्णय लिया था कि यह स्थान उत्तराखण्ड के सभी तेरह जनपदों का केंद्र है। राजधानी बनने से सभी जनपदों के संपर्क मार्ग बनेंगे, और "जहां राह है वहां चाह है" के आधार पर पर्वतीय राज्य का विकास होगा। किंतु शासन के पांव देहरादून में रुके और अंगद के पैर की तरह जम गये।  अब्ल तो प्रदेश की नींव जहां केंद्र शासित होना था हुआ नहीं।बाद में पिछड़े प्रदेश की भिक्षा भी नहीं मिली। बर्तमान में राज्य सरकार एक राजधानी का व्यय बाहन नहीं कर पा रही है फिर दूसरी खंडाला जैसी अव्यवस्थित जगह पर रा...

टीसीआई एक्सप्रेस ने तीसरे अंतरिम डिविडेंड के लिए 1 रुपए प्रति शेयर का दिया सुझाव

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गुरुग्राम : भारत में एक्सप्रेस डिस्ट्रिब्यूशन के मार्केट लीडर टीसीआई एक्सप्रेस लिमिटेड (टीसीआई एक्सप्रेस) के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने वित्तीय वर्ष 2020 के तीसरे अंतरिम डिविडेंड के लिए 1 रुपए प्रति शेयर (प्रति शेयर की फेस वैल्यू 2 रुपए प्रति शेयर) करने का सुझाव दिया है। वित्तीय वर्ष 2020 के 9 महीने के लिए कुल डिविडेंड 4 रुपए प्रति शेयर और शेयर की फेस वैल्यू में 200 फीसदी का पे-आउट होगा। वित्त वर्ष 2020 के कुल 9 महीने के लिए डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स को मिलाकर कुल डिविडेंट में ईपीएस में पेआउट 26.4 फीसदी होगा। डिविडेंड उन शेयरहोल्डर्स को मिलेगा जिनका नाम 21 मार्च 2020 तक मेंबर रजिस्टर में मौजूद होगा। डिवेंडेंड पेमेंट/वारंट डिस्पैच तीसरे अंतरिम डिविडेंड की घोषणा (11 अप्रैल 2020) के 30 दिन के अंदर हो जाएगा।  एनाउंसमेंट पर बात करते हुए मैनेजिंग डायरेक्टर चंदेर अग्रवाल ने कहा : “बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने इस वर्ष के तीसरे अंतरिम डिविडेंड के लिए अपनी सिफारिस दी है, जो हमारे ग्राहकों को लगातार फायदा पहुंचाने की प्रतिबद्धता का सुबूत है। हम ग्राहकों को समयबद्ध सुविधाएं मुहैया कराने का क...

भारत के 3 व्हीलर बीएस 6 कॉमर्शियल वाहनों की सबसे बड़ी रेंज लॉन्च

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नयी दिल्ली : बजाज ऑटो लिमिटेड ने अपने ब्रांड RE, मैक्सिमा और मैक्सिमा कार्गो के तहत कॉमर्शियल वाहनों की बीएस 6 रेंज लॉन्च की है। बजाज ऑटो ने RE, मैक्सिमा और मैक्सिमा कार्गो ब्रांडों के तहत 14 बीएस 6 अनुपालित उत्पाद लॉन्च किए हैं। अब यह बीएस 6 तकनीक में उपलब्ध कॉमर्शियल तिपहिया वाहनों की सबसे विस्तृत श्रृंखला बन गई है। बजाज ऑटो ने अपनी जांची-परखी विश्वसनीयता और मूल्य को बरकरार रखते हुए समूची 3 व्हीलर रेंज के लिए बीएस 6 संस्करण में संक्रमण किया है। RE ब्रांड अब 236 सीसी इंजन में फ्यूल इंजेक्शन (FI) तकनीक के साथ वैकल्पिक ईंधन (CNG, LPG और Petrol) वाले 3 ईंधन विकल्प लेकर प्रस्तुत है। यह बीएस 6 उत्सर्जन मानदंडों को पूरा करते हुए बेहतर शक्ति और पिक-अप प्रदान करता है। मैक्सिमा ब्रांड में उसी इंजन को बीएस 6 उत्सर्जन मानदंड पूरे करने के लिए पुनः कॉन्फिगर किया गया है तथा यह इंजन एकरूप शक्ति और पिक-अप प्रदान करना जारी रखे हुए है। RE और मैक्सिमा ब्रांडों की डीजल रेंज पहले वाले 470सीसी डीजल इंजन के साथ ईजीआर एवं कैटेलिटिक कनवर्टर जैसी प्रणालियों के माध्यम से सख्त बीएस 6 मानदंडों पर खरी उतरती है। अ...

उम्मीद के दीये

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एक घर मे पांच दिए जल रहे थे , एक दिन पहले दिए ने कहा - 'इतना जलकर भी मेरी रोशनी की लोगो को कोई कदर नही है तो बेहतर यही होगा कि मैं बुझ जाऊं ' और वह दीया खुद को व्यर्थ समझ कर बुझ गया । जानते है वह दिया कौन था ? वह दीया था उत्साह का प्रतीक । यह देख दूसरा दीया जो शांति का प्रतीक था , कहने लगा , मुझे भी बुझ जाना चाहिए... निरंतर शांति की रोशनी देने के बावजूद भी लोग हिंसा कर रहे है और शांति का दीया बुझ गया ।  उत्साह और शांति के दीये बुझने के बाद , जो तीसरा दीया हिम्मत का था , वह भी अपनी हिम्मत खो बैठा और बुझ गया । उत्साह , शांति और अब हिम्मत के न रहने पर चौथे दीए ने बुझना ही उचित समझा । चौथा दीया समृद्धि का प्रतीक था । सभी दीए बुझने के बाद केवल पांचवां दीया अकेला ही जल रहा था । हालांकि पांचवां दीया सबसे छोटा था मगर फिर भी वह निरंतर जल रहा था । तब उस घर मे एक लड़के ने प्रवेश किया । उसने देखा कि उस घर मे सिर्फ एक ही दीया जल रहा है , वह खुशी से झूम उठा ... चार दीए बुझने की वजह से वह दुखी नही हुआ बल्कि खुश हुआ , यह सोचकर कि कम से कम एक दीया तो जल रहा है ।   उसने तुरंत पांचवां दीया उठाया ...