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'माँ नहीं मिलती दोबारा '

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सुरेखा शर्मा स्वतंत्र लेखन /समीक्षक सुबह-सुबह फोन की घंटी घनघना उठी। फोन पर कंपकंपाती आवाज  सुनते ही रिसीवर हाथ से छूट गया। इतनी जल्दी ? ऐसा कैसे हो सकता है ••••?  गाड़ी में बैठते ही,  'ड्राइवर गाड़ी तेजी से चलाओ।' जबकि ड्राइवर अपनी  ओर से गाड़ी भगा ले जा रहा था ।मुझे कुछ  नही सूझ रहा था। दिल में दर्द की टीस -सी उठ रही थी ।माँ सच में  हम सब को छोड़कर चली गईं?अब कभी  नहीं मिलेंगी •••••? नहीं •••नहीं ••   ऐसा नहीं हो सकता? कल  तो मिल कर  आई थी।कितनी बातें कर रही  थीं । जब उन्होंने कहा ,'' बहुत जीवन जी  लिया  मैंने ,और कितना जीऊँगी ?" कितना खराब लगा था हमें । पिता जी भी बोले ,"सच में ही,  अब तो  मुक्ति मिल  जाए।कितनी तकलीफ झेल रही है तुम्हारी माँ •••। मुझसे भी अब देखा नही जाता ।" नहीं••••नहीं ,जरूर कोई धोखा हुआ है ,मां जल्दी ही फिर से स्वस्थ हो जाएंगी ••••झटके  से गाड़ी रुकी । ••माँ की निष्प्राण देह आंगन के बीच रखी हुई थी ।शांत वातावरण में चिड़िया की चूं -चूं  व कबूतर की गुटर गूं  सुनाई दे ...

ऑन लाइन ग़ज़लों की महफ़िल 

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नयी दिल्ली - ग़ज़लों की महफ़िल (दिल्ली) के तत्वाधान में ऑनलाइन मुशायरे का आयोजन डॉ अमर पंकज ( दिल्ली विश्वविद्यालय)की देख - रेख मे हुआ। यह महफ़िल का पहला आडॅयो मुशायरा* था  । इस मुशायरे का आनंद लेने के लिये विभिन्न राज्यों के शायर/ शायरा इस महफिल में शामिल हुए । सभी ग़ज़लकारों ने अपनी अपनी  ग़ज़ल की आॅडियो क्लिपिंग व टाइप की हुई टैक्स्ट और अपनी फोटो पोस्ट की। साथ ही सभी ने अपनी-अपनी ग़ज़ल पोस्ट करने के साथ दूसरे शायरों की ग़ज़लों को सुना और उनकी हौसला-अफ़जाई की। इस शाम को एक यादगार शाम बनाते हुए महफ़िल के इस प्रथम आॅडियो मुशायरे को बड़ी कामयाबी हासिल हुई  । इस आन लाइन मुशायरे की अध्यक्षता राजेश कुमारी ने की,और मुशायरे के विशिष्ट अतिथि के रूप में हेमंत कुमार 'दिल'* उपास्थित रहे। मुशायरे के संरक्षक की भूमिका में शरद तैलंग मौजूद रहे। इस ऑनलाइन आडियो- मुशायरे में शिरक़त करने वाले जो शोरा हज़रात मौजूद थे उनके नाम इस तरह से हैं शरद तैलंग, कोटा। राजेश कुमारी राज, मुंबई। एच के शर्मा 'दिल' दिल्ली। पंकज त्यागी 'असीम ' रुड़की। विजयलक्ष्मी विजया, नई दिल्ली। अजय त्रिप...

ऐ मां तुमको  कोटि-कोटि नमन

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विजय सिंह बिष्ट ऐ मां तेरी गोदी से जन्में, तुमने ही हमको पनपाया। खिले तुम्हारे आंगन में, भांति भांति के रूपों में पाया। ऐ मां तुमको  कोटि-कोटि नमन।। तेरी मिट्टी में अमृत भरा है, हर श्रृंगार से हमें सजाया, कितनी पीयूष शक्ति है मां, तेरे रंगों में जो हमने पाया। ऐ मां तुझे शत् शत् नमन। गर्जन तर्जन में भी जन्मे, नया रूप दे हमें उगाया। इंद्रधनुषी रूप निखारा, भांति भांति से हमें पुकारा। हर बीज में भ्रूण छिपा है, नृत्य करता वह धरती में आया। हवा ,पानी ,गर्मी ने फिर उसे जगाया। रत्न गर्भा मां तेरी अनोखी माया। उससे ही हम सबने जीवन पाया।  ऐ धरणी मां शत् शत् नमन।

सोशल डिस्टेंसिंग लागू क्यों नहीं

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देश भर से जुटे शायर / शायरा

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अल्पसंख्यक वर्ग के लोग सभी लोगों के साथ इस लड़ाई में बराबर की जिम्मेदारी निभा रहे हैं

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नयी दिल्ली - देश भर से आये सभी धर्मों के 4500 से अधिक जायरीनों को लॉकडाउन के दौरान रहने, खाने-पीने और उनके स्वास्थ्य की संपूर्ण सुविधा दी गयी। यह सभी व्यवस्था दरगाह कमिटी, दरगाह के खादिमों एवं सज्जादानशीं द्वारा की गई। इस कार्य हेतु लगभग 1 करोड़ रूपए दरगाह कमिटी एवं कमिटी की अन्य संस्थाओं द्वारा खर्च किये गए जिनमें लोगों को उनके राज्यों में वापस भेजने की व्यवस्था भी शामिल थी। देश भर में 16 हज हाउस को क्वारंटाइन एवं आईसोलेशन  सुविधा हेतु विभिन्न राज्य सरकारों को दिया गया है, जिसका राज्य सरकारें आवश्यकता के अनुसार इस्तेमाल कर रही हैं। अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी द्वारा 1 करोड़ 40 लाख रूपए "पीएम केयर्स" में सहयोग किया गया है एवं एएमयू मेडिकल कॉलेज में 100 बेड की व्यवस्था कोरोना मरीजों के उपचार के लिए की गई है। साथ ही एएमयू ने कोरोना टेस्ट की व्यवस्था भी की है, अब तक 9000 से ज्यादा टेस्ट किये जा चुके हैं। अजमेर शरीफ दरगाह के अंतरगर्त ख्वाजा मॉडल स्कूल एवं कायड़ विश्राम स्थली को देश के विभिन्न भागों के कोरोना प्रभावित लोगों के क्वारंटाइन एवं आईसोलेशन के लिए दिया गया। केंद्रीय अल्पसंख्...

माँ (हाइकू)

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  डॉ.शेख अब्दुल वहाब , हिंदी एसोसिएट प्रोफेसर, तमिलनाडु माँ दुलारती है   दुत्कारती कभी न माता है वह । 1 l  जग में माता ईर्ष्या न द्वेष मन  ममतामयी । 2 l स्वयं भूखी है भरे पेट संतान दूजा न, माँ l 3 l  बेटी जो बढ़े मन सरोज खिले मात्र माता ही । 4 l बेटी का ब्याह  चली वह ससुराल मां मन दुखी । 5 l बेटा पढे जो पद उसका बढ़े  मां मन फूले । 6 l  कोई आंके न  त्याग - ममता मूल्य  माँ अनमोल l 7 l     बच्चों को नींद रतजगे स्वयं ही            माँ सी माँ होती l 8 l माँ देती ज्ञान चलती पाठशाला पहली गुरु l 9 l पेड़ की छाँव झेलती धूप जेठ माँ ठंडक है l 10 l