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दक्षिणी दिल्ली नगर निगम शिक्षा विभाग का "घर- घर जाकर दाखिला अभियान" 

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नयी दिल्ली - दक्षिणी दिल्ली नगर निगम शिक्षा विभाग,पश्चिमी क्षेत्र-शिक्षा समिति अध्यक्ष सुर्यान के दिशा निर्देशों में "घर- घर जाकर दाखिला अभियान" के तहत अध्यापकों ने इस मुहिम को जारी रखा। जहां एक तरफ निगम के अध्यापक कोविड में ड्यूटी देने से नहीं घबराये वहीं दूसरी तरफ घर-घर  जाकर बच्चों का दाखिला करने से भी पीछे नहीं रहे ।    वैसे तो भिन्न- भिन्न तरह के सर्वेक्षण में अध्यापकों की ड्यूटी लगती रह्ती है। किन्तु इस वर्ष कोरोना आपात की वजह से दाखिले की इस मुहिम को तीव्र गति देना आवश्यक हो गया था । अध्यापकों के साथ- साथ प्रधानाचार्य व क्षेत्र की डी डी ई नीरा सहित सभी अधिकारियों ने  बढ़- चढ़ कर हिस्सा लिया।    पश्चिमी क्षेत्र के सभी वार्डॉ मेँ यह कार्य सुचारू रूप से हुआ रन्होला ,बापरोला, कोटला हस्तसाल ,उत्तम नगर ,नवादा,जनक पुरी, तिलक नगर , राजौरी , चौखन्डी, चान्द नगर, बिंदापुर , महावीर  एन्क्लेव 2/3 और सभी 145 विद्यालय , पश्चिमी क्षेत्र एक तरफ नजफगढ से जुड़ा हुआ है तो दूसरी तरफ पश्चिम विहार नार्थ डी एम सी से, ऐसे ही एक तरफ द्वारका से जुड़ा है तो दूसरी तरफ दिल...

एक 'अदृश्य हाथ' ने मेरा मार्गदर्शन किया: लॉर्ड भीखू पारेख

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कोलकाता : कोलकाता की सुप्रसिद्ध सामाजिक संस्था प्रभा खेतान फाउंडेशन द्वारा आयोजित लाइव ऑनलाइन सत्र एक मुलाकात में लंदन से सुप्रसिद्ध राजनीतिक सिद्धांतकार और मार्गदर्शक, लॉर्ड भीखू पारेख ने अपने जीवन के अनुभवों और विचारों को साझा किया। लॉर्ड पारेख ने महिला सशक्तीकरण, भारतीय संस्कृति, भारत में अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली, माता-पिता के प्रति प्रेम के प्रति ग्लोबल प्लेटफॉर्म में बातचीत के दौरान लेडी मोहिनी केंट नून के साथ अपने विचारों को दर्शकों और श्रोताओं के समक्ष साझा किया।लॉर्ड भीखू छोटेलाल पारेख एक शिक्षाविद और विचारक के तौर पर प्रसिद्ध हैं। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (एलएसई) से पीएचडी की और ब्रिटेन में बहुसंस्कृतिवाद और सद्भाव की अवधारणा को लेकर लोगों को विस्तृत जानकारी दी। वह पद्म भूषण प्राप्त हैं और उन्होंने कई अन्य लोगों के बीच ग्लोबल थिंकर अवार्ड – ‘सर यशायाह बर्लिन पुरस्कार’ भी जीता है। लॉर्ड भीखू पारेख ने अपने विचारों के आदान प्रदान के दौरान कहा: वर्ष 1935 में गुजरात में जन्म लेने के बाद मुझे एक सोनार के रूप में अपने पारिवारिक पेशे को अपनाना था। मेरे स्कूल के हेड मास्टर ने म...

ओटिपी ने गुरुग्राम में शुरू किया नया वेयरहाउस

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गुरुग्राम -दिल्ली एनसीआर के क्षेत्र में कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए फार्म टु फोर्क एग्रीटेक स्टार्टअप क्रोफार्म के सोशल कॉमर्स वेंचर ओटिपी ग्ररुग्राम में नया वेयरहाउस खोल दिया गया है । वेयरहाउस मैनेजमेंट के लिए इनोवेटिव टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा और यह कंपनी के मौजूदा वेयरहाउस सूची में शामिल होगा। इस बारे में बात करते हुए ओटिपी के संस्थापक वरुण खुराना ने कहा कि “ओटिपी की स्थापना मांग के अनुसार टेक्नोलॉजी आधारित सप्लाई चेन मुहैया कराने की सोच के साथ की गई थी। देश के पहले सोशल कॉमर्स मॉडल होने के नाते यह ग्राहकों को सीधे तौर पर किसानों से जोड़ता है। हम लगातार ग्राहकों के लिए अपनी सुविधाएं बेहतर कर रहे हैं और रिसेलर के लिए अपने प्लेटफॉर्म को और सहज बना रहे हैं। यह नया वेयरहाउस हमें अपनी सुविधाएं बेहतर करने में मदद करेगा। हम जैसे-जैसे देश में अपना विस्तार करेंगे, ऐसे अन्य वेयरहाउस शुरू किए जाएंगे।” 2016 में स्थापित किए गए सोशल कॉमर्स वेंचर ओटिपी की बी2बी2सी सेगमेंट के विकास दर काफी अच्छी रही है। दौड़ में सबसे आगे चल रहा यह ब्रैंड अगले 3 वर्षों में टियर-2 और टियर-3 शहरों में अपना विस्तार करे...

सरकार का यू टर्न ,पुराने फॉरमेट पर एनपीआर करवाएगी 

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लखनऊ . पुराने फॉरमेट पर एनपीआर करवाने के सरकार के फैसले को रिहाई मंच ने आंदोलनकारियों की मांगों के न्यूनतम आदर के प्रति सरकार द्वारा देर से उठाया गया कदम बताया. रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि सरकार द्वारा 2010 के फारमेट पर एनपीआर कराने की खबरों से एक बात तो साफ हो गई कि नए प्रश्नों के साथ एनपीआर करवाने के लिए उसके कई तरह के लाभ बताने की सरकार की कोशिश भविष्य में कोई कल्याणकारी योजना बनाने या देश की सुरक्षा को लेकर आवश्यक अभियान न होकर कुछ लोगों की अहंकारी सोच की उपज थी. एनआरसी⁄सीएए के खिलाफ प्रतिवाद ने व्यापक आंदोलन का रूप उस वक़्त ले लिया जब 2010 के एनपीआर फॉरमेट में कुछ और सवाल जोड़ दिए गए जिनका सम्बंध व्यक्ति की निजता से था. उन्होंने कहा कि कई स्थानों पर पुलिस और साम्प्रदायिक तत्वों ने इस आंदोलन को बदनाम करने के लिए आंदोलनकारियों पर हिंसक हमले किए और बाद में इसी हिंसा प्रति हिंसा दोनों को आंदोलनकारियों के सिर मढ़कर दमनात्मक कार्रवाइयां शुरू कर दी. इस दमनचक्र में बेगुनाहों पर गंभीर धाराओं में मुकदमें कायम कर गिरफ्तारियां की गईं और क्षतिपूर्ति के नाम पर उनका जीना हराम कर दिया ग...

मिजोरम : बिना दुकानदार की दुकान

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यूनानी इलाज पर है लोगों का भरोसा

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कविता // हाँ ! मैं गृहिणी हूँ’

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स्वीटी सिंघल ‘सखी’ एक रिश्तेदार ने  मेरी कविताएँ सुनकर फ़रमाया, या यूँ कहूँ कि तारीफ़ के बहाने  मेरा मज़ाक़ उड़ाया। बोले, “अच्छा लिख लेती हो! पर ये तो बताओ  इतना वक़्त कहाँ से लाती हो? अरे हाँ! तुम तो गृहिणी हो,  घर पर ख़ाली ही तो रहती हो।” बात मेरे दिल को कुछ खली, और हमेशा की तरह अंदर से बस कविता ही निकली। जी हाँ, मैं गृहिणी हूँ, कमाती नहीं, बस घर संभालती हूँ। क्या ग़लत है जो अपने जज़्बात  कविता में ढालती हूँ? जब पतिदेव चले जाते हैं अॉफिस और बच्चे अपने स्कूल, या घर पर होते हुए भी रहते हैं अपने कामों में मशगूल। तब इधर-उधर बिखरा सामान फिर क़रीने से लगाती हूँ, साथ मन में बिखरे बेतरतीब ख़्यालात समेटती जाती हूँ। कुर्सी मेज़ झाड़ते हुए जब पुरानी यादों की धूल झड़ जाती है, किसी अधूरी कविता में कुछ पक्तियाँ  अपने आप जुड़ जाती हैं। खाना बनाते हुए जब पुराने ज़ख़्म सिकने लगते हैं, खुद-ब-खुद मन के कोनों में दबे शब्द पिघलने लगते हैं। जब इस्तरी करने बैठती हूँ कपड़े  कई रिश्तों में सलवटें दिखाई पड़ती हैं, और सब ठीक करने की चाहत एक नई कविता गढ़ती है। धुले बर्तनों की च...