‘हरित क्रांति’ को हराने की घिनौनी भाजपाई साजिश हैं ‘तीन काले कानून’
मोदी सरकार ने तीन काले कानूनों के माध्यम से किसान, खेत-मज़दूर, छोटे दुकानदार, मंडी मज़दूर व कर्मचारियों की आजीविका पर एक क्रूर हमला बोला है। किसान-खेत मजदूर के भविष्य को रौंदकर मोदी जी ने उनके भाग्य में बदहाली और बर्बादी लिख दी है। यह किसान, खेत और खलिहान के खिलाफ एक घिनौना षडयंत्र है। आज देश भर में 62 करोड़ किसान-मजदूर व 250 से अधिक किसान संगठन इन काले कानूनों के खिलाफ भारत बंद के माध्यम से धरना प्रदर्शन कर अपना विरोध जता रहे हैं, पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा सरकार सब ऐतराज दरकिनार कर देश को बरगला रहे हैं। अन्नदाता किसान की बात सुनना तो दूर, संसद में उनके नुमाईंदो की आवाज को दबाया जा रहा है और सड़कों पर किसान मजदूरों को लाठियों से पिटवाया जा रहा है। संसद में संविधान का गला घोंटा जा रहा है और खेत खलिहान में किसानों-मजदूरों की आजीविका का। देश में कोरोना, सीमा पर चीन और खेती पर मोदी सरकार हमलावर है। किसान विरोधी यह तजुर्बा भाजपा शासित बिहार में भाजपा ने साल 2006 में शुरू किया था और अब घुन की तरह पूरे देश की खेती और किसानी को तीन कृषि विरोधी काले कानूनों की शक्ल में निगल रहा ह...